शौर्य का रंग दिखा रही यह नायाब दोस्ती...
ऑपरेशन सिंदूर में मित्र राष्ट्र के हथियार ने भी दिया साथ
रूस और इजराइल के हथियारों ने किए कई कारनामे
नई दिल्ली, 15 मई (एजेंसियां)। ऑपरेशन सिंदूर में भारत के रूस और इजराइल जैसे मित्र राष्ट्रों से मिले हथियारों ने बेहतरीन कारनामे किए। भारत और रूस की साझीदारी में तैयार ब्रह्मोस मिसाइलों ने पाकिस्तान को धूल चटवा दिया। रूस के एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम के कमाल से भी पूरी दुनिया परिचित हुई। एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम की कामयाबी देखते हुए भारत ने अब रूस से इसकी नई खेप मंगवाई है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान रूसी एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली ने अपनी असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया। यह सिस्टम 600 किमी तक लक्ष्यों को ट्रैक कर और 400 किमी की रेंज में उन्हें नष्ट करने की दक्षता का परिचय दिया।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की अहम भूमिका देखते हुए भारत ने रूस से इसकी अतिरिक्त यूनिट्स की मांग की है। रूस में बना एस-400 सिस्टम भारतीय सेना में पहले से ही तैनात है। हाल के संघर्ष के दौरान पाकिस्तान की ओर से दागी गई मिसाइलों और ड्रोनों को रोकने में इसने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रूस का एस-400 एयर डिफेंस सिस्टम विश्व की सबसे उन्नत प्रणालियों में से एक है, जिसे विभिन्न हवाई खतरों जैसे विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सिस्टम 600 किमी तक टारगेट को ट्रैक और 400 किमी की रेंज में उन्हें नष्ट कर सकता है। इसका अपडेटेड फेज्ड ऐरे रडार एक साथ 100 से अधिक लक्ष्यों को ट्रैक करता है। एस-400 चार प्रकार की मिसाइलें दाग सकता है, जो विभिन्न दूरी और ऊंचाई पर खतरों का मुकाबला करती हैं। भारत ने 2018 में रूस के साथ 5.43 बिलियन डॉलर में पांच एस-400 यूनिट्स का सौदा किया था, जिनमें से पहली 2021 में पंजाब में तैनात की गई थी।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की ओर से दागी गई मिसाइलों और ड्रोनों को रोकने और विफल करने में एस-400 की सटीकता काम आई। एस-400 के चलते पाकिस्तानी जेट विमानों और मिसाइलों को मिशन रद्द करने या मार्ग बदलने के लिए मजबूर होना पड़ा। ऐसी स्थिति में उसके हमले की योजनाओं को गंभीर झटका लगा। एस-400 ने पश्चिमी सीमा से आने वाले हवाई खतरों को त्वरित और प्रभावी ढंग से नष्ट किया, जिससे भारत की रक्षा क्षमता मजबूत हुई। इस शानदार प्रदर्शन ने ही भारत को अतिरिक्त एस-400 यूनिट्स के लिए रूस से मांग करने के लिए प्रेरित किया। एस-400 की तैनाती ने न केवल भारत के रक्षा ढांचे को मजबूती दी, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता में भी योगदान दिया।
