बिहार चुनाव में CPI का सूपड़ा साफ, महागठबंधन की सहयोगी पार्टी एक भी सीट न बचा सकी
पटना, 14 नवंबर (एजेंसी)। बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन को तगड़ा झटका देते हुए उसके घटक दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) का पूरी तरह सूपड़ा साफ हो गया है। भाकपा द्वारा मैदान में उतारे गए सभी नौ उम्मीदवार चुनावी जंग में बुरी तरह हार गए, जिससे उसकी राजनीतिक जमीन और सिकुड़ती दिखाई दी।
भाकपा ने इस चुनाव में तेघड़ा, बखरी (सुरक्षित), बछवाड़ा, राजापाकड़ (सुरक्षित), बिहारशरीफ, बांका, हरलाखी, झंझारपुर और करगहर सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। उम्मीद थी कि महागठबंधन की सामूहिक ताकत और स्थानीय समीकरणों के सहारे पार्टी कम से कम कुछ सीटों पर मुकाबला कर सकेगी, लेकिन परिणाम पूरी तरह उलट साबित हुए। सभी सीटों पर भाकपा प्रत्याशियों को न केवल हार का सामना करना पड़ा, बल्कि कई जगह मुकाबला एकतरफा रहा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार की वर्तमान चुनावी परिस्थितियों में वामपंथी ताकतों की पकड़ लगातार कमजोर होती जा रही है। भाकपा की हार से महागठबंधन की रणनीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, क्योंकि सीट-बंटवारे के दौरान वामपंथी दलों को शामिल करने के फैसले को लेकर पहले ही असंतोष जताया गया था। इसके बावजूद भाकपा को मिली करारी हार विपक्षी खेमे के लिए एक बड़ा संदेश है और यह संकेत भी कि बिहार में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं।
चुनाव नतीजों ने साफ कर दिया है कि भाकपा न तो अपने पारंपरिक मतदाताओं को साध पाई और न ही नए वोटरों में अपनी पकड़ बना सकी। लगातार घटते जनाधार और संगठनात्मक कमजोरी अब पार्टी के भविष्य के लिए गंभीर चुनौती बनकर उभरी है। बिहार की राजनीति में इस परिणाम ने वामपंथी उपस्थिति को और भी सीमित कर दिया है।
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