सबसे नीच अपराध में बंगाल सबसे उच्च

महिलाओं के खिलाफ अपराध में पश्चिम बंगाल शीर्ष पर

सबसे नीच अपराध में बंगाल सबसे उच्च

महिला मुख्यमंत्री के राज में महिलाओं की सुरक्षा मुश्किल

राज्यपाल बोस ने कहा: बंगाल महिलाओं के लिए असुरक्षित

कोलकाता, 16 अक्टूबर (एजेंसियां)। पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर में ओड़ीशा की छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार में शामिल पांच मुस्लिम लड़कों को बचाने के लिए सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) जिस तरह झूठी कहानियां गढ़ रही है और जिस तरह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पुलिस पर आपराधिक दबाव बना रही हैं, उससे पश्चिम बंगाल सरकार की पूरे देश में थू-थू हो रही है। आम नागरिकों में चर्चा है कि एक महिला मुख्यमंत्री मुस्लिम तुष्टिकरण में इस तरह अंधी हो चुकी है कि उसे महिलाओं की इज्जत-प्रतिष्ठा की भी चिंता नहीं रही। ममता बनर्जी के इस अंधे तुष्टिकरण ने आज पश्चिम बंगाल को महिलाओं के खिलाफ अपराध में शीर्ष पर ला खड़ा किया है। लेकिन सत्ताधारियों को इससे कोई शर्मिंदगी नहीं, उन्हें केवल मुस्लिम वोट-बैंक की फिक्र है।

महिला मुख्यमंत्री होने के बावजूद पश्चिम बंगाल महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा असुरक्षित राज्य बन गया है। आरजीकर अस्पताल बलात्कार एवं हत्याकांड के बाद अब दुर्गापुर सामूहिक बलात्कार और एनसीआरबी के आंकड़े इसका खुलासा कर रहे हैं। एनसीआरबी की रिपोर्ट कहती है कि महिलाओं पर तेजाब हमलेमहिलाओं के अपहरण और महिलाओं पर अपराध करने वाले दोषियों को सजा नहीं मिलने के मामले में पश्चिम बंगाल सबसे ऊपर है। यह आधिकारिक तथ्य टीएमसी सरकार की उदासीनता उजागर करते हैं।

महिलाओं की सुरक्षा और अधिकार के क्षेत्र में महिला मुख्यमंत्री का राज्य आदर्श होना चाहिए। लेकिन ममता बनर्जी की अगुवाई वाली पश्चिम बंगाल में इसकी ठीक उलट है। लगातार हो रहे यौन अपराध की घटनाएं और हाल ही में प्रकाशित नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानि एनसीआरबी की रिपोर्ट दर्शाती है कि राज्य सरकार महिलाओं की सुरक्षा को कमतर आंकती है। दुर्गापुर में हुए एमबीबीएस की दूसरी वर्ष की छात्रा के साथ गैंगरेप के मामले में अब तक अपू बाउरीफिरदौस शेख और शेख रिजाउद्दीन समेत 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। पीड़िता के पिता ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में उनकी बेटी सुरक्षित नहीं है। उनका विश्वास टूट गया है और वे बंगाल में नहीं रहना चाहते। उनका कहना है कि उनकी बेटी अपनी आगे की शिक्षा ओड़ीशा में पूरा करेगी। उन्होंने कहा कि बंगाल में औरंगजेब का शासन है। पीड़ित छात्रा के पिता का भरोसा टूटना कोई आश्चर्य में डालने वाली बात नहीं है। कुछ महीने पहले ही कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में एमबीबीएस की छात्रा के साथ दर्दनाक तरीके से रेप और हत्या की घटना सामने आई थी। वर्तमान स्थिति में सबसे खराब बात ये है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मामले पर तुरंत कार्रवाई करना तो दूरपीड़िता को ही दोषी ठहराने और राज्य में महिलाओं के खिलाफ अपराधों को कम करके आंकने की कोशिश कर रही हैं।