ऑपरेशन सिंदूर में इजराइली हथियारों ने भी भारत की ताकत बढ़ाई। बराक-8 मिसाइल ने पाकिस्तान की फतह-11 मिसाइल को हरियाणा के सिरसा में रोका, जबकि हारोप ड्रोन ने लाहौर के एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर दिया। ऑपरेशन सिंदूर में इजराइल के बने अत्याधुनिक हथियारों का खूब इस्तेमाल हुआ, जिसने भारत और इजराइल की गहरी दोस्ती और रक्षा सहयोग को दुनिया के सामने दिखाया। भारत ने पाकिस्तान के सैन्य ठिकानों पर हमला करने और उनकी मिसाइलों व ड्रोनों को नाकाम करने के लिए इजराइल, रूस और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों का शानदार इस्तेमाल किया। इस ऑपरेशन में भारत ने अपनी तकनीकी ताकत का परिचय दिया। भारत, इजराइल, अमेरिका, रूस और फ्रांस जैसे देशों से हथियार खरीदने वाला दुनिया का एक बड़ा देश है।
ऑपरेशन सिंदूर में इजराइल के हारोप ड्रोन ने पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणालियों पर सटीक हमले किए। इसे आत्मघाती या कामिकेज ड्रोन कहते हैं, जो रडार को खोजकर नष्ट करने में माहिर है। इन ड्रोनों ने पाकिस्तान के कई अहम ठिकानों पर हमला किया, जिसमें लाहौर की एक बड़ी वायु रक्षा सुविधा को तबाह कर दिया। भारत ने पुष्टि की कि उसकी मानवरहित हवाई प्रणालियों और वायु रक्षा ग्रिड ने कई पाकिस्तानी ड्रोन, हथियारों और मिसाइलों को नष्ट किया, जो पठानकोट और श्रीनगर जैसे 15 भारतीय वायुसेना ठिकानों को निशाना बना रहे थे। भारत ने 2009 से 2019 के बीच इजराइल से कम से कम 25 हारोप ड्रोन खरीदे, जो अब सक्रिय हैं और इस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज का हारोप ड्रोन और मिसाइल की खूबियों को विकसित किया गया है। यह वायु रक्षा इकाइयों और रडार जैसे बड़े लक्ष्यों को खुद खोजकर नष्ट कर सकता है। इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज की रिपोर्ट के मुताबिक, हारोप भारत की मानव रहित सटीक हमला करने की क्षमता का अहम हिस्सा है। हारोप एक सटीक आत्मघाती ड्रोन है, जिसे गहरे हमलों के लिए बनाया गया है। यह इलेक्ट्रो-ऑप्टिक सीकर की मदद से अलग-अलग दिशाओं से लक्ष्य को पहचान सकता है और नौ घंटे तक हवा में रह सकता है। यह सैटेलाइट जैमिंग और युद्धक्षेत्र में मानवीय दखल के खिलाफ मजबूत है, जिससे मुश्किल हालात में भी यह काम करने में सक्षम बना रहा है। 50 पाउंड के वारहेड से लैस हारोप, कैमरा और ऑपरेटर की मदद से चलते लक्ष्यों को ट्रैक कर सकता है या रेडिएशन सीकर से रडार साइट्स को खुद निशाना बना सकता है। अगर रडार पहले सक्रिय होकर बंद हो जाए, तो हारोप उसकी आखिरी जगह पर जाकर इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल तकनीक से उसे खोज कर नष्ट कर देता है। यह स्थिर और गतिशील दोनों तरह के जमीन पर मौजूद लक्ष्यों को निशाना बना सकता है।
हारोप को ट्रक, मोबाइल प्लेटफॉर्म या नौसैनिक जहाजों से लॉन्च किया जा सकता है और यह 600 किलोमीटर की दूरी या छह घंटे तक उड़ सकता है। इसे ऑपरेटर नियंत्रित कर सकता है या यह पूरी तरह ऑटोमेटिक तरीके से भी काम कर सकता है। हेरॉन एमके-2 एक उन्नत मध्यम-ऊंचाई, लंबी उड़ान वाला ड्रोन है, जिसे इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने विकसित किया है। यह भारतीय वायुसेना और सेना की निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने में मदद करता है। नवंबर 2022 में भारतीय सेना ने दो हेरॉन एमके-2 शामिल किए, जबकि सितंबर 2023 तक पूर्वोत्तर में दो और तैनात किए। अगस्त 