22 नवंबर से पहले बिहार में हो जाएंगे चुनाव
बिहार पहुंचे मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने की घोषणा
बिहार विधानसभा चुनाव में लागू होंगे 17 नए नियम-प्रावधान
अब मतदान केंद्रों पर होंगे अधिक से अधिक 12 सौ मतदाता
पटना, 05 अक्टूबर (एजेंसियां)। राष्ट्रीय चुनाव आयोग ने बिहार की राजधानी पटना से घोषणा की है कि 22 नवंबर से पहले बिहार विधानसभा के चुनाव करा लिए जाएंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में जो 17 नए नियम-प्रावधान लागू किए जा रहे हैं, वे पूरे देश में लागू होंगे। बिहार में हुए मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) कार्य को पूरे देश में लागू किया जाएगा। चुनाव के पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। बिहार के विधानसभा चुनाव में मतदान केंद्रों (पोलिंग बूथ) पर ज्यादा लंबी कतार न लगे, इसके लिए प्रत्येक बूथ पर अधिक से अधिक 12 सौ मतदाताओं की संख्या निर्धारित की गई है। यही नियम अब पूरे देश में लागू होगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि बिहार का विधानसभा चुनाव पूरे देश के लिए प्रेरणास्रोत बनने जा रहा है। बिहार चुनाव में जो नए नियम शुरू किए जाएंगे वह देश में आने वाले सभी चुनाव में लागू होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त ने मतदान से पूर्व, मतदान के दौरान और मतगणना में किए गए 17 नए प्रावधानों के बारे में बताते हुए कहा कि यह पहली बार हुआ जब चुनाव से कुछ महीने पहले ही बूथ लेवल अफसर और एजेंट्स की ट्रेनिंग दिल्ली में सम्पन्न हुई है।
चुनाव आयुक्त ने कहा कि पहले वोटर आईडी मिलने में देरी होती थी लेकिन अब एसआईआर की फाइनल लिस्ट बनते ही 15 दिन में वोटर आईडी दे दी जाएगी। साथ ही इस आईडी में साफ कलर फोटो और बड़े अक्षरों में सीरियल नंबर भी लिखा जाएगा। अब हर बूथ पर केवल 1200 मतदाता होंगे, जिससे लंबी-लंबी कतार लगाने की समस्या खत्म होगी। इन मतदाताओं को बूथ के बाहर ही मोबाइल जमा करना होगा और वोट देने के बाद वापस मिलेगा। इसके अलावा प्रत्याशी अब बूथ के 100 मीटर के भीतर ही अपना पोलिंग बूथ लगा सकते हैं। इसके अलावा चुनाव आयोग ने मॉक पोल में राजनीतिक दलों को पोलिंग एजेंट्स समय से भेजने का आग्रह किया है। साथ ही अब हर पोलिंग बूथ पर 100 प्रतिशत वेब कास्टिंग होगी।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने यह साफ-साफ कहा कि चुनाव से पहले एसआईआर प्रक्रिया आवश्यक और सटीक कानूनी प्रक्रिया है। मतदाता सूची का पुनरीक्षण चुनाव के बाद हो, यह तर्क बिल्कुल न्याय संगत नहीं है। चुनाव आयोग ने कहा कि एसआईआर में गड़बड़ियां ठीक कर ली गई हैं। इसके लिए 1 अगस्त 2025 से 1 सितंबर 2025 तक दावे और आपत्ति भरने के लिए तारीख दी गई थी। चुनाव आयोग ने बताया कि कुछ दावे आए भी तो सिर्फ नाम हटाने के लिए क्योंकि मतदाता जागरूक हो गया है कि उसका नाम एक से ज्यादा विधानसभा में नहीं होना चाहिए।
पुनरीक्षित सूची से 3.6 लाख नाम कटे हैं। ये सभी मतदाता अयोग्य हैं। आयोग ने कहा कि अगर अब भी किसी राजनीतिक दल के प्रत्याशी को लगता है कि कोई योग्य मतदाता सूची में छूट गया है तो नामांकन दाखिले से पहले दावा और आपत्ति अपील कर सकता है। ईआरओ की निगरानी में इसका निस्तारण किया जाएगा। चुनाव आयोग ने फिर स्पष्ट किया कि आधार कार्ड नागरिकता प्रमाण नहीं है।
