सुप्रीम कोर्ट ने पूछा: बेअंत सिंह के हत्यारे को फांसी क्यों नहीं दी?
नई दिल्ली, 25 सितंबर (एजेंसियां)। सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर फैसला सुनाने में अत्यधिक देरी पर सवाल उठाया। जस्टिस विक्रम नाथ की तीन सदस्यीय पीठ ने केंद्र से पूछा, उसे अब तक फांसी क्यों नहीं दी गई? इसके लिए कौन जिम्मेदार है? कम से कम हमने उसकी फांसी पर रोक तो नहीं लगाई है, ऐसा हमें लगता है।
अदालत ने केंद्र को स्पष्ट कर दिया कि अगली सुनवाई पर उसे स्पष्ट निर्देश दिए जाने चाहिए क्योंकि वह मामले को स्थगित नहीं करेगी। 25 नवंबर, 2024 को केंद्र ने कहा था कि मौत की सजा पाए दोषी राजोआना की दया याचिका पर फैसला लेने का मामला संवेदनशील है, जिसके बाद अदालत ने इस पर फैसला लेने के लिए उसे चार और हफ्ते का वक्त दिया था। प्रतिबंधित बब्बर खालसा के राजोआना को बेअंत सिंह की हत्या से संबंधित मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई गई है।
पिछले साल 18 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के सचिव को निर्देश दिया था कि वे राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका प्रस्तुत करें और मामले पर दो सप्ताह के भीतर निर्णय देने का अनुरोध करें। हालांकि सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश पर रोक लगा दी थी। मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि उसी हमले में अन्य लोग भी शामिल थे और देवेंद्र भुल्लर उनमें से एक था। भुल्लर के मामले में उसे मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी और उसकी याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी।
सुधारात्मक याचिका में भुल्लर के फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया था और भुल्लर को रिहा कर दिया गया था। रोहतगी ने कहा, पता नहीं मेरे मुवक्किल के मामले में क्या होगा। अगर सजा में बदलाव होता है तो उसे 30 साल बाद बाहर आना ही होगा। पीठ ने कहा, अदालत को पंजाब के नियमों की जानकारी नहीं है। रोहतगी ने कहा उसी घटना में शामिल लोग पहले ही जेल से बाहर हैं। उन्होंने कहा कि इस अदालत ने बार-बार कहा है कि 2 या 3 साल से अधिक समय तक मौत की सजा पर रहना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन के लिए पर्याप्त है। पीठ ने रोहतगी से भुल्लर के फैसले को रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहा। पीठ को बताया गया कि राजोआना मामले में फैसले के संबंध में एक पुनर्विचार याचिका गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से दायर की गई है।
पीठ ने कहा कि वह भुल्लर मामले में फैसला देखना चाहती है। रोहतगी ने कहा कि अगर उनके मुवक्किल को जेल से रिहा कर दिया जाता है तो इससे राज्य की सुरक्षा को क्या लेना-देना है? उन्होंने कहा, यह भारत-पाकिस्तान का मामला नहीं है। वह भी एक इंसान और भारतीय नागरिक हैं। नटराज ने कहा कि एक मौजूदा मुख्यमंत्री की हत्या कर दी गई थी और उसके परिणामस्वरूप राज्य में दंगे भड़क उठे। बहरहाल, पीठ ने मामले की सुनवाई 15 अक्टूबर के लिए फिर से सूचीबद्ध कर दी।
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