2023 में भारतीय वायुसेना ने चार और नवंबर में दो और खरीदे। यह ड्रोन 32,000 फीट की ऊंचाई पर उड़ सकता है और 35,000 फीट तक जा सकता है। यह 40 घंटे से ज्यादा उड़ान भर सकता है, जिससे सीमा पर दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने और खुफिया जानकारी जुटाने में बहुत प्रभावी है। इसकी पेलोड क्षमता 500 किलोग्राम है, जिसमें उन्नत सेंसर, कैमरे और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरण लगाए जा सकते हैं।
यह ड्रोन दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखने, समय से चेतावनी देने और युद्ध क्षति का आकलन करने में अहम भूमिका निभाता है। इसकी ऊंची उड़ान और लंबी अवधि की क्षमता इसे ज्यादातर जमीन आधारित खतरों से दूर रखती है, जिससे यह भारतीय वायुसेना की रणनीतिक ताकत बन गया है। स्कूल स्ट्राइकर ड्रोन को इजराइल की एल्बिट सिक्योरिटी सिस्टम्स ने भारत की अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर बनाया है। इसे 2021 में भारतीय सेना में शामिल किया गया। ऑपरेशन सिंदूर में इन ड्रोनों का इस्तेमाल हुआ। इसे लॉयटरिंग म्युनिशन कहते हैं और इसे बेंगलुरु के पश्चिमी हिस्से में बनाया गया है।
यह ड्रोन मिसाइल की तरह हमला करता है, लेकिन यूएवी की तरह उड़ता है। यह सटीक हथियार है, जिसे मैन्युअल या स्वायत्त रूप से चलाया जा सकता है। यह लक्ष्य क्षेत्र में मंडरा कर लक्ष्यों को खोजता और नष्ट करता है। इसका कम शोर और कम ऊंचाई पर सीक्रेट तरीके से उड़ान इसे खुफिया कामों के लिए आदर्श बनाती है। इसकी रेंज 100 किलोमीटर है और इसमें 5 से 10 किलोग्राम का बम होता है। स्कूल स्ट्राइकर का इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन इसे सीक्रेट ऑपरेशनों के लिए बेहतर बनाता है। यह ऑपरेटर द्वारा बताए गए लक्ष्यों को खोजकर उन पर हमला कर सकता है। जीपीएस या कनेक्टिविटी न होने पर भी यह सटीक हमले कर सकता है। अगर कोई लक्ष्य न मिले, तो यह ऑपरेटर को सुरक्षित वापस लौटने या हमला रोकने की सुविधा देता है।
यह ड्रोन लंबी दूरी के सटीक हमलों के लिए किफायती यानी सस्ता भी है और जमीनी सेना को एयर फायर मिशनों में मदद करता है। बालाकोट हमले के बाद भारतीय सेना ने इमरजेंसी खरीदी के तहत 100 स्काई स्ट्राइकर ड्रोन खरीदे। पाकिस्तान ने दिल्ली पर फतह-11 बैलिस्टिक मिसाइल दागी, लेकिन भारत की बराक-8 मिसाइल रक्षा प्रणाली ने इसे हरियाणा के सिरसा में रोक दिया। बराक-8 को भारत और इजराइल ने मिलकर बनाया है। यह लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल है, जिसकी रेंज 70 किलोमीटर है और इसे 100 किलोमीटर तक बढ़ाया जा सकता है।
बराक को डीआरडीओ और इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने मिलकर संयुक्त रूप से विकसित किया। बराक का मतलब हिब्रू में बिजली होता है। यह मिसाइल मोबाइल लॉन्चर से नौसेना के जहाजों या जमीन पर इस्तेमाल हो सकती है। 