अमेरिकी प्रतिबंध से पाकिस्तान का मिसाइल कार्यक्रम रुका

पाकिस्तान के संवेदनशील उपक्रम एनडीसी समेत कई संस्थाओं पर प्रतिबंध

 अमेरिकी प्रतिबंध से पाकिस्तान का मिसाइल कार्यक्रम रुका

अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक कार्यक्रम को खतरा बताया

नई दिल्ली, 23 दिसंबर (एजेंसियां)। अमेरिका ने पाकिस्तान के सरकारी स्वामित्व वाले नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स (एनडीसी) सहित कई पाकिस्तानी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस प्रतिबंध ने अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों में और तनाव पैदा कर दिया है। अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा लगाए गए इस प्रतिबंध का सीधा असर पाकिस्तान के लंबी दूरी के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर पड़ेगा। अमेरिका ने पाकिस्तान के बैलिस्टिक कार्यक्रम को जोखिम से भरा और क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्थिरता के लिए संभावित खतरा बताया है।

एनडीसी को पाकिस्तान की शाहीन श्रृंखला की बैलिस्टिक मिसाइलों के विकास का केंद्र माना जाता है। एनडीसी समेत कई अन्य ऐसे ही संवेदनशील प्रतिष्ठानों पर लगाए गए अमेरिकी प्रतिबंध से इनकी अंतरराष्ट्रीय सम्पत्तियां और वित्तीय लेन-देन सब फ्रीज हो जाएंगे। पाकिस्तान पर अमेरिकी प्रतिबंध के निर्णय पर अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन फाइनर ने कहा कि लंबी दूरी की मिसाइल प्रौद्योगिकी में पाकिस्तान की प्रगति और इसके पीछे पाकिस्तान के इरादों के बारे में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने गंभीर चिंता जताई, जिसे ध्यान में रखते हुए अमेरिकी प्रशासन ने प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया।

पाकिस्तान के महत्वपूर्ण सामरिक तकनीकी उपक्रम नेशनल डेवलपमेंट कॉम्प्लेक्स (एनडीसी) के साथ-साथ कराची स्थित तीन कंपनियों अख्तर एंड संस प्राइवेट लिमिटेड, एफिलिएट्स इंटरनेशनल और रॉकसाइड एंटरप्राइज पर भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया है, क्योंकि ये कंपनियां पाकिस्तान के मिसाइल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने में सक्रिय भूमिका निभा रही थीं। इन संस्थाओं पर लंबी दूरी की बैलिस्टिक प्रणालियों के विकास के लिए महत्वपूर्ण उन्नत रॉकेट-मोटर परीक्षण उपकरण और अन्य तकनीकों तक पाकिस्तान की पहुंच को सुगम बनाने का गंभीर आरोप है।

यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम को लेकर दंडात्मक कदम उठाए हैं। इस साल की शुरुआत में, पाकिस्तान की मिसाइल प्रौद्योगिकी पहल में सहायता करने के लिए एक चीनी शोध संस्थान सहित कई विदेशी संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाए गए थे। इस तरह की कार्रवाइयां इस्लामाबाद के मिसाइल शस्त्रागार में तकनीकी प्रगति को लेकर वाशिंगटन की बढ़ती चिंता को रेखांकित करती हैं। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने 19 दिसंबर को इन चिंताओं को पुख्ता करते हुए कहा था कि हथियारों के प्रसार के विरोध में अमेरिका का स्टैंड स्पष्ट और सुसंगत रहा है। प्रतिबंध पर पाकिस्तान की तरफ से आई प्रतिक्रिया के जवाब में मिलर ने पाकिस्तानी आरोपों को निराधार बताया और कहा कि हथियारों के प्रसार के मामले में अमेरिका दोहरे मापदंड नहीं अपनाता, लेकिन इस बात पर नजर जरूर रखता है कि हथियारों का बेजा और आतंकी इस्तेमाल न हो।

