मूल कंपनी को बताए बगैर लीज़ कंपनी ने बैंक से लिया सौ करोड़ का ऋण

ए-वन स्टील्स और बीएसपीपीएल विवाद में सेबी और एमसीए से हस्तक्षेप की मांग

मूल कंपनी को बताए बगैर लीज़ कंपनी ने बैंक से लिया सौ करोड़ का ऋण

 650 करोड़ जुटाने के लिए आईपीओ लाने की जुगाड़ में लगी लीज़ कंपनी

बेंगलुरु, 10 सितंबर। बसई स्टील्स एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड (बीएसपीपीएल) के निदेशकों में से एक के रविशंकर ने ए-वन स्टील्स इंडिया लिमिटेड द्वारा कंपनी के मामलों में कॉर्पोरेट प्रशासन के उल्लंघननियामक निरीक्षण और वित्तीय गलतबयानी के बारे में गंभीर चिंता जताई है। रविशंकर ने कहा कि जिसे सद्भावना के आधार पर बसई स्टील्स के महत्वपूर्ण शेयरधारकों में से एक बनाया गया थावही तमाम अराजकताएं फैलाने में संलग्न है।

बसई स्टील्स एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक ने ड्राफ्ट रेफरी हियरिंग प्रॉस्पेक्टस में दिए गए गलत बयानों के आरोप लगाए हैं। बसई स्टील्स के बेल्लारी प्लांट-1 के लीज़ डीड के कानूनी दस्तावेज़पंजीकरण और प्रावधानों को ताक पर रख कर ए-वन स्टील्स ने नियोजित तरीके से भ्रामक स्थिति पैदा की। बेल्लारी प्लांट-1 कभी भी ए-वन स्टील्स के स्वामित्व में नहीं थालेकिन डीआरपी में इसके विपरीत दर्शाया गया है। ए-वन स्टील्स ने बसई स्टील्स की संपत्तियों को सुरक्षा के रूप में इस्तेमाल करते हुए बजाज फाइनेंस लिमिटेड से 100 करोड़ रुपए का टर्म लोन ले लिया। इसके लिए महत्वपूर्ण शेयरधारकों और केनरा बैंक सहित प्रमुख हितधारकों को आवश्यक नोटिस और जानकारी न देकर कानून का सीधा उल्लंघन किया गया।

इसके अलावाए-वन स्टील्स के दबाव में बसई स्टील्स के तथाकथित प्रबंधन ने संचार के अनौपचारिक साधनों का उपयोग करते हुए महज 55 मिनट का नोटिस देकर 07 अप्रैल 2025 को बोर्ड की बैठक आयोजित कर ली और उसमें पूंजी संरचनालेखा परीक्षक परिवर्तन और कंपनी के नियंत्रण को प्रभावित करने वाले 16 एजेंडों पर निर्णय ले लिए गए। यह सचिवीय मानकों और कंपनी अधिनियम के प्रावधानों का आपराधिक उल्लंघन है।

बसई स्टील्स के निदेशक के. रविशंकर ने कहाइस तरह तथ्यों को छिपा कर कंपनी की संपत्तियों का दुरुपयोग किया गया और तमाम निवेशकों के साथ-साथ भारत के प्रतिभूति बाजार को भी गुमराह किया गया। लिहाजाइस मामले में तत्काल नियामक हस्तक्षेप ज़रूरी है। रविशंकर ने मर्चेंट बैंकर प्रभुदास लीलाधर कैपिटल की नाकामी पर भी गहरी चिंता जताई है।

Read More  पं0 गोविन्द वल्लभ पन्त को मौर्य ने किया नमन

यह ध्यान देने योग्य है कि ए-वन स्टील्स ने प्रतिभूति बाजारों से 650 करोड़ रुपए जुटाने के लिए दिसंबर 2024 में सेबी के पास डीआरएचपी दाखिल किया था। इसके बादसेबी ने मई 2025 में बिना किसी अवलोकन के डीआरएचपी को मंज़ूरी दे दी। विडंबना यह है कि जून और जुलाई 2025 में औपचारिक शिकायतें दर्ज होने के बावजूदसेबी ने अभी तक कोई जवाब नहीं दिया हैजिससे यह चिंता पैदा हो रही है कि महत्वपूर्ण मुद्दों को स्वतंत्र जांच के बिना खारिज किया जा रहा है। हितधारकों का आरोप है कि मई 2025 में ए-वन स्टील्स के डीआरएचपी को सेबी द्वारा मंज़ूरी देते समय संवेदनशील तथ्यों की अनदेखी की गई। बसई स्टील्स में कॉर्पोरेट प्रशासन तंत्र की विफलता का मुद्दा भी एमसीए के समक्ष उठाया गया है। स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध होने के बाद खुदरा निवेशकों को होने वाले नुकसान को देखते हुएनिवेशकों की सुरक्षा और भारत के पूंजी बाजारों में कॉर्पोरेट प्रशासन मानकों को बनाए रखने के लिए मजबूत नियामक सतर्कता की तत्काल आवश्यकता है।

Read More पेपर व्यापार में जीएसटी की विसंगति पर व्यापारी चिंतित

#AOneSteels, #BSPPL, #SEBI, #MCA, #IPO, #CorporateFraud, #FinancialScam, #BankLoan, #BusinessNews

Read More टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ यूपी के शिक्षक