कर्नाटक सरकार ने CSR नीति में बड़ा बदलाव किया

अब स्थानीय स्कूलों व समुदायों पर होगा खर्च

कर्नाटक सरकार ने CSR नीति में बड़ा बदलाव किया

बेंगलुरु, 13 नवंबर (एजेंसियां)। कर्नाटक सरकार ने राज्य में कार्यरत कंपनियों के लिए एक नई कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (CSR) नीति लागू करने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब कंपनियों को अपने CSR फंड का उपयोग राज्य के अंदर स्थित शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास परियोजनाओं पर करना अनिवार्य होगा। मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि “राज्य में कार्यरत उद्योगों को अब स्थानीय समुदायों के विकास में सीधा योगदान देना होगा। यह नीति सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में बड़ा कदम है।”

नई नीति के अनुसार, कंपनियों को अपने CSR फंड का एक बड़ा हिस्सा राज्य के सरकारी स्कूलों, बालिका शिक्षा, डिजिटल लर्निंग, स्वास्थ्य केंद्रों और पर्यावरण परियोजनाओं में लगाना होगा। यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि कर्नाटक सरकार ने हाल ही में राज्य के सरकारी स्कूलों में गुणवत्ता सुधार और शिक्षा के डिजिटलीकरण पर ज़ोर दिया है।

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि इस योजना के अंतर्गत राज्य में 18,000 नए शिक्षकों की भर्ती की जाएगी — जिनमें 11,000 पद सरकारी स्कूलों और 7,000 पद सहायक स्कूलों के लिए होंगे। उन्होंने कहा, “CSR केवल एक औपचारिकता नहीं होनी चाहिए, बल्कि इसे सामाजिक परिवर्तन का माध्यम बनना चाहिए।”

सरकार ने बताया कि कई बड़ी कंपनियाँ — जैसे इंफोसिस, विप्रो, बायोकॉन और टाटा ग्रुप — पहले से ही शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में CSR प्रोजेक्ट चला रही हैं, लेकिन अब यह नीति सभी कंपनियों के लिए लागू होगी जिनका वार्षिक टर्नओवर तय सीमा से अधिक है।

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शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने बताया कि राज्य के 30 जिलों में CSR फंड के जरिए स्कूलों में कंप्यूटर लैब, लाइब्रेरी, स्वच्छ शौचालय, स्मार्ट क्लास और पौष्टिक मिड-डे मील सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी।

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सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि CSR नीति का पालन न करने वाली कंपनियों के खिलाफ जुर्माना और प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की जा सकती है। नीति की निगरानी के लिए एक राज्य स्तरीय समिति बनाई गई है, जो हर छह महीने में रिपोर्ट पेश करेगी।

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विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम शिक्षा और सामाजिक विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को मज़बूत करेगा और ग्रामीण-शहरी असमानता को कम करने में मदद करेगा।