275 किलोग्राम की यह मिसाइल 60 किलोग्राम का वारहेड ले जाती है, जो लक्ष्य के पास विस्फोट करता है। इसमें दोहरी पल्स रॉकेट मोटर और थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल है, जो इसे मैक 2 की गति देता है। बराक-8 में दो तरफा डेटा लिंक, डिजिटल रडार, RF सेंसर और सिस्टम वाइड कम्युनिकेशन जैसी आधुनिक तकनीक हैं। बराक-8 मिसाइल प्रणाली लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, क्रूज मिसाइलों, बैलिस्टिक मिसाइलों, एंटी-शिप मिसाइलों और मानव रहित हवाई वाहनों से सुरक्षा प्रदान करती है। इसका दूसरा संस्करण, एमआरएसएएम, एक भूमि-आधारित मिसाइल प्रणाली है, जिसमें मोबाइल लॉन्चर, ट्रैकिंग रडार, और कमांड और कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं।
सीकर, एंडगेम एवियोनिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी भारत में विकसित तकनीकों के साथ, प्रणोदन रॉकेट सिस्टम और थ्रस्ट वेक्टर सिस्टम सहित कुछ अन्य घटक डीआरडीओ प्रयोगशालाओं द्वारा निर्मित किए गए हैं। इस प्रणाली को भारतीय नौसेना के प्रोजेक्ट 17 (ए) फ्रिगेट और विक्रमादित्य विमान वाहक नौका पर तैनात किया गया है, जिसमें रेंज 70 किलोमीटर तक है। इजराइल की स्पाइस-2000 किट आम बमों को सटीक स्टैंड-ऑफ हथियारों में बदल देती है, जो आतंकी ठिकानों को निशाना बनाते हैं और नागरिकों को कम नुकसान पहुंचाते हैं। इन्हें लड़ाकू विमानों से छोड़ा जाता है। इन्हें इजराइल की राफेल एडवांस्ड डिफेंस सिस्टम्स की अमेरिकी इकाई ने बनाया है।
26 फरवरी 2019 को बालाकोट हमले में भारतीय वायुसेना ने इन बमों का इस्तेमाल कर जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों को नष्ट किया। चार बम छतों से इमारतों में घुसे और सटीक हमला किया। जब आतंकवादी सो रहे थे, भारतीय वायुसेना के विमानों ने पांच स्पाइस-2000 बमों को दागा, जिनमें से कम से कम चार बम छतों के जरिए इमारत में घुस गए। इस सटीक हमले के दौरान, भारतीय वायुसेना के विमानों ने अपने लक्ष्यों पर बम गिराने के बाद तुरंत अपने ठिकानों पर वापसी की।
2010 के दशक में भारत ने अपने विशेष बलों के लिए टैवोर एक्स-95 राइफलें शामिल कीं। बाद में इन्हें अन्य अर्धसैनिक बलों के लिए भी खरीदा गया। इजराइल वेपन्स इंडस्ट्रीज ने पुंज लॉयड रक्षा सिस्टम को इनके निर्माण का लाइसेंस दिया। भारतीय सेना के विशेष बल, नौसेना के मार्कोस, वायुसेना के गरुड़ कमांडो और सीमा सुरक्षा बल इन राइफलों का इस्तेमाल करते हैं। ये छोटी, बुलपअप डिजाइन वाली राइफलें नजदीकी लड़ाई के लिए बेहतर हैं। इन असॉल्ट राइफलों को पहले आयात किया जाता था, जो एक पूर्व इजराइली सरकारी कंपनी थी, जिसे 2005 में निजीकरण के बाद स्वामित्व में लिया गया था। बाद में, आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत इन्हें भारत में उत्पादित किया गया और हाल ही में एयरो इंडिया 2021 में प्रदर्शित किया गया, जहां इन हथियारों पर मेड इन इंडिया का टैग लगा था।
ऑपरेशन सिंदूर में इजराइली हथियारों का इस्तेमाल भारत और इजराइल के बीच मजबूत रक्षा सहयोग का प्रतीक है। बराक-8, हारोप, हेरॉन एमके-2, स्काई स्ट्राइकर, स्पाइस-2000 और टैवोर एक्स-95 जैसे हथियारों ने भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाया। यह दोस्ती न सिर्फ रक्षा क्षेत्र में, बल्कि तकनीक और रणनीति के आदान-प्रदान में भी गहरी होती जा रही है, जो दोनों देशों को और मजबूत बनाएगी।

