पुतिन-ली कियांग मुलाकात: व्यापार, कूटनीति में नई उड़ान, दोनों देशों के बीच 'अभूतपूर्व' सहयोग

पुतिन-ली कियांग मुलाकात: व्यापार, कूटनीति में नई उड़ान, दोनों देशों के बीच 'अभूतपूर्व' सहयोग

मॉस्को/बीजिंग, 20 नवंबर(एजेंसियां)।रूस और चीन के बीच रणनीतिक साझेदारी एक नए शिखर पर पहुंच गई है। 18 नवंबर को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग के बीच हुई महत्वपूर्ण मुलाकात ने दोनों देशों के बीच बढ़ते राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक रिश्तों को नई दिशा दी। रूसी विदेश मंत्रालय ने इस मुलाकात को दोनों देशों के रिश्तों के इतिहास का "सबसे मज़बूत दौर" बताया है। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि रूस और चीन के बीच सहयोग अब "अभूतपूर्व" स्तर पर है और यह साझेदारी वैश्विक भू-राजनीतिक संतुलन को बदलने की क्षमता रखती है।

बैठक के दौरान पुतिन ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के तहत रूस और चीन के आपसी सहयोग को बेहद अहम बताया। उन्होंने कहा कि एससीओ न केवल एक बहुध्रुवीय अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, बल्कि यह वैश्विक दक्षिण के देशों को भी एक साझा मंच प्रदान कर रहा है, जिससे एक खुली, स्थिर और भेदभाव-रहित वैश्विक व्यापार प्रणाली को मजबूती मिल रही है। पुतिन के अनुसार, इस वर्ष एससीओ शिखर सम्मेलन में चीन की अध्यक्षता ऐतिहासिक रही और रूस द्वारा दिए गए योगदान ने चीन के प्रयासों को स्वाभाविक रूप से पूरक बनाया।

पुतिन ने अपनी बातचीत के दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ कई महत्वपूर्ण मुलाकातों को याद किया। उन्होंने तियानजिन और बीजिंग की अपनी यात्राओं का उल्लेख करते हुए कहा कि द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति और चीन की जीत के 80 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रमों में शी जिनपिंग के साथ हुई उनकी बातचीत बेहद महत्वपूर्ण और प्रेरक रही। उन्होंने ली कियांग से अनुरोध किया कि वे उनकी ओर से राष्ट्रपति शी जिनपिंग को "हार्दिक शुभकामनाएं" और व्यक्तिगत अभिवादन पहुंचाएं।

रूस-चीन संबंधों को लेकर पुतिन ने स्पष्ट किया कि यह साझेदारी किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच के रिश्ते समानता, पारस्परिक लाभ और एक-दूसरे के मूल हितों के सम्मान पर आधारित हैं। यही कारण है कि यह संबंध आज न केवल उनके इतिहास के सर्वोत्तम दौर में हैं, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुके हैं। पुतिन ने इस रिश्ते को एक “नए युग” में प्रवेश बताते हुए कहा कि यह साझेदारी आने वाले वर्षों में और अधिक विस्तार लेने वाली है।

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आर्थिक संबंधों पर बात करते हुए पुतिन ने बताया कि वर्ष 2024 दोनों देशों के द्विपक्षीय व्यापार के लिए ऐतिहासिक रहा। रूस और चीन के बीच व्यापारिक आंकड़े अपने सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गए, और दोनों देश अब इस गति को आगे बढ़ाने पर केंद्रित हैं। पुतिन ने जोर देकर कहा कि बाहरी नकारात्मक दबावों और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के बीच रूस और चीन का आर्थिक-सहयोग ढांचा अत्यंत भरोसेमंद और सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि दोनों देश दीर्घकालिक योजनाओं के तहत ऊर्जा, तकनीक, कृषि, निवेश और बुनियादी ढांचे के क्षेत्रों में तेजी से काम कर रहे हैं।

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बैठक के दौरान ली कियांग ने भी रूस-चीन सहयोग की मजबूती का उल्लेख किया और कहा कि दोनों देश वर्तमान विश्व व्यवस्था की उथल-पुथल के बीच स्थिरता के स्तंभ की तरह खड़े हैं। उन्होंने आर्थिक और कूटनीतिक क्षेत्रों में सहयोग को और व्यापक बनाने का भरोसा दिलाया।

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भू-राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, रूस और चीन की यह बढ़ती निकटता वैश्विक शक्ति-संतुलन को सीधे प्रभावित कर रही है। पश्चिमी देशों की नीतियों और प्रतिबंधों के बीच रूस और चीन एक-दूसरे के सबसे विश्वसनीय साझेदार बनकर उभरे हैं। एससीओ, ब्रिक्स और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर दोनों देशों की बढ़ती सक्रियता इस सहयोग को और गहरा करेगी।

पुतिन-ली कियांग मुलाकात न केवल द्विपक्षीय रिश्तों का प्रतीक है, बल्कि यह दुनिया में नए शक्ति-केन्द्रों की उभरती तस्वीर को भी दर्शाती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले वर्षों में रूस-चीन की साझेदारी वैश्विक अर्थव्यवस्था और कूटनीति में निर्णायक भूमिका निभाएगी।


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