श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास गठन का अध्यादेश विधानसभा से मंजूर

श्री बांके बिहारी मंदिर न्यास गठन का अध्यादेश विधानसभा से मंजूर

लखनऊ, 13 अगस्त (एजेंसियां)। यूपी विधानसभा ने बुधवार को बांके बिहारी मंदिर निर्माण अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। अब मंदिर का न्यास चढ़ावासम्पत्ति और प्रशासन से जुड़ी सभी जिम्मेदारियां संभालेगा। सदन में बुधवार सुबह 11 बजे विकसित भारतविकसित यूपी विजन डॉक्यूमेंट 2047 पर लगातार 24 घंटे की चर्चा शुरू हुई। इसमें सरकार विभागवार उपलब्धियां और विजन रख रही हैजबकि विपक्ष के सवालों का दौर भी जारी है। इस दौरान सत्र में बांके बिहारी कॉरिडोर आर्डिनेंस विधेयक भी पास हो गया है।

अध्यादेश स्पष्ट करता है कि मंदिर के चढ़ावेदान और सभी चल-अचल सम्पत्तियों पर न्यास का अधिकार होगा। इसमें मंदिर में स्थापित मूर्तियांमंदिर परिसर और प्रसीमा के भीतर देवताओं के लिए दी गई भेंट/उपहारकिसी भी पूजा-सेवा-कर्मकांड-समारोह-धार्मिक अनुष्ठान के समर्थन में दी गई सम्पत्तिनकद या वस्तु रूपी अर्पणतथा मंदिर परिसर के उपयोग के लिए डाक/तार से भेजे गए बैंक ड्राफ्ट और चेक तक शामिल हैं। मंदिर की सम्पत्तियों में आभूषणअनुदानयोगदानहुंडी संग्रह सहित श्री बांके बिहारी जी मंदिर की सभी चल एवं अचल सम्पत्तियां सम्मिलित मानी जाएंगी।

सरकार ने कहा है कि न्यास का गठन स्वामी हरिदास की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए किया गया है। स्वामी हरिदास के समय से चली आ रही रीति-रिवाजत्योहारसमारोह और अनुष्ठान बिना किसी हस्तक्षेप या परिवर्तन के जारी रहेंगे। न्यास दर्शन का समय तय करेगापुजारियों की नियुक्ति करेगा और वेतनभत्ते/प्रतिकर निर्धारित करेगा। साथ ही भक्तों और आगंतुकों की सुरक्षा तथा मंदिर के प्रभावी प्रशासन और प्रबंधन की जिम्मेदारी भी न्यास पर होगी।

न्यास गठन के बाद श्रद्धालुओं को विश्वस्तरीय सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है। प्रसाद वितरणवरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांगों के लिए अलग दर्शन मार्गपेयजलविश्राम हेतु बेंचपहुंच एवं कतार प्रबंधन कियोस्कगौशालाएंअन्नक्षेत्ररसोईघरहोटलसरायप्रदर्शनी कक्षभोजनालय और प्रतीक्षालय जैसी व्यवस्थाएं विकसित की जाएंगी। न्यास में 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य होंगे। मनोनीत सदस्य वैष्णव परंपराओं/संप्रदायों/पीठों से 3 प्रतिष्ठित सदस्य (जिनमें साधु-संतमुनिगुरुविद्वान, मठाधीशमहंतआचार्यस्वामी सम्मिलित) हो सकते हैं। सनातन धर्म की परंपराओं/संप्रदायों/पीठों से 3 सदस्य (उसी श्रेणी के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व) हो सकते हैं। सनातन धर्म की किसी भी शाखा/संप्रदाय से 3 सदस्य (प्रतिष्ठित व्यक्ति/शिक्षाविद/विद्धान/उद्यमी/वृत्तिक/समाजसेवी) हो सकते हैं। गोस्वामी परंपरा से 2 सदस्य- स्वामी हरिदास जी के वंशजएक राज-भोग सेवादारों और दूसरा शयन-भोग सेवादारों का प्रतिनिधि.सभी मनोनीत सदस्य सनातनी हिंदू होंगे। उनका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा। पदेन सदस्य में मथुरा के जिला मजिस्ट्रेटवरिष्ठ पुलिस अधीक्षकनगर निगम आयुक्तउत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के सीईओबांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ और राज्य सरकार का नामित प्रतिनिधि शामिल होंगे। यदि कोई पदेन सदस्य सनातन धर्म को नहीं मानने वाला/गैर-हिंदू हुआतो उसकी जगह उससे कनिष्ठ अधिकारी को नामित किया जाएगा।

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