बागलकोट हिंसा पर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया सख्त, गन्ने से लदे 50 ट्रैक्टर जलाने की घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश

बागलकोट हिंसा पर मुख्यमंत्री सिद्दारमैया सख्त, गन्ने से लदे 50 ट्रैक्टर जलाने की घटना की उच्चस्तरीय जांच के आदेश

बेंगलुरु, 14 नवंबर(एजेंसियां)। कर्नाटक के बागलकोट जिले में गुरुवार रात गन्ने से लदे ट्रैक्टरों में आग लगाने की बड़ी घटना के बाद राज्य की राजनीति और प्रशासन दोनों में हलचल मच गई है। मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने शुक्रवार को इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने हिंसा के दोषियों के खिलाफ "कड़ी और ठोस कार्रवाई" का आश्वासन भी दिया।

बेंगलुरु में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों ने साफ कर दिया है कि वे इस घटना में शामिल नहीं थे। इसलिए यह पता लगाना आवश्यक है कि इतनी बड़ी तोड़फोड़ और आगजनी के पीछे असल सच क्या है। उन्होंने अधिकारियों को बिना किसी दबाव के जांच पूरी कर निष्कर्ष सामने लाने का निर्देश दिया।

मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने दोहराया कि राज्य सरकार ने गन्ने का समर्थन मूल्य 3,300 रुपये प्रति टन तय किया है। अधिकांश गन्ना किसानों ने इस मूल्य को स्वीकार भी कर लिया है। उन्होंने मुधोल क्षेत्र के किसानों से अपील की है कि वे भी इस मूल्य को मानें और अपना आंदोलन वापस लें। मुधोल और आसपास के कुछ इलाकों में किसान चीनी मिलों द्वारा 3,500 रुपये प्रति टन की मांग कर रहे हैं, जिसके चलते विरोध प्रदर्शन जारी है।

हिंसा की घटना गुरुवार रात उस समय हुई जब महालिंगपुरा कस्बे के पास संगनाकट्टी क्रॉस के निकट गन्ने से लदे 50 से अधिक ट्रैक्टरों में आग लगा दी गई। अनुमान है कि हजारों टन गन्ना जलकर नष्ट हो गया। महालिंगपुरा–निप्पनी मार्ग पर एक चीनी मिल के बाहर 200 से ज्यादा ट्रैक्टर खड़े थे, जिनमें से कई वाहनों में भीषण आग लगी। यह स्पष्ट नहीं है कि आगजनी अचानक हुई या किसी समूह द्वारा योजनाबद्ध तरीके से की गई।

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यह मामला अब राजनीतिक विवाद का रूप भी ले रहा है। केंद्रीय भारी उद्योग और इस्पात मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने इस घटना को कांग्रेस सरकार की "बड़ी विफलता" करार देते हुए कहा कि राज्य सरकार किसानों के संकट को संभालने में नाकाम रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि गन्ना किसानों की मांगों को गंभीरता से न लेने का नतीजा यह हिंसा है।

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उधर, मुधोल के किसान पिछले एक सप्ताह से राज्य सरकार के तय समर्थन मूल्य का विरोध कर रहे हैं और केवल मिल मालिकों से वार्ता की मांग पर अड़े हुए हैं। गुरुवार को उन्होंने मुधोल कस्बे में पूर्ण बंद भी लागू किया था।

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फिलहाल, जांच शुरू हो चुकी है और प्रशासन इस बात की तह तक जाने का प्रयास कर रहा है कि इस भीषण आगजनी के पीछे वास्तविक जिम्मेदार कौन हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि चाहे कोई भी हो—दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

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