पूर्व पीएम खनाल की पत्नी को जिंदा फूंक डाला

नेपाल में बगावत और उपद्रव खतरनाक मोड़ पर  

पूर्व पीएम खनाल की पत्नी को जिंदा फूंक डाला

प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने दिया इस्तीफा

काठमांडू, 09 सितंबर (एजेंसियां)। नेपाल में जारी हिंसक प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। नेपाल में बगावत और उपद्रव खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। हालात बेकाबू होते जा रहे हैं। उपद्रवियों ने पूर्व प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल की पत्नी राज्यलक्ष्मी चित्रकार को जिंदा जला दिया। हिंसक भीड़ ने उनका घर भी फूंक डाला। प्रदर्शनकारियों ने कांतिपुर टीवी मुख्यालय को भी आग के हवाले कर दिया। पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा पर भी भीड़ ने हमला कर दिया। जख्मी हालत में पूर्व पीएम देउबा को सेना ने बचा कर निकाला।

नेपाल में उपद्रवियों के आगे पूरी शासन व्यवस्था ठप्प हो चुकी है। सोशल मीडिया मचों के जरिए पूरे नेपाल में फैलाई जा रही अफवाहों और अराजकता के कारण इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने से पूरे नेपाल में हिंसा की आग भड़क गई थी। बांग्लादेश की तरह नेपाल में भी इसकी पहले से तैयारी थी। बांग्लादेश की तरह ही नेपाल में भी सरकार विरोधी आंदोलन और हिंसा को युवाओं से जोड़ दिया गया और देखते देखते यह राजधानी काठमांडू से लेकर पूरे देश में फैल गया। स्थिति यह हो गई कि पहले गृह मंत्री और फिर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ गया। अफवाह है कि केपी शर्मा ओली नेपाल छोड़ कर कीहीं चले गए हैं, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। उपद्रव और अराजकता के आगे सरकार के घुटने टेक देने की घटना के साथ ही भारत के उन पड़ोसी देशों में नेपाल भी शामिल हो गयाजहां उपद्रव के बूते सत्ता परिवर्तन कराया जाता हो।

नेपाल में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के खिलाफ आंदोलन तो एक बहाना है। इसकी तैयारी बहुत दिनों से चल रही थी। नेपाल के युवकों की आड़ में सारे अराजक तत्व सड़कों पर उतर आए। उन्होंने संसद के बाहर प्रदर्शन शुरू कर दिया और संसद के अंदर तक घुस गए। ठीक उसी तरह जैसा बांग्लादेश में हुआ। नेपाल में भी प्रदर्शनकारियों ने आंदोलन को भ्रष्टाचार के खिलाफ बताया, जैसा बांग्लादेश में बताया था। हिंसक प्रदर्शन को रोकने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। इसका असर यह हुआ कि सेना की गोलीबारी और सख्त कदमों के चलते 20 लोगों की मौत हो गई। इसके बावजूद जब हिंसक प्रदर्शन नहीं रुके तो सरकार को अंदाजा हो गया कि हिंसा और बढ़ सकती है। देखते ही देखते नेपाल के गृह मंत्री ने स्थिति बिगड़ने के लिए पूरी तैयारी न होने की जिम्मेदारी ली और इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सांसदों के इस्तीफे शुरू हो गए और कृषि मंत्री ने भी इस्तीफा दे दिया। आखिरकार मंगलवार दोपहर आते-आते नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने भी इस्तीफा दे दिया। उनके नेपाल से चले जाने की खबरें भी सामने आईं। हालांकिइसकी पुष्टि नहीं हो पाई है।

उपद्रव और अराजक प्रदर्शनों के बाद केपी शर्मा ओली द्वारा इस्तीफा देने के प्रकरण में बालेंद्र शाह उर्फ बालेन शाह का नाम चर्चा में है। ओली सरकार के सत्ता से बाहर होने के बाद नेपाल की युवा पीढ़ी बालेन शाह को नेता बनाने की मांग कर रही है। बालेन शाह काठमांडू के 15वें मेयर हैं। बालेन पेशे से सिविल इंजीनियर और रैपर भी रहे हैं। बालेन शाह ने साल 2022 में स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में काठमांडू के मेयर का चुनाव जीतकर इतिहास रच दिया था।

