आईआरए के जरिए क्षेत्र को अशांत करने पर तुले हैं यूनुस
खुफिया एजेंसियों ने मोहम्मद यूनुस के एजेंडे से आगाह किया
मोहम्मद यूनुस का साथ दे रहे हैं अमेरिकी षडयंत्रकारी
भारत, म्यांमार, बांग्लादेश को बनाना चाहते हैं ड्रग-स्टेट
इसी इरादे से मणिपुर को आग में झोंक रहे सियासतदां
षडयंत्र में शामिल अमेरिकी हस्तियों की जांच आवश्यक
शुभ-लाभ सरोकार
बांग्लादेश एक भयावह परिवर्तन के कगार पर है। निवर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, जो बाइडेन के बेटे हंटर बाइडेन, निवर्तमान उपराष्ट्रपति कमला हैरिस, पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा, पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, बिल क्लिंटन की पत्नी हिलेरी क्लिंटन और अमेरिकी धनपशु जॉर्ज सोरोस जैसे वैश्विक षडयंत्रकारी वित्तपोषक वर्ग के गुप्त संरक्षण के तहत मोहम्मद यूनुस एक आतंकवादी नेटवर्क की योजना बना रहा है जो ईरान के कुख्यात इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीएस) के समान एक और राक्षस बनने के लिए तैयार है।
बांग्लादेश की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी (आईआरए) इस्लामिक आतंकवाद का तेजी से उभरता नाम है, जो अमेरिकी साजिशी धन से फल-फूल रहा है और न केवल बांग्लादेश बल्कि पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र को अस्थिर करने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। इससे अमेरिकी षडयंत्रकारियों को साजिश-साजिश खेलने का मौका और आनंद मिलेगा। आईआरए इस्लामिस्ट-जिहादी गढ़ स्थापित करने के प्रयास में आतंक और अराजकता फैलाने का काम कर रहा है। उसने पहला शिकार अपने ही देश को बनाया और बांग्लादेश के हिंदुओं पर भयानक अत्याचार फैलाया। उसे बांग्लादेश सरकार के अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस का खुला संरक्षण प्राप्त है। आईआरए बांग्लादेश को उग्रवाद के केंद्र में बदलने की तर्ज पर बढ़ रहा है, ताकि बांग्लादेश को दूसरा पाकिस्तान बनाया जा सके। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई इस षडयंत्र से पूरी ताकत से शामिल है। आईएसआई के जरिए पाकिस्तानी सेना फिर से बांग्लादेश में अपनी मौजूदगी कायम करने की फिराक लगी है, जिसे उससे 1971 के युद्ध में खो दिया था।
अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियां भी यह मानती है कि बांग्लादेश ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) की तर्ज पर एक नए आतंकी नेटवर्क के रूप में उभर रहा है। मोहम्मद यूनुस जैसा विवादास्पद व्यक्ति इस्लामिक रिवोल्यूशनरी आर्मी (आईआरए) को उभारने में लगा है। खुफिया एजेंसियां कहती हैं कि आईआरए ईरान की आईआरजीसी की संरचना और कार्यप्रणाली की नकल कर रहा है। जिस तरह आईआरजीसी ने लेबनान में हिजबुल्लाह और यमन में हूती विद्रोहियों को पाला और प्रशिक्षित किया, उसी तर्ज पर आईआरए दक्षिण एशिया में अपनी पकड़ बनाने पर काम कर रहा है। यूनुस की योजना दक्षिण एशिया में एक विशाल आतंकवादी नेटवर्क खड़ा करना है। इसके जरिए मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में कट्टर इस्लामिक एजेंडे को कारगर करने की कोशिश में है। अपने साजिशी सहयोगियों के नेतृत्व में मोहम्मद यूनुस आईआरए के जरिए शरिया कानून लागू करने, क्षेत्रीय राजनीति को अस्थिर करने और हिंसक उग्रवाद का निर्यात करने के कुचक्र में लगा हुआ है। लिहाजा, अंतरराष्ट्रीय खुफिया एजेंसियां इसे न केवल बांग्लादेश, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता के लिए भी भाषण खतरा बताया है।
