जुबली हिल्स उपचुनाव में कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत
वोट शेयर 50.8% पर पहुँचा, बीआरएस पिछड़ी, भाजपा 8.7% पर सिमटी
हैदराबाद, 14 नवम्बर (एजेंसियां)। हैदराबाद के प्रतिष्ठित और उच्च-प्रोफ़ाइल माने जाने वाले जुबली हिल्स विधानसभा क्षेत्र ने इस बार के उपचुनाव में एक बड़ा राजनीतिक संदेश दिया है। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने यहां रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन करते हुए न सिर्फ जीत दर्ज की बल्कि अपने वोट शेयर को 50.8% तक पहुंचाकर इतिहास रच दिया। यह इस सीट पर कांग्रेस का अब तक का सबसे बड़ा चुनावी प्रदर्शन माना जा रहा है। दूसरी ओर, बीआरएस और भाजपा दोनों पार्टियों को इस उपचुनाव में करारा झटका लगा है, जिससे शहर की राजनीति का संतुलन बदलता हुआ नज़र आ रहा है।
कांग्रेस के उम्मीदवार वी. नवीन यादव ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को बड़े अंतर से पराजित कर लगभग 98,988 वोट हासिल किए। वहीं, बीआरएस की उम्मीदवार मागंती सुनीता को करीब 74,259 वोट मिले। दोनों उम्मीदवारों के बीच यह अंतर कांग्रेस के बढ़ते जनसमर्थन और मतदाताओं के बदलते रुख को स्पष्ट दिखाता है। भाजपा इस मुकाबले में पिछड़कर मात्र 8.7% वोट शेयर तक सिमट गई, जिससे साफ है कि शहरी सीट पर पार्टी अभी भी मजबूत पकड़ नहीं बना पाई है।
विश्लेषण बताते हैं कि इस चुनाव में कांग्रेस के पक्ष में कई कारक काम करते दिखे। पिछली बार भी कांग्रेस इस सीट पर अच्छा प्रदर्शन कर रही थी—विधानसभा में उनका वोट शेयर 39.4% था, जो लोकसभा चुनाव में बढ़कर 40.1% हो गया था। इस उपचुनाव में इसे 50% से ऊपर पहुंचाना कांग्रेस की रणनीति, मजबूत जमीनी नेटवर्क और सही उम्मीदवार चयन का परिणाम माना जा रहा है।
बीआरएस के लिए यह परिणाम चिंता का विषय है। कभी हैदराबाद के कई शहरी क्षेत्रों में मजबूत पकड़ रखने वाली यह पार्टी अब गिरावट के दौर में दिखाई दे रही है। संगठनात्मक कमजोरी, स्थानीय स्तर के मुद्दों पर फोकस की कमी और विपक्ष के बढ़ते प्रभाव ने पार्टी की स्थिति को कमजोर कर दिया। वहीं भाजपा के लिए यह उपचुनाव एक संकेत है कि उनकी शहरी उपस्थिति अभी भी सीमित है और संगठन स्तर पर व्यापक सुधार की आवश्यकता है।
जुबली हिल्स जैसा शहरी, आधुनिक और उच्च-वर्गीय मतदाता वाला क्षेत्र इस बार 'परिवर्तन' की ओर झुका दिखा। जातीय व पारंपरिक समीकरणों से ऊपर उठकर मतदाताओं ने विकास, जनसंपर्क, सेवा-सुविधाओं और उत्तरदायित्व को प्राथमिकता दी। यह रुझान आगे चलकर हैदराबाद की शहरी राजनीति में बड़े परिवर्तनों की नींव तय कर सकता है।
कांग्रेस की यह जीत सिर्फ एक सीट का हासिल नहीं, बल्कि शहरी राजनीति में नए समीकरणों के निर्माण का संकेत है। बीआरएस और भाजपा दोनों के लिए यह परिणाम यह समझने का अवसर है कि बदलते समय में नए जनादेश को कैसे पढ़ा जाए। वहीं कांग्रेस इसे आने वाले चुनावों में अपने लिए मनोबल बढ़ाने वाली बड़ी उपलब्धि के रूप में देख रही है।