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, हाल ही में बिहार में मतदाता सूची शुद्धिकरण का कार्य किया गया और हमारे सामने उपस्थित बूथ लेवल अधिकारियों ने न केवल अपने बूथों में मतदाता सूची शुद्धिकरण का कार्य किया, बल्कि बिहार के 90,217 बूथ लेवल अधिकारियों ने ऐसा कार्य किया जो पूरे देश में अनुकरणीय है। जैसे बिहार के वैशाली ने दुनिया को लोकतंत्र का मार्ग दिखाया। आप सब मिलकर मतदाता सूची शुद्धिकरण के कार्य में देश के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगे। उन्होंने कहा, मैं भारत और बिहार के सभी मतदाताओं का अभिवादन करता हूं। मैं बिहार के सभी मतदाताओं से आग्रह करता हूं कि वे अपना वोट डालें और चुनाव दिवस को वैसे ही मनाएं जैसे हम छठ पूजा का त्यौहार मनाते हैं। चुनाव आयोग ने बिहार में सफल मतदाता गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के लिए 90,270 बीएलओ को सम्मानित किया।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, बिहार में विधानसभा के 243 सामान्य निर्वाचन क्षेत्र हैं। वहां 22 नवंबर से पहले चुनाव करा लिए जाएंगे। चुनाव आयोग की पूरी टीम दो दिनों से बिहार में मौजूद है। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बिहार पुलिस प्रशासन, प्रवर्तन एजेंसियों के प्रमुखों और नोडल अधिकारियों के साथ बैठकें की हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने कहा, हम भारत के मतदाताओं को बधाई देते हैं। सफल एसआईआर प्रक्रिया के लिए आप सभी का धन्यवाद। मैं बिहार के सभी मतदाताओं से अपील करता हूं कि वे लोकतंत्र के इस पर्व को उसी उत्साह के साथ मनाएं जैसे आप छठ मनाते हैं। सभी को मतदान करना चाहिए और अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, हाल ही में बिहार में मतदाता सूची शुद्धिकरण का कार्य किया गया और हमारे सामने उपस्थित बूथ लेवल अधिकारियों ने न केवल अपने बूथों में मतदाता सूची शुद्धिकरण का कार्य किया, बल्कि बिहार के 90,217 बूथ लेवल अधिकारियों ने ऐसा कार्य किया जो पूरे देश में अनुकरणीय है। जैसे बिहार के वैशाली ने दुनिया को लोकतंत्र का मार्ग दिखाया। आप सब मिलकर मतदाता सूची शुद्धिकरण के कार्य में देश के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगे।
भोजपुरी में बिहार के मतदाताओं का अभिवादन करते हुए देश के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को पटना में कहा कि जिस तरह हम अपने पर्व-त्यौहारों और विशेष रूप से लोक आस्था के महापर्व छठ को मनाते हैं, उसी तरह से बिहार विधानसभा चुनाव में मतदान को उत्साह के साथ मनाएं। उन्होंने मतदान की तारीखों पर फिलहाल कोई निश्चित जानकारी नहीं दी, लेकिन यह जरूर कहा कि 22 नवंबर से पहले चुनाव की पूरी प्रक्रिया सम्पन्न करा ली जाएगी।
एसआईआर पर उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा, जो प्रत्याशी खड़े हों, वह पोलिंग एजेंट्स जरूर दें। मॉक पोल अपनी आंखों के सामने जरूर देखने कहें। मतदान के खत्म होते समय पोलिंग एजेंट्स फॉर्म 17सी भी ले लें। जिन लोगों को नगर निगम ने मकान का कोई नंबर तय नहीं किया है, वहां एक ही मकान में कई लोगों के नंबर मतदाता सूची में दर्ज होने की आशंका रहती है। क्योंकि, कुछ चिन्हित करने के लिए बीएलओ यह करते हैं। चुनाव के पहले पुनरीक्षण हर बार होता है, इसलिए उसे चुनाव के बाद कराने की मांग का कोई अर्थ नहीं है। बिहार के एसआईआर में दावा-आपत्ति का पूरा अवसर दिया गया। इस प्रक्रिया की देखरेख के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपने बूथ लेवल एजेंट्स दिए थे। एसआईआर में अब भी समय है कि किसी व्यक्ति या राजनीतिक दल को ऐसा लगता है कि योग्य मतदाता छूट गया है या अयोग्य मतदाता का नाम सूची में है तो वह दावा-आपत्ति कर सकता है। उनके दावे-आपत्ति का निपटारा ईआरओ स्तर से हो जाएगा।