यूपी में बिजली की खरीद पर मचा बवाल

खरीद प्रस्ताव पर नियामक आयोग ने रोक लगाई

यूपी में बिजली की खरीद पर मचा बवाल

लखनऊ, 10 नवंबर (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश में बिजली की खरीद को लेकर नया बवाल मच गया है। नवंबर माह में तीन हजार मेगावाट बिजली खरीद समझौता पत्र पर पावर कारपोरेशन अनुमति को नियामक आयोग ने रोक दिया है। कार्पोरेशन से खरीद संबंधी पूरा ब्यौरा तलब किया गया है।

उत्तर प्रदेश में करीब दो साल के अंदर 21 हजार मेगावाट बिजली खरीद संबंधी समझौता पत्र तैयार किए गए हैं। इसमें कुछ की टेंडर प्रक्रिया चल रही है तो कुछ लंबित हैं। इसी बीच पावर कार्पोरेशन ने नियामक आयोग में एक हजार मेगावाट मध्यम पीक समर और दो हजार लांग टर्म पीक समर के लिए खरीद संबंधी समझौता पत्र पेश किया। कार्पोरेशन ने खरीद के लिए अनुमति मांगी। मामले पर सुनवाई करते हुए नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने खरीद समझौता पत्र पर रोक लगा दी है। अब तक बिजली खरीद के लिए तैयार किए गए प्रस्तावप्रक्रियाजरूरत सहित सभी पहलुओं पर जवाब तलब किया है। पूछा है कि पहले पावर कार्पोरेशन बताएं कि इस खरीद का औचित्य क्या हैबिजली खरीद के लिए स्पष्ट योजना क्या है सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी की स्वीकृत ली गई है या नहीं। आयोग ने साफ कहा है कि पूरे मामले में पर्याप्त योजना और समुचित विस्तृत कार्ययोजना बनाकर आयोग के सामने प्रस्तुत किया जाए। खरीद समझौता पत्र पर रोक लगाने का आदेश जारी होते ही पावर कार्पोरेशन में हलचल मची हुई है। क्योंकि बिजली की खरीद निजी कंपनियों से होती है। इस बीच कभी मरम्मत के नाम पर तो कभी अन्य कारण दिखाकर उत्पादन निगम की इकाइयों को बंद रखा गया है।

प्रदेश में करीब दो साल के अंदर 21 हजार मेगावाट बिजली खरीद का प्रस्ताव तैयार किया गया। इसमें कुछ परियोजनाओं के लिए खरीद समझौता पत्र पर हस्ताक्षर होते ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कुछ परियोजनाएं अभी पाइप लाइन में हैं। जिन परियोजनाओं पर टेंडर प्रक्रिया चल रही हैउनमें प्रमुख रूप से 2000 मेगावाट सोलर प्लांट, 2000 मेगावाट पंप स्टोरेज प्लांट, 1600 मेगावाट डीबीएफवो, 375 मेगावाट बैटरी स्टोरेज, 250 मेगावाट बैटरी स्टोरेज, 4000 मेगावाट डीबीएफवो, 3000 मेगावाट पंप स्टोरेज प्लांट, 4000 मेगावाट हाइड्रो पावर शामिल है। अब 1000 मेगावाट मीडियम पावर गर्मी और 2000 मेगावाट लॉन्ग टर्म पीक गर्मी सीजन खरीद संबंधी संबंधी प्रस्ताव तैयार किया गया है।

बिजली खरीद मामले पर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कड़ी आपत्ति जताते हुए पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि एक तरफ 42 जिलों का निजीकरण करने की तैयारी है तो दूसरी तरफ 25 साल के लिए 21 हजार मेगावाट बिजली खरीदी जा रही है। निश्चित तौर पर यह सरकारी धन की बंदरबांट है। उन्होंने पूरे मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यान आकृष्ट कराते हुए सीबीआई अथवा अन्य एजेंसी से जांच कराने की मांग की है। यह भी कहा है कि आखिर मनमानी तरीके से प्रदेश में बिजली खरीद की जरूरत क्यों पड़ रही है। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा लॉन्ग टर्म बिजली खरीद के प्लान के लिए सभी राज्यों को निर्देश किया है। उसके तहत विद्युत नियामक आयोग ने एक कानून भी बनाया हैलेकिन कार्पोरेशन मनमानी तरीके से बिजली खरीद कर रहा हैजिसका खामियाजा किसी न किसी रूप में उपभोक्ताओं को भुगतना पड़ेगा।

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