बांग्लादेश में हिंदुओं पर लागू हुआ जजिया-कर

जमात-ए-इस्लामी ने की खुली घोषणा, रहना है तो देना होगा

 बांग्लादेश में हिंदुओं पर लागू हुआ जजिया-कर

ट्रंप ने फरार आतंकी पर 50 लाख डॉलर इनाम की घोषणा वापस ली

वही आतंकी बांग्लादेश में खोलेगा भारत विरोधी संगठनों का दफ्तर

शुभ-लाभ सरोकार

बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर इस्लामिक उत्पीड़न की इंतिहा करते हुए मुस्लिम ब्रदरहुड की बांग्लादेशी शाखा जमात-ए-इस्लामी ने मध्ययुगीन जजिया कर वसूलना शुरू कर दिया है। जमाते इस्लामी ने देश के धर्मनिरपेक्ष ढांचे को शरिया कानून से बदलने की अपनी मंशा का खुलेआम ऐलान कर दिया है। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा समर्थित और अल-कायदा सहित वैश्विक जेहादी नेटवर्क से जुड़ी जमाते इस्लामी का यह कदम नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के सत्ता में आने का प्रतिफल है। यूनुस के संरक्षण में कट्टरपंथी इस्लामी प्रभाव में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। हिंदुओं पर हिंसा, बलात्कार, लूटपाट, तोड़फोड़ और विध्वंस के बाद जजिया कर वसूलने का ऐलान न केवल बांग्लादेश बल्कि दक्षिण एशिया और व्यापक विश्व के लिए एक सुरक्षा जोखिम पैदा करने वाला है।

अल-कायदा से जुड़े कुख्यात आतंकवादी और अमेरिकी विदेश विभाग के सबसे वांछित भगोड़ों में से एक  मेजर (बर्खास्त) जियाउल हक जिया ने पिछले ही हफ्ते मणिपुर के विद्रोहियों, खालिस्तानियों और कश्मीर के अलगाववादियों का समर्थन करने की सार्वजनिक घोषणा की और बांग्लादेश में इनके आंदोलन को गति देने के लिए दफ्तर और शाखाएं खोलने का ऐलान किया। जिया पिछले साल जेहादी समर्थित तख्तापलट के बाद गुप्त रूप से बांग्लादेश लौट आया थाउसने यह खुला बयान देकर न केवल भारत बल्कि अमेरिकी खुफिया तंत्र को भी चौंकाया। लेकिन अमेरिका की सरकार कुछ और ही षडयंत्रों में मुब्तिला है। सब जानते हैं कि बांग्लादेश में सत्ता-पलट के पीछे अमेरिकी डीप स्टेट ही मुख्य षडयंत्रकारी ताकत था। अमेरिका के वांछित आतंकवादी मेजर जिया की खुली घोषणा के बाद उस पर कार्रवाई करने के बजाय अमेरिकी विदेश विभाग ने मेजर जिया पर 50 लाख अमेरिकी डॉलर के इनाम की घोषणा अपने वेबसाइट से हटा दी। जबकि अमेरिका के वांछित आतंकी के बांग्लादेश से प्रत्यर्पण की कार्रवाई होनी चाहिए थी।

महिला सशक्तिकरण का विरोध और लोकतंत्र के बजाय शरिया कानून लागू करने की वकालत करने वाले मुस्लिम ब्रदरहुड की एक वैचारिक शाखाजमात-ए-इस्लामी ने अगस्त 2025 से बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों से जजिया कर वसूलना शुरू कर दिया। 25 जुलाई 2025 को जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश के अमीर डॉ. शफीकुर्रहमान ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी कि हिंदुओं और गैर-मुसलमानों को जजिया कर उसी तरह देना होगा जैसे मुसलमान ज़कात देते हैं। डॉ. रहमान ने कहा था कि हिंदुओं और अल्पसंख्यकों को अगर वास्तव में समान अधिकार चाहिएतो उन्हें जजिया देना होगा। शरिया कानून के अनुसार यही सही है। जजिया कर इस्लामी देशों में गैर-मुसलमानों पर लगाया जाने वाला एक मध्यकालिक बर्बर कर हैजिसे गैर मुस्लिम या दोयम दर्जे के नागरिकों पर लादा जाता था।

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उल्लेखनीय है कि जून 2025 में अमेरिकी सीनेटर टेड क्रूज ने मुस्लिम ब्रदरहुड को आतंकवादी संगठन घोषित करने वाला विधेयक (संख्याः एचआर-3883) पेश किया। इसके पारित होते ही मुस्लिम ब्रदरहुड और जमात-ए-इस्लामी समेत दुनियाभर में ब्रदरहुड से जुड़े समूहों पर गंभीर प्रभाव पड़ेंगे। हालांकिसुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे संगठन प्रतिबंधित घोषित होने के बाद भी अपनी गतिविधियां नहीं रोकते और अन्य छद्म नामों से अपना काम करते रहते हैं और वैश्विक विस्तार करते रहते हैं।

