ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऑपरेशन पुश-बैक...
रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ तेज हुई कार्रवाई
सीमा पार धकेले गए हजारों घुसपैठिए
नई दिल्ली, 29 मई (एजेंसियां)। भारत में रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई हो गई है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद ऑपरेशन पुश-बैक शुरू हुआ है। इस अभियान के तहत हजारों घुसपैठिए वापस बांग्लादेश और म्यांमार धकेले जा रहे हैं। घुसपैठियों को वापस भेजने का अभियान असम, त्रिपुरा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में तेजी से हो रहा है। अन्य राज्यों में इसकी गति धीमी है और कुछ राज्य इसमें कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। पश्चिम बंगाल, झारखंड, तेलंगाना, तमिलनाडु, कर्नाटक, और केरल जैसे राज्यों में घुसपैठियों को लेकर मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति अख्तियार की जा रही है।
आंशिक पुश-बैक से ही बांग्लादेश के पसीने छूट रहे हैं। तुष्टिकरणवादी तत्व ऑपरेशन पुश-बैक को मानवाधिकार हनन बता रहे हैं तो मीडिया अभियान को देश के लिए हितकारी बताने के बताने के बजाय बांग्लादेशी भारत में चोरी-छिपे अवैध रूप से कैसे घुसे और उनके पास फर्जी आधार कार्ड, पहचान पत्र या पासपोर्ट कैसे बने, ये सवाल उठा रहे हैं। ये सवाल जरूर अहम हैं, लेकिन इन सवालों को उठाने के बजाय घुसपैठियों को वापस भेजना अभी अधिक जरूरी है।
भारत सरकार के ऑपरेशन पुश-बैक के तहत घुसपैठियों को उनके देश वापस भेजा रहा है। तकरीबन डेढ़ हजार बांग्लादेशी घुसपैठियों को अब तक वापस भेजा जा चुका है। इसी तरह रोहिंग्याओं पर भी सरकार सख्त है। जाहिर ये कार्रवाई इस्लामी कट्टरपंथियों को और उन लोगों को पसंद नहीं आ रही जिनपर एक्शन हो रहा है। इसी क्रम में भारतीय सुरक्षाबलों और सरकार दोनों को बदनाम करने के सारे हथकंडे इस्तेमाल किए जा रहे हैं।
पुश-बैक की रिपोर्ट बताती है कि असम में 7 मई तक 1053 घुसपैठियों को सीमा पार वापस भेजा जा चुका था। इनमें खगराछारी में 111, कुरीग्राम में 84, सिलहट में 103, मौलवीबाजार में 331, हबीगंज में 19, सुनामगंज में 16, दिनाजपुर में 2, चपैनवाबगंज में 17, ठाकुरगांव में 19, पंचगढ़ में 32, लालमोनिरहाट में 75, चुआडांगा में 19, झेनैदाह में 42, कुमिला में 13, फेनी में 39, सतखीरा में 23, और मेहरपुर में 30 घुसपैठियों को सीमा पार कर भेजा गया।
वर्ष 2016 में ही एक सर्वे का आकलन था कि देश में 2 करोड़ से ज्यादा अवैध बांग्लादेशी रह रहे हैं। रोहिंग्या घुसपैठियों की संख्या ने अवैध प्रवासियों की तादाद और बढ़ा दी। अब जाकर इन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया तेज की गई है। केंद्र सरकार ने बांग्लादेशी और रोहिंग्या (अवैध प्रवासियों) की पहचान और दस्तावेज के वेरिफिकेशन के लिए 30 दिन की सीमा तय की है। इस सत्यापन में फेल होने पर उन्हें निर्वासित कर दिया जाएगा। इसके अलावा केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से जिला स्तर पर डिटेंशन सेंटर बनाने के निर्देश दिए हैं। यहां से सत्यापन नहीं होने पर इन्हें बीएसएफ और तटरक्षक बल को निर्वासन के लिए सौंपा जाता है। अब सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को ऐसे लोगों का रिकॉर्ड रखना होगा।
पिछले दिनों असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा था कि भारत ने बांग्लादेश से घुसपैठ से निपटने के लिए एक नई पुश-बैक रणनीति अपनाई है। केंद्र ने देश के विभिन्न हिस्सों से रोहिंग्या सहित अवैध प्रवासियों को निर्वासित कर दिया है, जिसमें गोलपारा में मटिया हिरासत केंद्र भी शामिल है, जो अवैध प्रवासियों को रखने के लिए देश में सबसे बड़ी सुविधाओं में से एक है। सीएम सरमा ने कहा, हमने उन्हें बाहर निकाल दिया है। हिरासत केंद्र से सभी लोग बांग्लादेश वापस चले गए हैं, सिवाय उन लोगों के जो मटिया में हैं, जहां मुकदमेबाजी चल रही है।