अब मोबाइल पर नहीं आएंगे स्पैम-कॉल
साइबर अपराध रोकने के लिए केंद्र ने उठाया बड़ा कदम
सीएनएपी से फोन की स्क्रीन पर दिखेगा असली नाम
नई दिल्ली, 09 नवंबर (एजेंसियां)। मोबाइल कॉल से होने वाली धोखाधड़ी और साइबर अपराध को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार के निर्देश पर टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) और डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (दूरसंचार विभाग) ने ऐसी व्यवस्था की है कि उपभोक्ता के फोन पर कोई स्पैम-कॉल न आए और फोन की स्क्रीन पर फोन करने वाले का असली नाम दिखे। जल्द ही मोबाइल यूजर्स को कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन (सीएनएपी) नाम का एक नया फीचर दिया जाएगा। इस नई सुविधा के चलते जब भी कोई कॉल करेगा, मोबाइल की स्क्रीन पर उसका असली नाम दिखाई देगा। यह नाम मोबाइल नंबर का कनेक्शन लेते समय दिए गए दस्तावेजों के आधार पर होगा। इस सुविधा से बढ़ते फर्जी स्पैम-कॉल और धोखाधड़ी से लोगों को बचाना आसान होगा। शुरुआती दौर में केवल 4जी और 5जी नेटवर्क वाले यूजर्स ही इस सुविधा का लाभ उठा पाएंगे। 2जी और 3जी नेटवर्क पर यह फीचर अभी उपलब्ध नहीं होगा। दूरसंचार कंपनियों ने मुंबई और हरियाणा सर्किल में सीएनएपी सेवा का पायलट परीक्षण शुरू कर दिया है। परीक्षण सफल होते ही दूरसंचार विभाग देशभर में चरणबद्ध तरीके से इस सेवा को मार्च 2026 तक लागू कर सकता है।
ट्रू-कॉलर ऐप होने के बावजूद कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन सुविधा शुरू करने का मुख्य कारण सत्यता और विश्वसनीयता है। सीएनएपी दूरसंचार ऑपरेटरों के आधिकारिक केवाईसी डेटाबेस से कॉलर का नाम लेती है। यह वही नाम होता है, जो सिम कार्ड खरीदते समय मोबाइल यूजर ने अपने पहचान पत्र (आधार कार्ड) में दिया होता है। इसलिए नाम सत्यापित और वास्तविक होता है। इसके साथ ही यह सुविधा डिफॉल्ट होगी। यानि अगर कोई व्यक्ति इसे नहीं लेना चाहता, तो वह उसको डिएक्टिवेट भी करा सकेगा। इस सुविधा के लिए किसी ऐप को डाउनलोड करने की आवश्यकता भी नहीं होगी, क्योंकि यह सीधे नेटवर्क स्तर पर काम करेगा।
यह तो सभी जानते हैं कि लोग लंबे समय से किसी अनजान नंबर की जानकारी जैसे कि कॉल करने वाले का नाम, उसका स्थान पता लगाने के लिए, स्पैम और धोखाधड़ी से बचने के लिए ट्रू-कॉलर ऐप का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन ट्रू-कॉलर मुख्य रूप से क्राउडसोर्स (उपयोगकर्ताओं द्वारा दी गई जानकारी) डेटा पर निर्भर करता है, जहां यूजर्स अपने कांटेक्ट लिस्ट के नामों या सुझावों के आधार पर अज्ञात नंबरों को नाम देते हैं। यह जानकारी कभी-कभी गलत, पुरानी या अनौपचारिक हो सकती है। कई बार ट्रू-कॉलर पर केवल नंबर दिखाई देता है, कॉल करने वाला का नाम नहीं दिखता। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि कॉलर ने अपना नाम नहीं डाला हो, किसी ने नंबर को गलत या खाली नाम से सेव किया हो या ऐप में कोई तकनीकी समस्या हो। इसके अलावा, अगर किसी ने हाल ही में अपना प्रोफाइल अपडेट किया है, तो उसमें बदलाव दिखने में 24 घंटे तक का समय लग जाता है। दूसरा यह एक मोबाइल एप्लीकेशन है, जिसे डाउनलोड करने के बाद ही उपयोगकर्ता इसका उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए इंटरनेट का कनेक्शन होना भी जरूरी है।
हालांकि, कुछ दूरसंचार कंपनियों ने नए फीचर को लेकर चिंता जताई है। उनके अनुसार इससे कॉल सेटअप में देरी, निजता का मुद्दा और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। परंतु यह कदम देशभर में स्पैम कॉल्स, धोखाधड़ी और साइबर अपराधों जैसे डिजिटल अरेस्ट और वित्तीय घोटालों को रोकने के लिए उठाया गया है। इससे मोबाइल फोन यूजर्स को पता होगा कि उन्हें कौन कॉल कर रहा है, जिससे वह फर्जी कॉल करने वालों को पहचानने में सक्षम होंगे। यह फैसला दूरसंचार सेवाओं में उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ाएगा। इसके अलावा कॉलिंग नेम प्रेजेंटेशन एक आधिकारिक, सरकार द्वारा सत्यापित सुविधा है, जो ट्रू-कॉलर जैसे ऐप पर निर्भरता कम करेगी। अज्ञात नंबर स्पैम कॉल के लिए अहम हथियार रहे हैं। ऐसे में मोबाइल फोन की स्क्रीन पर नाम दिखाई देने से स्पैमर्स पर लगाम लगाई जा सकेगी।
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