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने जानकारी दी कि बूथ लेवल एजेंट्स की पहली बार चुनाव आयोग ने ट्रेनिंग की। बिहार के सभी बूथ लेवल एजेंट्स- 1 की ट्रेनिंग कुछ माह पहले ही दिल्ली में ट्रेनिंग हुई। उसके बाद बूथ लेवल अफसरों की ट्रेनिंग हुई। इसके बाद देशभर के 700 बूथ लेवल सुपरवाइजर-एजेंट्स की ट्रेनिंग की गई। मतदाता सूची के मामले में विशेष गहन पुनरीक्षण बड़ा टास्क था। सभी मतदाताओं के सहयोग के साथ स-समय यह पूरा हुआ। बूथ लेवल अफसरों के साथ तमाम अधिकारी, जो इस काम को करते हैं- उनका मानदेय भी बढ़ाया गया। खास तौर पर एआरओ और एईआरओ को भी मानदेय की व्यवस्था की गई। चुनाव आयोग ने वोटर कार्ड के 15 दिनों के अंदर मिलने की व्यवस्था की। बीएलओ को मतदाता सुगमता से पहचाने जा सकें, इसके लिए आईडी भी दिए गए।
इस बार बूथ के कमरे के ठीक बाहर मतदाताओं को सभी 90 हजार मतदान केंद्रों पर मोबाइल रखने की व्यवस्था रहेगी। वोटर स्लिप में इस बार बूथ की संख्या और पता बड़े फॉन्ट में रखा जा रहा है, ताकि आसानी से पढ़ा जा सके। चुनाव आयोग ने तकनीक का सहारा बहुत पहले से ले रहा है। 40 एप्लिकेशन थे। उसकी जगह अब वन स्टॉप डिजिटल प्लेटफॉर्म लाया गया। बिहार चुनाव में यह प्लेटफॉर्म सक्रिय रहेगा। चूंकि 1500 से ज्यादा मतदाताओं वाले मतदान केंद्रों में लंबी भीड़ रहती थी और परेशानी ज्यादा होती थी, इसलिए अब 1200 से ज्यादा किसी भी बूथ पर वोटर नहीं रहेंगे।
कानून के तहत प्रत्याशी मतदान केंद्र के 100 मीटर के दायरे में भी अपना स्टॉल लगा सकते हैं। अब हर पोलिंग स्टेशन की 100 प्रतिशत वेब कास्टिंग की व्यवस्था की जा रही है, ताकि किसी को किसी तरह का संशय न रहे। ईवीएम में प्रत्याशियों की तस्वीर रंगीन होगी और उनका सीरियल नंबर भी बड़े फॉन्ट में होगा। पहले जब मतगणना होती थी, उसमें ईवीएम-वीवीपैट को लेकर मिसमैच की आशंका रहती थी। कभी-कभी ऐसा होता था। अब ऐसा न हो, इसलिए मैचिंग कराने की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, पोस्टल बैलेट की पूरी गिनती के बाद ही अंतिम ईवीएम की गणना होगी। मतगणना के बाद मीडिया को डिजिटल इंडेक्स कार्ड पहले के मुकाबले जल्दी दिखने लगेगा। कुल 17 नए प्रयास चुनाव आयोग बिहार से कर रहा है।
भारत में चुनाव संविधान, लोक प्रतिनिधित्व कानून और कानून के तहत होते हैं। भारत का चुनाव और चुनाव आयोग दुनिया की सबसे बड़ी व्यवस्था है। आपने देखा कि मतदान केंद्र स्तर पर बीएलओ, उनके ऊपर निर्वाचक पंजीकरण अधिकारी होते हैं। मतदाता सूची बनाने की जिम्मेदारी 243 ईआरओ और 90127 बीएलओ पर थी। 22 साल बाद यहां विशेष गहन पुनरीक्षण किया। अगर कोई गलत नाम आ जाए या किसी का नाम छूट जाए तो उससे ऊपर डीएम के पास अपील और उससे भी नहीं समाधान निकले तो मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील का प्रावधान होता है। इसी तरह से जब चुनाव होते हैं तो चुनाव आयोग हर विधानसभा के लिए एक रिटर्निंग ऑफिसर को नियुक्त करता है। वह अपने क्षेत्र में चुनाव कराते हैं और नियमों का पालन कराते हैं। वोटर लिस्ट बनाना और चुनाव कराना, दो अलग काम है। यह दोनों काम करने वाले अधिकारी चुनाव आयोग के निर्देशों पर काम करते हैं।
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