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बहरहाल, बीते वर्षों में भारत के पड़ोस में जिन देशों में अशांति फैली हैउनमें अफगानिस्तानपाकिस्तानबांग्लादेशम्यांमारश्रीलंका और मालदीव शामिल हैं। अफगानिस्तान में अस्थिरता 2001 से ही शुरू हो गई थीजब अमेरिका पर हुए 9/11 हमलों के बाद अमेरिका के नेतृत्व वाली नाटो सेनाओं ने ओसामा बिन लादेन की खोज के लिए हमला कर दिया था। नाटो सेनाओं ने इस दौरान न सिर्फ काबुल में बैठी तालिबान सरकार को सत्ता से बेदखल कियाबल्कि अलकायदा को तबाह करने के लिए लंबे समय तक सैन्य अभियान चलाया। इस बीच अफगानिस्तान में लोकतांत्रिक सरकारों के गठन की बात भी कही गई। हालांकिदेश में हिंसा जारी रही। 2011 में लादेन के मारे जाने के बाद धीरे-धीरे अमेरिका और अन्य देशों ने अफगानिस्तान में सेना को कम किया गया। इसके बाद 2021 तक आते-आते अमेरिका ने अपनी सेना को पूरी तरह अफगानिस्तान से वापस बुला लिया। इस फैसले के कुछ दिन बाद ही तालिबान ने एक के बाद एक अफगानिस्तान के शहरों को कब्जाते हुए राजधानी काबुल पर धावा बोल दिया और सत्ता पर कब्जा कर लिया।

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पाकिस्तान में अस्थिरता की स्थिति कोई नई बात नहीं है। भारत के इस पड़ोसी मुल्क में अशांति 1947 से ही जारी है। कई बार लोकतांत्रिक सरकार के गठन की कोशिश को सेना ने नाकाम किया है। हालांकिदेश में ताजा अस्थिरता का दौर 2022 से आयाजब सेना के इशारे पर इमरान खान की सरकार को अविश्वास प्रस्ताव से गिरा दिया गया। इस तरह पाकिस्तान में एक बार फिर कोई भी सरकार अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने में नाकाम रही। वर्तमान में शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज)बिलावल भुट्टो के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और अन्य बड़े-छोटे दलों के गठबंधन के जरिए सेना अब सरकार मे स्थिरता लाने की कोशिश कर रही है। हालांकिआतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) और इमरान के कट्टर समर्थक अभी भी पाकिस्तान में सरकार के लिए मुश्किलों का सबब बने हुए हैं।

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म्यांमार में अस्थिरता का ताजा दौर 2021 में आयाजब सेना ने लोकतांत्रिक सरकार का तख्तापलट कर दिया। सेना का मानना था कि सरकार रोहिंग्या संकट से निपटने में सफल नहीं रही है। इसके बाद से ही म्यांमार में गृह युद्ध का दौर जारी है और सेना और कई बागी संगठन आपस में संघर्ष कर रहे हैं। इतना ही नहीं म्यांमार की कई स्थानीय जनजातियां भारतथाईलैंड और चीन में शरण लेने को मजबूर हुई हैं। म्यांमार की सत्ता सेना के हाथ में होने के बावजूद म्यांमार में तनाव का अंत करीब नजर नहीं आ रहा है। हालांकिसेना लगातार दावा करती रही है कि वह जल्द देश में चुनाव कराएगी।

श्रीलंका में स्थितियों का बिगड़ना 2021 के अंत में ही शुरू हो गया था। दरअसलयहां राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे की खेती से जुड़ी नीतियों के चलते श्रीलंका के आर्थिक हालात लगातार बिगड़ते चले गए। आलम यह हुआ कि श्रीलंका कर्ज भरने में भी डिफॉल्टर हो गया। इसके चलते श्रीलंका में महंगाई तेजी से बढ़ने लगी। इन स्थितियों के बीच आम लोगों ने सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किए। यह प्रदर्शन एक समय इतने उग्र हो गए कि लोग नेताओं के घर में घुस गए। इस बीच राजपक्षे बंधुओं को देश छोड़कर भागना पड़ा। दोनों के इस्तीफे के बाद रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका की कमान संभाली। इसके बाद 2024 में श्रीलंका में चुनाव कराए गए और तबसे स्थितियां सुधारने की कोशिशें जारी हैं।

बांग्लादेश में पिछले साल सरकारी नौकरियों में विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को खत्म करने की मांग के बहाने विरोध-प्रदर्शन शुरू हुआ था। इसके पीछे अमेरिकी डीप स्टेट की साजिश काम कर रही थी। बांग्लादेश में विरोध-प्रदर्शन के दौरान जमकर हिंसा हुई। शेख हसीना को हटाने की मांग करते हुए प्रदर्शनकारियों ने उनके आवास पर हमला कर दिया और शेख हसीना को देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। उन्हें भारत में शरण मिली। शेख हसीना के जाने के बाद अमेरिकी डीप स्टेट ने अचानक मोहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया बना कर पेश कर दिया। यूनुस ने कट्टर इस्लामिक आतंकी तत्वों से हाथ मिला कर पूरे बांग्लादेश को अराजकता की आग में झोंक दिया। यूनुस ने पाकिस्तान से भी हाथ मिला लिया और अब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकी संगठन बांग्लादेश में अपना ठिकाना बना कर हिंदुओं और अल्पसंख्यकों का सफाया करने में लगे हैं।

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