हैदराबाद के चंद्रशेखर को डलास में मारी गई गोली

अमेरिका में फिर हुई भारतीय युवक की नृशंस हत्या

 हैदराबाद के चंद्रशेखर को डलास में मारी गई गोली

हैदराबाद में परिवार का बुरा हाल, एक माह में तीसरी घटना

हैदराबाद, 05 अक्टूबर (एजेंसियां)। अमेरिका में हिंदू छात्रों के खिलाफ हमलों और हत्याओं की घटनाएं बढ़ रही हैं। पिछले दिनों हैदराबाद के 27 वर्षीय छात्र चंद्रशेखर पोल की अमेरिका के डलास में गोली मारकर हत्या कर दी गई। चंद्रशेखर एक गैस स्टेशन पर पार्ट-टाइम काम कर रहे थे। इस घटना से अमेरिकी पुलिस और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैंक्योंकि पिछले एक महीने में अमेरिका में हिंदुओं छात्रों और लोगों की हत्या करने के कई मामले सामने आए हैलेकिन कार्रवाई की गति बहुत धीमी रही है।

चंद्रशेखर पोल साल 2023 में उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गए थे। शुक्रवार 3 अक्टूबर की रात को जब चंद्रशेखर डलास स्थित एक गैस स्टेशन पर काम कर रहे थे, तभी एक अज्ञात हमलावर ने चंद्रशेखर पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं, जिससे चंद्रशेखर की मौके पर ही मौत हो गई। चंद्रशेखर के परिवार ने भारत सरकार से मदद की अपील की है ताकि उनका शव जल्दी वापस लाया जा सके। चंद्रशेखर पोल के माता-पिता ने राज्य और केंद्रीय सरकार से सुरक्षा की गारंटी मांगी है और उनके बेटे के शव को शीघ्र भारत लाने की मांग की है।

अमेरिकी पुलिस और स्थानीय प्रशासन की सुस्ती पर सवाल उठ रहे हैं। चंद्रशेखर पोल की हत्या के मामले में भी पुलिस अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाई है। दांटन काउंटी मेडिकल एग्जामिनर द्वारा मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किए जाने में देरी हो रही हैजिसके कारण शव के देश लौटने की प्रक्रिया में रुकावट आ रही है। भारत के ह्यूस्टन में भारतीय महावाणिज्य दूतावास ने इस मामले में सक्रिय रूप से परिवार के साथ सम्पर्क बनाए रखा है और जांच को लेकर अमेरिकी अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहा है।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव और अन्य नेताओं ने इस घटना पर शोक व्यक्त किया है और पीड़ित परिवार को सभी प्रकार का समर्थन देने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने कहा कि राज्य सरकार इस दुख की घड़ी में पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है और उनका शव जल्दी भारत लाने की प्रक्रिया में हर संभव सहायता करेगी।

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अमेरिका में भारतीय मूल के लोगों की हत्या की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कुछ मामलों में पीड़ित छात्र थेजो पढ़ाई या काम के सिलसिले में अमेरिका में रह रहे थेवहीं कुछ प्रवासी नागरिक नौकरी कर रहे थे। ये हत्याएं इतनी घिनौनी और चिंताजनक हैं कि अमेरिका की सुरक्षा व्यवस्था और मीडिया कवरेज पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

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10 सितंबर को कर्नाटक के रहने वाले चंद्रमौली बॉब नागमल्लैया की उनके ही सहकर्मी ने पत्नी और बेटे के सामने ही उन पर चाकू से हमला कर हत्या कर दी और उनका सिर धड़ से अलग कर दिया। चंद्रमौली डलास के एक होटल में मैनेजर थे। हत्यारा घटनास्थल पर ही गिरफ्तार हुआ। इस घिनौनी हत्या को लेकर अमेरिकी मीडिया शातिराना तरीके से चुप्पी साधे रहा। 6 सितंबर को हरियाणा के जींद जिले के कपिल को कैलिफोर्निया में एक अमेरिकी नागरिक ने गोलियों से भून डाला। कपिल अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। इसी साल 11 मार्च को आंध्र प्रदेश के 20 वर्षीय छात्र पारुचुरी अभिजीत की लाश एक कार में लावारिस हालत में मिली। वह बोस्टन विश्वविद्यालय में पढ़ाई कर रहा था। हत्या के पीछे पैसे के विवाद और लैपटॉप चोरी की आशंका जताई गई। इस पर भी अमेरिकी मीडिया और कानून व्यवस्था पर सवाल उठे थे। जनवरी महीने में हरियाणा के छात्र विवेक सैनी को एक बेघर अमेरिकी व्यक्ति ने पीट-पीटकर मार डाला। वह पढ़ाई के साथ एक स्टोर में काम कर रहे थे। हत्या की यह घटना भी भारतीय समुदाय में गहरे आघात का कारण बनी। जनवरी में ही 19 वर्षीय नील आचार्य का शव इंडियाना की पर्डयू यूनिवर्सिटी के कैंपस में मिला। हालांकि इसे हत्या नहीं माना गयालेकिन लगातार हो रही मौतों की फेहरिस्त में यह नाम भी जुड़ गया है।

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इन सभी घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि अमेरिका में भारतीयोंखासकर छात्रों और प्रवासी कामगारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर खामियां हैं। बार-बार हो रही हत्याओं के बाद भी कई मामलों में जांच में सुस्तीमीडिया का मौन और प्रशासन की निष्क्रियता साफ दिख रही है।

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