निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के प्रवेश पर सरकार की निगरानी
प्रवेश प्रक्रिया ऑनलाइन हुई, फर्जी अभिलेखों की होगी जांच
लखनऊ, 09 सितंबर (एजेंसियां)। योगी सरकार ने गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में प्रवेश दिलाने की व्यवस्था को संशोधित करते हुए अब और कड़े नियमों तथा सख़्त निगरानी के साथ लागू कर दिया है। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी और इसके लिए माता-पिता व बच्चे का आधार कार्ड अनिवार्य रहेगा।
पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में प्रवेश की आयु सीमा 3 से 6 वर्ष और कक्षा-1 के लिए 6 से 7 वर्ष तय कर दी गई है। पहली बार जिलास्तर पर क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण समिति गठित की गई है, जिसकी अध्यक्षता डीएम करेंगे। इस समिति में दर्जन भर से अधिक जिला स्तरीय अधिकारी सदस्य होंगे, जो पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे। इतना ही नहीं, प्रवेश आवेदन एवं प्रक्रिया के दौरान उत्पन्न होने वाले विवादों का त्वरित निस्तारण सीडीओ की अध्यक्षता वाली चार सदस्यीय विवाद समाधान समिति करेगी। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह का कहना है कि सरकार की यह पहल शिक्षा को सबके लिए सुलभ बनाने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि अब कोई भी गरीब बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित नहीं रहेगा। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि हर वर्ग को समान अवसर मिले।
इस व्यवस्था का लाभ अनुसूचित जाति, जनजाति, सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग, अनाथ, निराश्रित, एचआईवी/
शासनादेश के अनुसार मिथ्या या फर्जी दस्तावेज़ों पर प्रवेश की कोशिश करने वाले अभिभावकों पर न केवल रोक लगेगी बल्कि उनके खिलाफ विधिक कार्रवाई भी की जाएगी। स्कूलों की मनमानी और उनके द्वारा फीस प्रतिपूर्ति में किए जाने वाले संभावित घालमेल पर अंकुश लगाने का प्रयास भी है। विद्यालयों को अब मनमानी की छूट नहीं होगी। यदि किसी आवंटित बच्चे को बिना उचित कारण के प्रवेश से वंचित किया गया तो संबंधित विद्यालय की मान्यता तक प्रत्याहरण (रद्द) की जा सकती है।
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