मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मानव-वन्यजीव संघर्ष रोकने के लिए आठ बिंदुओं वाली योजना को दी मंजूरी
बेंगलुरु, 13 नवंबर (शुभलाभ ब्यूरो)। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य में बढ़ते मानव-वन्यजीव संघर्ष को रोकने के लिए एक आठ-बिंदु कार्ययोजना (Eight Point Action Plan) को मंजूरी दी है। हाल के वर्षों में कर्नाटक के कई जिलों में हाथियों, बाघों और अन्य जंगली जानवरों द्वारा मानव बस्तियों में घुसपैठ और हमलों की घटनाएं बढ़ी हैं, जिससे ग्रामीणों में भय और असंतोष की भावना बढ़ती जा रही है। इस पृष्ठभूमि में मुख्यमंत्री ने राज्य के वन विभाग और पर्यावरण मंत्रालय के साथ उच्चस्तरीय बैठक में नई कार्ययोजना को लागू करने के निर्देश दिए।
इस योजना का उद्देश्य न केवल मानव जीवन और संपत्ति की सुरक्षा सुनिश्चित करना है, बल्कि वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास की रक्षा करते हुए संतुलित पारिस्थितिक तंत्र (ecological balance) बनाए रखना भी है। योजना के अंतर्गत मुख्य बिंदु हैं—
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जंगल सीमा की निगरानी के लिए ड्रोन और कैमरा सिस्टम का उपयोग।
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संवेदनशील इलाकों में तेज़ चेतावनी प्रणाली (Early Warning System) की स्थापना।
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हाथियों और बाघों की गतिविधियों की जीआईएस आधारित ट्रैकिंग।
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वन सुरक्षा चौकियों की संख्या में वृद्धि।
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स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षित कर वन्यजीव मित्र कार्यक्रम से जोड़ना।
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फसलों को बचाने के लिए सौर चालित बाड़ और जैविक अवरोधक लगाना।
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क्षति होने पर त्वरित मुआवज़े की व्यवस्था।
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जनजागरूकता अभियान और स्कूलों में पर्यावरण शिक्षा को बढ़ावा देना।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “मानव-वन्यजीव संघर्ष केवल वन विभाग का विषय नहीं है, बल्कि यह ग्रामीण विकास, पर्यावरण और कृषि से भी जुड़ा हुआ मुद्दा है। हमें साझा प्रयासों से समाधान निकालना होगा।”
कर्नाटक देश के उन राज्यों में से एक है जहाँ हाथियों और बाघों की आबादी सर्वाधिक है। राज्य के नागरहोल, बांदीपुर, बन्नेरघट्टा और बीआरटी जैसे प्रमुख अभयारण्य लगातार जनसंख्या दबाव का सामना कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि वन क्षेत्र सिकुड़ने से जंगली जानवर भोजन और पानी की तलाश में मानव बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं।
सरकार अब इस दिशा में वैज्ञानिक उपायों को बढ़ावा दे रही है। ड्रोन आधारित सर्विलांस से अब तक 600 किलोमीटर जंगल सीमा की निगरानी की जा चुकी है और 2500 से अधिक कैमरे लगाए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि योजना के पहले चरण की प्रगति रिपोर्ट दिसंबर 2025 तक प्रस्तुत की जाए।