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जमात-ए-इस्लामी ने 1971  में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम का विरोध किया था। पाकिस्तान का पक्ष लिया था और बंगाली नागरिकों के नरसंहार के दौरान पाकिस्तानी सेना के साथ सक्रिय रूप से सहयोग किया था। आजइस पार्टी को पाकिस्तान की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआईके साथ-साथ विभिन्न इस्लामी और जेहादी संगठनों का निरंतर संरक्षण प्राप्त है। पश्चिम मेंजमात के काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस (सीएआईआरऔर इस्लामिक सर्कल ऑफ नॉर्थ अमेरिका (आईसीएनएके साथ गहरे संबंध हैं। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अनुसारजमात से जुड़े ये संगठन अमेरिकी संघीय एजेंसियों विशेष रूप से यूएसएड, कृषि विभाग और संघीय आपातकालीन प्रबंधन एजेंसी (फेमासे धन प्राप्त करने में सफल रहे हैं। मिडिल ईस्ट फोरम के सैम वेस्ट्रॉप ने दस्तावेजी प्रमाण दिए हैं कि लाखों डॉलर की रकम आतंकवाद से जुड़े अमेरिका स्थित इस्लामी समूहों को दी गई है। यह प्रवृत्ति ट्रम्प प्रशासन के दौरान भी जारी है।

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बांग्लादेश में पिछले साल हुए सत्ता परिवर्तन के बाद सेबांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक नींव तेजी से कमजोर हुई है। अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी इस्लामी समूहों का हौसला बढ़ गया है और वे खुलेआम बांग्लादेश को एक धर्मतंत्रीय राज्य में बदलने की कोशिश कर रहे हैं। यूनुस ने आईएसआईएस और अल-कायदा को अपनी क्षेत्रीय उपस्थिति बढ़ाने का पूरा मौका दिया है। पाकिस्तानी आईएसआई के लिए यह बदला लेने का सुनहरा मौका है, इसलिए उसने बांग्लादेश और भारत में अपनी विध्वंसक गतिविधियां काफी तेज कर दी हैं। यूनुस के संरक्षण और पाकिस्तान के सहयोग से बांग्लादेश में अल-कायदा के गुर्गों और अन्य इस्लामी चरमपंथियों की बांग्लादेश में गतिविधियां बढ़ गई हैं।

जमात-ए-इस्लामी द्वारा जजिया कर लगाने के ऐलान से स्पष्ट है कि बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को शरिया-आधारित एजेंडे के तहत व्यवस्थित रूप से निशाना बनाया जा रहा है। यह कार्रवाई बांग्लादेश के 1972 के संविधान में निहित धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों का उल्लंघन करने के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार मानदंडों को भी कमजोर करती है। अगर बांग्लादेश में जजिया कर की वसूली बेरोकटोक जारी रहने दी गईतो बांग्लादेश मध्ययुगीन बर्बर धार्मिक विभेद की ओर बढ़ता जाएगा और हिंदूईसाईबौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक अपने ही देश में दोयम दर्जे के नागरिक बनकर रह जाएंगे। यह घटना बांग्लादेश का घरेलू मुद्दा नहीं है, यह दक्षिण एशिया में उग्रवादी इस्लामवाद के पुनरुत्थान के बारे में दुनिया के समक्ष चेतावनी है। अंतरराष्ट्रीय समुदायखासकर धार्मिक स्वतंत्रता को महत्व देने वाले लोकतांत्रिक देशों कोबांग्लादेश को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य के रूप में धर्मतंत्रवादी अतिवाद द्वारा निगले जाने की एक और चेतावनी भरी कहानी बनने से पहले निर्णायक कार्रवाई करनी चाहिए।

ढाका में क्या कर रहे हैं पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री?

ढाका, 24 अगस्त (एजेंसियां)। बांग्लादेश में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के खुलेआम समर्थन से हिंदुओं और अल्पसंख्यकों पर लादे गए जजिया कर के कारण बढ़े तनाव के बीच पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री सह विदेश मंत्री इशाक अहमद डार का बांग्लादेश दौरा खुफिया एजेंसियों को चौंका रहा है। इशाक डार तीन दिनों की बांग्लादेश यात्रा पर हैं। इशाक डार बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के शीर्ष नेताओं के अलावा कई कट्टरपंथी संगठनों के नेताओं से भी मुलाकात करने वाले हैं। इशाक डार बांग्लादेश से सक्रिय तमाम भारत विरोधी संगठनों के नेताओं और प्रतिनिधियों से मिलने वाले हैं। भारत के लिए यह स्थिति चिंता का विषय मानी जा रही है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ढाका में जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश जैसे कट्टरपंथी संगठनों के नेताओं से भी मिलने वाले हैं। यह संगठन भारत विरोधी रुख और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के आरोपों के चलते लंबे समय तक प्रतिबंधित रहा है।

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