अब देश के लिए तैयार होंगे ड्रोन कमांडो
टेकनपुर में शुरू हुआ ड्रोन वारफेयर स्कूल
टेकनपुर (मप्र), 22 सितंबर (एजेंसियां)। ऑपरेशन सिंदूर में ड्रोन्स की कामयाब मारक क्षमता और भविष्य में ड्रोन्स की होने वाली कारगर भूमिका को देखते हुए भारत सरकार ने ड्रोन कमांडो तैयार करने का काम शुरू कर दिया है। मध्य प्रदेश के टेकनपुर में बीएसएफ के ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में अब ड्रोन वारफेयर स्कूल शुरू किया गया है। यहां पर बीएसएफ के 47 जवानों को ड्रोन कमांडो की ट्रेनिंग दी जा रही है। यह ट्रेनिंग पांच हफ्तों तक चलेगी।
बीएसएफ अकादमी के एडीजी शमशेर सिंह ने कहा, हमारे जवान अब ड्रोन को बिल्कुल हथियार की तरह कंधे पर लादकर ले जाएंगे। ये ड्रोन न सिर्फ निगरानी और गश्त के लिए होंगे, बल्कि दुश्मन के ड्रोन्स को मार गिराने और जरूरत पड़ने पर बम फेंकने का काम भी करेंगे। उन्होंने कहा, रूस-यूक्रेन की जंग ने साफ दिखा दिया कि आजकल लड़ाई टैंकों या बंदूकों से नहीं, बल्कि हवा में उड़ते ड्रोन्स से हो रही है। शमशेर सिंह ने जोड़ा कि वो चाहते हैं हमारे जवान ड्रोन को वैसे ही हैंडल करें जैसे वे इंसास राइफल को 15 सेकंड में खोल-बंद कर लेते हैं। ड्रोन वारफेयर स्कूल में मिलने वाली ट्रेनिंग उन्हें इतना माहिर बना देगी कि फील्ड में कोई दिक्कत न हो।
केंद्र सरकार की मदद से बीएसएफ अब ड्रोन्स को अपनी ताकत बनाने के लिए तैयार हो रही है। दिल्ली और कानपुर के आईआईटी के साथ मिलकर बीएसएफ अपने स्पेशल ड्रोन डिजाइन कर रही है, जिनमें हथियार, बम और हाई-रिजोल्यूशन कैमरे फिट होंगे। टेकनपुर के रुस्तम जी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में ड्रोन टेक्नोलॉजी लैब भी बन गई है। यहां भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर गिरे दुश्मन ड्रोन्स से मिले डेटा और फॉरेंसिक जांच पर रिसर्च चल रही है। ऊपर से, बीएसएफ का पुलिस टेक्नोलॉजी इनोवेशन सेंटर हमलावर ऑपरेशंस के लिए ड्रोन प्रोजेक्ट्स पर जुटा है। एक सीनियर अफसर ने बताया कि वो हाई-स्पीड ड्रोन्स पर काम कर रहे हैं, जिनमें बंदूकें लग सकें। ये ड्रोन 500 किलोमीटर दूर तक नजर रख सकेंगे, कांटेदार तारों की क्लोज-अप फोटो लेंगे और 200 किलो तक का बोझ उठा लेंगे। सीमा की सुरक्षा को ये तकनीक और मजबूत बनाएगी।
टेकनपुर के ड्रोन वारफेयर स्कूल में दो मुख्य कोर्स चल रहे हैं। जवानों के लिए ड्रोन कमांडो ट्रेनिंग और अफसरों के लिए ड्रोन वारियर्स ट्रेनिंग। स्कूल के तीन विंग हैं, फ्लाइंग एंड पायलटिंग, स्ट्रैटेजी (रणनीति), और रिसर्च एंड डेवलपमेंट। वारफेयर स्कूल के प्रशिक्षण प्रमुख ब्रिगेडियर रूपिंदर सिंह ने कहा कि कोर्स में उड़ान भरना, टेक्निकल नॉलेज और स्ट्रैटेजी सब सिखाया जाता है। अच्छी बात यह है कि यह स्कूल ट्रेनर्स भी तैयार कर रहा है, जो फील्ड यूनिट्स में जाकर बाकी जवानों को ड्रोन की बारीकियां सिखाएंगे। सब कुछ इतना व्यवस्थित है कि जल्द ही बीएसएफ की हर यूनिट में ड्रोन एक्सपर्ट होंगे।
अगले 5 हफ्तों में ड्रोन कमांडो बनकर निकलने वाले 47 जवानों का बैच ड्रोन वारफेयर स्कूल का पहला बैच होगा। इसी महीने शुरू हुए इस स्कूल में जवानों को ड्रोन उड़ाने, निगरानी और युद्ध करने और अन्य मानवरहित हवाई वाहनों (यूएवी) का मुकाबला करने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके बाद यह वरिष्ठ अधिकारियों के एक बैच को ड्रोन युद्ध रणनीति का प्रशिक्षण देगा। बीएसएफ अकादमी के आईजी उमेद सिंह ने बताया कि ड्रोन स्कूल ऐसे प्रशिक्षक भी तैयार कर रहा है जो फील्ड यूनिट्स में जाकर ड्रोन तकनीक और संचालन सिखाएंगे। अकादमी में कर्मियों और अधिकारियों के लिए सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में ड्रोन पर अभिविन्यास पहले ही अनिवार्य कर दिया गया है। यह स्वदेशी ड्रोन विकसित करने, उन्हें हथियार और बम से सुसज्जित करने, गश्त के लिए उच्च-रिजोल्यूशन कैमरे लगाने के लिए दिल्ली और कानपुर स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) के साथ सहयोग पर काम कर रहा है।
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