IT Tower विवाद, मूसाखान नदी प्रोजेक्ट में देरी और पुरानी बस्तियों में पुलिस कार्रवाई से बढ़ी हलचल
हैदराबाद में राजनीतिक तापमान तेज
हैदराबाद, 11 नवम्बर। दक्षिण भारत की राजनीतिक राजधानी माने जाने वाले हैदराबाद में इन दिनों माहौल तेजी से गरमाता दिख रहा है। एक ओर आईटी सेक्टर में भारी निवेश की घोषणाएँ हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर नए आईटी टावर प्रोजेक्ट, मूसाखान नदी पुनरुद्धार योजना और पुरानी बस्तियों में सुरक्षा कार्रवाई को लेकर विवाद गहरा रहा है। इसके साथ ही आगामी शहरी प्रशासन चुनावों की सुगबुगाहट ने राजनीतिक दलों में नई हलचल पैदा कर दी है। शहर की राजनीति, प्रशासनिक व्यवस्था और विकास योजनाओं के बीच कई ऐसे मुद्दे सामने आए हैं जो न केवल सत्ता पक्ष बल्कि विपक्ष दोनों की रणनीतियों को प्रभावित कर सकते हैं।
हैदराबाद में सबसे बड़ा विवाद नए आईटी टावर प्रोजेक्ट को लेकर खड़ा हो गया है। सरकार का दावा है कि यह प्रोजेक्ट अगले तीन वर्षों में 70,000 से अधिक नौकरियाँ पैदा करेगा, लेकिन विपक्ष आरोप लगा रहा है कि जमीन आवंटन में बड़े पैमाने पर अनियमितताएँ की गई हैं। कांग्रेस और बीजेपी का कहना है कि आईटी टावर के लिए चुनी गई जमीन भारी कीमत पर खरीदी गई थी और इससे सरकारी खजाने को नुकसान पहुँचा। इसके विपरीत सत्ताधारी बीआरएस नेताओं का कहना है कि यह प्रोजेक्ट हैदराबाद की वैश्विक छवि को मजबूत करेगा, निवेश के नए अवसर खोलेगा और शहर को दक्षिण एशिया के सबसे बड़े टेक हब में बदल देगा।
नया विवाद मूसाखान नदी पुनरुद्धार परियोजना को लेकर भी सामने आया है। सरकार ने वर्ष 2022 में इस नदी को प्रदूषणमुक्त करने और उसके किनारों पर ग्रीन कॉरिडोर बनाने का वादा किया था, लेकिन परियोजना की गति बेहद धीमी बताई जा रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नदी पर अब भी औद्योगिक कचरा और सीवेज का बहाव जारी है। कई क्षेत्रों में दुर्गंध इतनी बढ़ गई है कि आसपास रहने वाले लोगों का जीवन प्रभावित हो रहा है। पर्यावरण संगठनों ने सरकार पर आरोप लगाया है कि इस परियोजना को बजट आवंटन होने के बावजूद कार्यवाही जानबूझकर धीमी रखी गई है। दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि तकनीकी कारणों और भूमि अधिग्रहण से जुड़े विवाद के कारण देरी हुई, और परियोजना अगले वर्ष तक पूरा कर दी जाएगी।
जबकि इन विकास विवादों के बीच, पुरानी बस्तियों में सुरक्षा को लेकर पुलिस की विशेष कार्रवाई ने शहर के सामाजिक माहौल को एक बार फिर संवेदनशील बना दिया है। चारमीनार, फलकनुमा, याकूतपुरा और भाग्यनगर जैसी जगहों पर पुलिस ने अवैध हथियारों और ड्रग्स की तस्करी के आरोप में विशेष छापेमारी की। पुलिस का दावा है कि छापेमारी पूरी तरह खुफिया इनपुट के आधार पर की गई है और कई गैंगों का आपसी गठजोड़ तोड़ने में उन्हें सफलता मिली है। हालाँकि, कुछ स्थानीय संगठनों ने आरोप लगाया कि छापेमारी के दौरान पुलिस ने सामान्य नागरिकों को परेशान किया और कुछ जगहों पर बिना वारंट तलाशी ली गई। इन आरोपों ने राजनीतिक दलों को भी सक्रिय कर दिया है। विपक्ष ने पुलिस पर पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के आरोप लगाए जबकि सत्ताधारी दल का कहना है कि सुरक्षा के मामले में सरकार किसी प्रकार का समझौता नहीं कर सकती।
इन सभी विवादों के बीच नगर निगम चुनावों की तैयारियाँ भी तेजी पकड़ रही हैं, जिसके कारण हर दल इस समय सबसे अधिक सक्रिय है। बीआरएस विकास योजनाओं को अपनी सबसे बड़ी उपलब्धि के रूप में पेश कर रहा है, जबकि बीजेपी और कांग्रेस भ्रष्टाचार और प्रशासनिक लापरवाही को मुद्दा बना रही हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आईटी टावर केस, मूसाखान नदी प्रोजेक्ट और पुरानी बस्तियों में पुलिस कार्रवाई तीन ऐसे मुद्दे हैं जो चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। शहर में बढ़ती जनसंख्या, यातायात अव्यवस्था, पानी के संकट और लगातार बढ़ती महँगाई भी ऐसे मुद्दे हैं जिन पर आम जनता के बीच नाराजगी बढ़ रही है।
हैदराबाद अपनी विकास गति, राजनीतिक संघर्ष और सांस्कृतिक विविधता के कारण हमेशा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में रहता है, लेकिन इस बार शहर की समस्याएँ और राजनीतिक तनाव जिस गति से बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए आगामी चुनाव बेहद दिलचस्प होने जा रहे हैं। आईटी, उद्योग, इंफ्रास्ट्रक्चर, सुरक्षा और पर्यावरण के मुद्दों पर शहर का भविष्य तय होगा और इन मामलों में जनता की राय सरकार के लिए सबसे बड़ी परीक्षा साबित हो सकती है।
हैशटैग (कॉमा से अलग):
#HyderabadNews, #HyderabadPolitics, #HyderabadDevelopment, #HyderabadIT, #MusiRiver, #HyderabadPoliceAction, #OldCityHyderabad, #BRS, #HyderabadElections, #HyderabadInfrastructure, #HyderabadLatestUpdate