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पाकिस्तान ने कहा है कि इन प्रतिबंधों से क्षेत्र की रणनीतिक स्थिरता पर खतरनाक प्रभाव पड़ सकता है। पाकिस्तान की प्रतिक्रिया को रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ इस्लामाबाद की बौखलाहट और उसकी गहरी निराशा मानते हैं। इस बौखलाहट का मतलब ही है कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों को विकसित करने के साथ-साथ इस्लामिक ताकतों को उसकी तकनीक मुहैया कराने की भी हरकतों में लगा था। यही वजह है कि परमाणु अप्रसार के सिद्धांतों के तहत लगाए गए प्रतिबंध से पाकिस्तान परेशान हो उठा। अमेरिका या अन्य विकसित देश यह जानते हैं कि ऐसा खतरा भारत से कतई नहीं है, इसीलिए अमेरिका समेत कई विकसित देशों से भारत को उन्नत सैन्य हथियार और तकनीक मिलना जारी है।

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अमेरिका ने ये प्रतिबंध ऐसे समय में लगाए गए हैं जब पाकिस्तान पहले से ही गंभीर आर्थिक और राजनीतिक संकटों से जूझ रहा है। देश की बिगड़ती अर्थव्यवस्था और आंतरिक राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह बाहरी दबावों को लेकर विशेष रूप से संवेदनशील है। पाकिस्तान के महत्वपूर्ण रक्षा और वाणिज्यिक क्षेत्रों को लक्षित करने वाले अमेरिकी प्रतिबंध से पाकिस्तान की सैन्य तैयारी और रणनीतिक सक्रियता मुश्किल में पड़ गई है। पाकिस्तान यह मानता है कि क्षेत्रीय शक्ति संतुलन बनाए रखने के लिए उसका मिसाइल कार्यक्रम जरूरी है। भारत की बढ़ती पारंपरिक सैन्य क्षमता और आधुनिक परमाणु क्षमता से पाकिस्तान चिंतित है। अमेरिका और दूसरे पश्चिमी देशों के साथ साझेदारी के जरिए भारत द्वारा अपने सैन्य शस्त्रागार का तेजी से आधुनिकीकरण करना लंबे समय से इस्लामाबाद के लिए चिंता का विषय रहा है। इस संदर्भ में, पाकिस्तान में शाहीन सीरीज जैसी लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों का विकास एक जरूरी जवाबी उपाय के तौर पर देखा जाता है। अमेरिकी प्रतिबंध से इस जवाबी उपाय पर निश्चित संकट खड़ा हो गया है।

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रक्षा विशेषज्ञ मानते हैं कि अमेरिका की चिंता केवल दक्षिण एशिया ही नहीं है। अमेरिका का तर्क और उसकी चिंता है कि पाकिस्तान के मिसाइल कार्यक्रम के घातक वैश्विक परिणाम हो सकते हैं, क्योंकि इस बात का पूरा अंदेशा है कि पाकिस्तान परमाणु तकनीक को अन्य देशों या गैर-सरकारी ताकतों के साथ साझा कर सकता है। विश्व की यह चिंता पाकिस्तान के प्रसार-संबंधी विवादों के इतिहास से और बढ़ जाती है, जिसमें कुख्यात एक्यू खान नेटवर्क की कट्टर इस्लामिक शक्तियों के लिए परमाणु तकनीक की तस्करी की हरकतें शामिल है। पाकिस्तान द्वारा आतंकवादी समूहों को पनाह देने और इस्लामाबाद की बीजिंग के साथ बढ़ती संदेहास्पद नजदीकियों ने भी विश्व की चिंता में इजाफा किया है। हालांकि अमेरिकी प्रतिबंध से बौखलाया पाकिस्तान चीन से और नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करेगा। चीन पहले से ही पाकिस्तान को महत्वपूर्ण सैन्य और आर्थिक सहायता प्रदान कर रहा है।

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