खालिस्तानियों पर अब होगा एक्शन, डोभाल से मिलीं कनाडा की एनएसए
नई दिल्ली, 20 सितम्बर, (एजेंसियां) ।भारत और कनाडा के रिश्तों में लंबे समय से चला आ रहा तनाव एक बार फिर सुर्खियों में है। खालिस्तान समर्थक गतिविधियों को लेकर भारत की गंभीर आपत्तियों के बीच कनाडा की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) हाल ही में नई दिल्ली पहुंचीं और उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात की। इस मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि दोनों देशों के बीच खालिस्तान समर्थक संगठनों और चरमपंथियों की गतिविधियों को लेकर लगातार तनातनी बनी हुई है। सूत्रों के मुताबिक बैठक में आतंकवाद, सुरक्षा सहयोग और खालिस्तानी तत्वों पर सख्त कार्रवाई को लेकर चर्चा हुई।
भारत लंबे समय से यह मुद्दा उठा रहा है कि कनाडा में रह रहे खालिस्तानी समर्थक न केवल भारत विरोधी गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं, बल्कि वे खुले तौर पर भारत के राजनयिकों और संस्थानों को निशाना बनाने की धमकियां भी देते हैं। हाल ही में वैंकूवर में भारतीय वाणिज्य दूतावास की घेराबंदी और भारत के नए उच्चायुक्त के खिलाफ प्रदर्शन ने इस विवाद को और बढ़ा दिया था। भारत ने साफ कहा है कि भारतीय मिशन और राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना कनाडा सरकार की जिम्मेदारी है। डोभाल और कनाडा की एनएसए की मुलाकात इसी पृष्ठभूमि में हुई है।
सूत्रों के अनुसार, भारत ने बैठक में साफ शब्दों में कनाडा से अपेक्षा जताई है कि वह अपने यहां सक्रिय खालिस्तानी संगठनों और नेताओं पर जल्द से जल्द कार्रवाई करे। भारत ने यह भी कहा है कि यह केवल भारत की सुरक्षा का ही मुद्दा नहीं, बल्कि कनाडा के लिए भी गंभीर चुनौती है क्योंकि चरमपंथी गतिविधियां वहां के सामाजिक ढांचे और कानून-व्यवस्था को भी प्रभावित करती हैं। डोभाल ने कनाडाई एनएसए को यह स्पष्ट कर दिया कि भारत आतंकवाद और अलगाववादी ताकतों को किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगा।
कनाडाई पक्ष ने भी भारत की चिंताओं को गंभीरता से सुना और आश्वासन दिया कि वे इस दिशा में ठोस कदम उठाएंगे। कनाडा की एनएसए ने कहा कि उनकी सरकार भारत के साथ सुरक्षा सहयोग को और मजबूत करना चाहती है और वे चाहते हैं कि दोनों देश मिलकर चरमपंथी ताकतों को खत्म करें। हालांकि, कनाडा के घरेलू राजनीतिक समीकरणों और वहां खालिस्तान समर्थक लॉबी के प्रभाव को देखते हुए यह देखना बाकी है कि वे किस हद तक भारत की अपेक्षाओं को पूरा कर पाते हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि इस मुलाकात के बाद दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग की एक नई रूपरेखा बन सकती है। अतीत में भी जब-जब खालिस्तानी गतिविधियां तेज हुई हैं, भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को मजबूती से उठाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में साफ शब्दों में कहा था कि भारत की एकता और संप्रभुता के खिलाफ किसी भी साजिश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भारत-कनाडा संबंध पिछले कुछ वर्षों में कई बार तनावपूर्ण रहे हैं। खासकर तब जब कनाडा में राजनीतिक दलों ने खालिस्तानी समर्थक वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए उनके प्रति नरम रुख अपनाया। यही वजह रही कि भारत ने कई बार सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई और कनाडाई नेतृत्व से कहा कि वे आतंकवाद और अलगाववादी संगठनों पर कड़ी कार्रवाई करें। इस बार दोनों देशों के शीर्ष सुरक्षा सलाहकारों की बैठक से संकेत मिलते हैं कि भारत अब और कड़ा रुख अपनाने जा रहा है।
बैठक में न सिर्फ खालिस्तानी मुद्दा, बल्कि साइबर सुरक्षा, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई। डोभाल ने जोर देकर कहा कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद अब नए-नए रूप ले रहा है और उसे रोकने के लिए साझा प्रयास जरूरी हैं। कनाडाई एनएसए ने भी सहमति जताई कि दोनों देशों को तकनीकी और खुफिया सहयोग बढ़ाना चाहिए।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के दबाव के बाद कनाडा को अपने रुख में बदलाव लाना पड़ेगा। यदि कनाडा अब भी खालिस्तानी समर्थक संगठनों को लेकर ढिलाई बरतता है, तो भारत उसके साथ अपने कूटनीतिक संबंधों में और सख्ती ला सकता है। वहीं, कनाडा की एनएसए की इस यात्रा को वहां की सरकार की गंभीरता का संकेत भी माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, अजीत डोभाल और कनाडा की एनएसए की मुलाकात ने यह स्पष्ट कर दिया है कि खालिस्तानी तत्वों के खिलाफ अब ठोस कार्रवाई का समय आ गया है। भारत ने साफ कर दिया है कि वह अपनी संप्रभुता और आंतरिक सुरक्षा से समझौता नहीं करेगा। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि कनाडा वास्तव में किस हद तक भारत की मांगों को पूरा करता है और दोनों देशों के रिश्तों में नई दिशा क्या होती है। लेकिन इतना तय है कि इस बैठक ने भारत की सुरक्षा चिंताओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूती दी है और खालिस्तानी गतिविधियों पर अब पहले से कहीं अधिक दबाव बनेगा।
#खालिस्तान, #भारतकनाडा, #अजीतडोभाल, #कनाडाएनएसए, #भारतकीसुरक्षा, #खालिस्तानिविरोध, #कूटनीति, #आतंकवादपरकार्रवाई, #भारतकनाडातनाव, #राष्ट्रीयसुरक्षा