मोहम्मद यूनुस ने इसी एजेंडे के तहत सबसे पहले बांग्लादेश के अंदर पाकिस्तान विरोधी और मुक्ति आंदोलन की समर्थक ताकतों को बर्बरतापूर्वक दबाया और उन्हें दरकिनार किया। इसके बाद अब यूनुस आईआरए की मजबूती के लिए अपना एजेंडा आगे बढ़ा रहा है। आईआरए का लक्ष्य क्रूर बल के साथ अपनी चरमपंथी विचारधारा को लागू करना है। ईरान की आईआरजीसी की तरह, बांग्लादेश की आईआरए दक्षिण एशिया और उसके बाहर आतंकवादी समूहों को धन, हथियार और प्रशिक्षण मुहैया करने की तैयारी में है। उसके निशाने पर भारत, नेपाल, श्रीलंका और दक्षिण-पूर्व एशिया के देश शामिल हैं। हिजबुत-तहरीर और अंसार अल-इस्लाम जैसे स्थानीय चरमपंथी समूहों के साथ गठबंधन करके, आईआरए का लक्ष्य आतंक का एक विशाल नेटवर्क बनाना है, जो क्षेत्रीय स्थिरता को कमजोर करे और वैश्विक सुरक्षा को खतरा पैदा करे। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में आईआरए का गठन गंभीर चिंताएं पैदा कर रहा है। आईआरए की स्थापना इस्लामिस्ट डीप-स्टेट ऑपरेटिव्स और जेहादी नेटवर्क के बीच तालमेल का प्रमाण है। अगर इसे अनियंत्रित छोड़ दिया गया, तो आईआरए बांग्लादेश को आतंकवाद के उद्योग और निर्यातक में बदल देगा। इस बदलाव के परिणाम विनाशकारी होने वाले हैं, जिससे बांग्लादेश गृहयुद्ध में फंस सकता है और पूरे क्षेत्र में अस्थिरता फैलेगी। इसका फायदा अमेरिकी षडयंत्रकारी शक्तियां उठाने की फिराक में हैं। भारत, म्यांमार और बांग्लादेश के कुछ हिस्सों को तोड़ कर ड्रग-स्टेट बनाना। मणिपुर में फैली हुई हिंसा के पीछे यही कुचक्र है, जिसमें भारत के कुछ नेता भी सक्रिय रूप से अमेरिकी षडयंत्रकारियों के साथ खड़े हैं।
वैश्विक समुदाय, खास तौर पर अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसे नेताओं को इस खतरे का मुकाबला करने के लिए तेजी से काम करना चाहिए। इस संकट को बढ़ावा देने में जो बाइडेन, कमला हैरिस, बराक ओबामा, बिल क्लिंटन, हिलेरी क्लिंटन और जॉर्ज सोरोस जैसे प्रभावशाली लोगों की संलिप्तता की जांच जरूरी है। इसके अलावा, खतरे की पूरी सीमा को समझने के लिए हिलेरी क्लिंटन के व्यापारिक उपक्रमों और मोहम्मद यूनुस के साथ वित्तीय संबंधों की गहन जांच जरूरी है। यूनुस के भयावह एजेंडे का समर्थन करने में जो बाइडेन, कमला हैरिस, बराक ओबामा, क्लिंटन और जॉर्ज सोरोस जैसे प्रभावशाली लोगों की भूमिका की जांच को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
समय की बहुत अहमियत है। आईआरए को जड़ जमाने देने से न केवल बांग्लादेश तबाह हो जाएगा, बल्कि पूरा क्षेत्र अस्थिर हो जाएगा, जिससे आतंकवाद और उग्रवाद की लहर उठेगी जो दूर-दूर तक के देशों को अपनी चपेट में ले सकती है। इस खतरे को जड़ से खत्म करने के लिए तत्काल और एकजुट कार्रवाई जरूरी है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बांग्लादेश वैश्विक आतंकवाद के लिए प्रजनन भूमि के बजाय आशा और प्रगति का देश बने।
बॉक्स
यूनुस ने 100 हिंदू अफसरों को हटाया, अब हिंदुओं की भर्ती नहीं होगी
ढाका, 30 दिसंबर (एजेंसियां)। बांग्लादेश में पुलिस विभाग के विभिन्न पदों पर काम कर रहे हिंदू अधिकारियों और कर्मचारियों को मोहम्मद यूनुस के आदेश पर नौकरी से बर्खास्त किया जा रहा है। यह भी निर्णय लिया गया है कि नई भर्तियों में भी हिंदुओं को शामिल नहीं किया जाएगा। इसके लिए हाल ही में एक भर्ती रद्द की गई है। हिंदुओं को हटा कर पुलिस फोर्स में इस्लामी कट्टरपंथियों की भर्ती की जाएगी।
पुलिस विभाग के जिन अधिकारियों को हटाया गया उनमें आईजी, डीआईजी, एसएसपी और एसपी रैंक तक के अफसर शामिल हैं। इनके पास जिले से लेकर बड़े मंडलों तक की जिम्मेदारी थी। उनके स्थान पर जमात-ए-इस्लामी से जुड़े हुए लोगों तैनात किया गया है। पिछले वर्ष 79000 पुलिसबल की भर्ती चालू की गई थी, अब इसे रद्द कर दिया गया है। 1500 हिंदू उम्मीदवारों के आवेदन रद्द कर दिए गए हैं। इसकी जगह पर नई भर्ती होगी। बांग्लादेश पुलिस के मुखिया बहरुल इस्लाम को अंतरिम सरकार की तरफ से विशेष निर्देश दिए गए हैं।

