जमीन पर बिछे चिनार के पत्ते लोगों को मंत्रमुग्ध कर रहे
कश्मीर घाटी को शरद ऋतु ने सुनहरे स्वर्ग में बदल दिया
लैवेंडर से होगा पर्यावरण का सौंदर्यीकरण और सुगंधीकरण
सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 09 नवंबर। जैसे ही कश्मीर में शरद ऋतु आती है, घाटी सोने और लाल रंग के एक मंत्रमुग्ध कर देने वाले मिश्रण में बदल जाती है, जिसमें गिरी हुई चिनार की पत्तियां प्रकृति की अपनी कलाकृति की तरह जमीन पर बिछ जाती हैं। श्रीनगर में, गुलदाउदी गार्डन, कश्मीर विश्वविद्यालय का नसीम बाग, निशात श्रीनगर गार्डन, शालीमार गार्डन और चिनार-लाइनेड बुलेवार्ड रोड इस मौसम के आकर्षण के रूप में उभर रहे हैं। शहर भर के उद्यान प्रतिदिन सैकड़ों आगंतुकों को आकर्षित कर रहे हैं, जिनमें परफेक्ट शॉट का पीछा करने वाले फोटोग्राफरों से लेकर सदियों पुराने पेड़ों की छाया के नीचे आराम कर रहे परिवार तक शामिल हैं। चिनार के पत्तों का गिरना कश्मीर के क्लासिक शरद ऋतु के मौसम में एक अनूठा आकर्षण जोड़ता है।
खानयार के एक स्थानीय निवासी का कहना है कि पत्तियों को धीरे-धीरे गिरते हुए देखना सुंदर है, जिससे आसपास का वातावरण सुनहरे और लाल रंग में बदल जाता है। वे कहते है कि पत्तियां, दृश्य, रंग सब कुछ जादुई लगता है। बादामवारी और अन्य उद्यानों के साथ राजसी चिनार का घर, कश्मीर विश्वविद्यालय के नसीम बाग के पास के सुनहरे रास्ते भी आगंतुकों के लिए आकर्षण बन गए हैं। पर्यटकों, छात्रों और स्थानीय परिवारों को तस्वीरें खिंचवाते, पत्तियों को हवा में उछालते और क्षणभंगुर मौसम की यादें कैद करते हुए देखा जा सकता है।
विश्वविद्यालय परिसर में तस्वीरें खिंचवाते हुए एक छात्र मोहम्मद शोएब कहते है, हर साल हम इस पल का इंतजार करते हैं, चिनार के पत्तों से छनकर आने वाली सूरज की रौशनी में जिस तरह से सब कुछ चमकता है वह अद्भुत है। शोएब कहता है, कश्मीर में शरद ऋतु सिर्फ एक मौसम नहीं है, बल्कि यह एक सुंदर एहसास है।
इसी तरह, कई लोगों के लिए, साल का यह समय एक शांत आकर्षण लेकर आता है। श्रीनगर के एक छात्र ने कहा, चिनार हमें याद दिलाते हैं कि अंत भी सुंदर हो सकता है। जैसे ही अक्टूबर समाप्त होता है और नवंबर शुरू होता है, घाटी धीरे-धीरे सर्दियों की शांति के लिए तैयार हो जाती है। निवासी, पर्यटक और प्रकृति प्रेमी चिनार के गिरते पत्तों की सरसराहट का आनंद लेने के लिए पार्कों, बगीचों और पेड़ों से घिरे रास्तों पर इकट्ठा होते हैं।
सौंदर्य के साथ ही फूलों की खुशबू भी पर्यटन को बढ़ावा देने का बेहतरीन जरिया बन रहा है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने बनिहाल और काजीगुंड के बीच जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के 16 किलोमीटर के हिस्से में लैवेंडर का वृक्षारोपण शुरू किया है। एनएचएआई के परियोजना निदेशक, शुभम यादव ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य पर्यावरण-अनुकूल सौंदर्यीकरण को आजीविका सृजन के साथ जोड़ना है। लैवेंडर की खेती से पर्यावरण का सौंदर्यीकरण और सुगंधीकरण दोनों होता है, साथ ही इससे किसानों को लाभ भी होता है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) और भारतीय एकीकृत चिकित्सा संस्थान (आईआईआईएम) के साथ हुए समझौते के तहत 16.26 किलोमीटर लंबे बनिहाल-काजीगुंड खंड में कुल 200 कनाल भूमि को लैवेंडर की खेती के तहत लाया गया है। नॉर्थ पोर्टल पर कुल 23,000 लैवेंडर पौधों की खेती की गई है और साउथ पोर्टल पर 29,000 पौधों की खेती की गई है।
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