देश तोड़ना चाहती है डीएमके, कांग्रेस उसके साथ खड़ी
पी. चिदंबरम के बाद मणिशंकर अय्यर का कांग्रेस पर वार
डीएमके का सनातन विरोधी रुख नया नहीं है
कसौली, 13 अक्टूबर (एजेंसियां)। कांग्रेस पार्टी की गलत नीतियों, फैसलों और अपरिपक्व नेतृत्व पर कांग्रेस पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं का प्रहार जारी है। वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने बीते दिन कहा कि अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर 1984 में किया गया ऑपरेश ब्लू-स्टार कांग्रेस पार्टी सरकार का गलत फैसला था और इस गलती का खामियाजा तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपनी जान देकर चुकाना पड़ा। चिदंबरम के बयान के अगले ही दिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस की नीतियों पर हमला बोला और कहा कि कांग्रेस पार्टी तमिलनाडु में डीएमके के साथ खड़ी है, जबकि डीएमके देश को तोड़ने के कुचक्र में लगी है। अय्यर ने कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर भी सीधे उंगली उठाई। अय्यर ने डीएमके को पुराना सनातन विरोधी भी बताया।
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने कहा कि डीएमके की अगुवाई में द्रविड़ ताकतें अलग देश की मांग कर रही है। कांग्रेस पार्टी डीएमके का साथ दे रही है। अय्यर के इस बयान से कांग्रेस की देश को बांटने वाली सोच एक बार फिर उजागर हुई है। कसौली में खुशवंत सिंह साहित्य महोत्सव 2025 के तहत भारत के भविष्य के लिए राजीव गांधी की विरासत के पुनर्मूल्यांकन विषय पर बोलते हुए मणिशंकर अय्यर ने कहा, कोई भी तमिलनाडु को ठीक से नहीं समझता। असल में यह भारत के किसी भी अन्य राज्य जैसा राज्य नहीं है, यही वजह है कि पी चिदंबरम या मैं द्रविड़ ताकतों की मदद के बिना चुनाव नहीं जीत सकते हैं। ये द्रविड़ ताकतें एक सदी से एक अलग भारत चाहती रही हैं। डीएमके इसे लगातार तीव्र करने की कोशिश करती रही है। उल्लेखनीय है कि द्रविड़ ताकतों का जिक्र अक्सर दक्षिण भारत की राजनीति में होता है। खासतौर पर यह तमिलनाडु की मुख्य राजनीतिक विचारधारा है, जो द्रविड़ लोगों के अधिकारों की रक्षा करना चाहती है। द्रविड़ राजनीति की शुरुआत ब्रिटिश भारत में 20 नवंबर 1916 को मद्रास के विक्टोरिया पब्लिक हॉल में जस्टिस पार्टी के गठन के साथ हुई, जिसे सी नटेसा मुदलियार ने टीएम नायर और पी. थेगरया चेट्टी के साथ मिलकर बनाया था।
पूर्व केंद्रीय मंत्री, राजनयिक और लेखक मणिशंकर अय्यर ने कहा कि सनातन धर्म पर डीएमके के रुख को लेकर अनावश्यक हंगामा देश को बेहद खतरनाक स्थिति में ले जा सकता है। डीएमके के सनातन विरोधी रुख में कुछ भी नया नहीं है, सिवाय इसके कि देश में अब प्रधानमंत्री के रूप में सनातन धर्म में आस्था रखने वाला व्यक्ति है। डीएमके वही कह रही है जो वह पिछले कई सालों से कहती आ रही है। अय्यर ने कहा, इसी वजह से मेरे पिता को चेन्नई छोड़कर लाहौर में बसना पड़ा, क्योंकि उन्हें लगा कि वहां नौकरी मिलने की कोई संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, अगर द्रविड़ों को उकसाया जाता रहा, तो देश का पूर्व, पश्चिम और दक्षिण ख़तरे में पड़ जाएगा। इसके अलावा, अगर केंद्र सरकार दक्षिण भारतीयों पर हिंदी थोपने पर अड़ी रही, तो इससे दक्षिण, पूर्व और उत्तर भी ख़तरे में पड़ जाएंगे।
जम्मू-कश्मीर पर अपनाई गई नीति पर सवाल उठाते हुए अय्यर ने कहा कि राज्य के साथ 5 अगस्त, 2019 के बाद से अब तक प्रदर्शित की जा रही नीति से कहीं अधिक विचार और सहानुभूति के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, मुझे डर है कि हम भारत के उत्तर में, कश्मीर में और संभवतः पंजाब में बहुत खतरनाक स्थिति में पहुंचने वाले हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता एक ऐसा विचार है जिसमें अल्पसंख्यकों का ध्यान रखा जाता है। लेकिन अब ऐसा नहीं लगता। संसद में पिछले दिन जो हुआ, वह देश के हालात का संकेत है। उन्होंने कहा कि 20 करोड़ अल्पसंख्यक जन्मजात भारतीय हैं, और उनके साथ वैसा व्यवहार नहीं किया जा रहा जैसा होना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत को एकजुट करना हम सभी के लिए सबसे बड़ा काम है।
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