जिम्मेदारी से बचने के लिए पीड़िता को दोषी ठहरानापश्चिम बंगाल की महिला मुख्यमंत्री की संवेदनहीनता को दर्शाता है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पहले तो हमले पर दुख व्यक्त किया और अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा भी कियालेकिन अंत में उन्होंने पीड़िता को ही अपने साथ हुई क्रूरता के लिए दोषी ठहरा दिया। जैसे ही पता लगा कि बलात्कारी मुस्लिम हैं और वह भी तृणमूल कांग्रेस पार्टी के सदस्य हैं तो ममता ने फौरन अपना रंग बदल दिया। ममता ने कहापीड़िता को रात के 12.30 बजे परिसर से बाहर कैसे जाने दिया गयानिजी संस्थान को इसकी अनुमति नहीं देनी चाहिए। लड़कियों को रात में कॉलेज के बाहर जाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। लड़कियों को अपनी सुरक्षा भी करनी होगी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री का यौन उत्पीड़न के मामलों को कम करके आंकने वाली टिप्पणियां करने का शर्मनाक रिकॉर्ड रहा है। पिछले कुछ वर्षों में ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ सदस्यों को बलात्कार की घटनाओं पर अपनी असंवेदनशील प्रतिक्रियाओं के लिए आलोचना का सामना करना पड़ा है।

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साल 2012 का पार्क स्ट्रीट सामूहिक बलात्कार सबसे चर्चित रहा। 6 फरवरी 2012 को कोलकाता के पार्क स्ट्रीट से घर लौट रही एक एंग्लो-इंडियन महिला सुज़ेट जॉर्डन के साथ चलती कार में 5 लोगों ने बलात्कार किया था। खबर सामने आने के तुरंत बाद टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। उन्होंने इस घटना को शजानो घोटोना (मनगढ़ंत घटना) करार दिया थाजो सरकार को बदनाम करने के लिए रची गई थी। टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार सहित उनकी पार्टी के नेताओं ने सार्वजनिक रूप से पीड़िता के चरित्र पर सवाल उठाया और इस घटना को एक महिला और उसके मुवक्किल के बीच गलतफहमी बताया। 2015 में कोलकाता की एक अदालत ने इस मामले के तीन आरोपियों को दोषी ठहरायाजिससे यह साबित हुआ कि हमला वास्तव में हुआ था।

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पश्चिम बंगाल विधानसभा में राज्य में बलात्कार के बढ़ते मामलों पर एक बहस के दौरान 2013 में मुख्यमंत्री ने यह आरोप लगाया था कि यह राज्य की जनसंख्या में वृद्धि के कारण है। उन्होंने बलात्कार के बढ़ते मामलों के लिए आधुनिकीकरणशॉपिंग मॉल और मल्टीप्लेक्स की बढ़ती संख्या को भी जिम्मेदार ठहराया था। 2024 के संदेशखाली दंगों के दौरान भीममता बनर्जी ने तृणमूल कांग्रेस के गुंडों द्वारा महिलाओं के उत्पीड़न और यौन शोषण को मामूली घटना बताकर कमतर आंकने की कोशिश की थी। ममता बनर्जी ने कहाइसके बादकुछ मीडिया संस्थानों ने इस घटना का फ़ायदा उठाया। एक मामूली घटना को लेकर शोर मचाया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ अपराधों को मामूली घटना बताया। जबकि एनसीआरबी के आंकड़े राज्य की स्थिति को उजागर करते हैं।

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राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने हाल ही में वर्ष 2023 के लिए अपनी भारत में अपराध रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट में बताया गया है कि पश्चिम बंगाल में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और विशेष एवं स्थानीय कानूनों (एसएलएल) के तहत महिलाओं के खिलाफ अपराधों के 34,691 मामले दर्ज किए गए। यह देश में किसी भी राज्य में हुए महिलाओं के प्रति अपराध की सबसे ज्यादा मामलों में एक है। हालांकि यह 2022 के 34,738 मामलों से थोड़ा कम है। राज्य में क्राइम रेट हर एक लाख महिलाओं में 71.3 है। राज्य की जनसंख्या 48.64 मिलियन यानी 4.864 करोड़ है।

कुल मिलाकर ममता बनर्जी की टीएमसी सरकार कुछ खास तरह की हिंसा में देश में सबसे आगे है। राज्य में 2023 में विदेशियों द्वारा किए गए अपराधों की सबसे अधिक दर्ज की गई। विदेशी अधिनियम1946 और विदेशियों के पंजीकरण अधिनियम1939 के तहत ये मामले दर्ज किए गए। वर्ष 2023 मेंपश्चिम बंगाल में विदेशियों ने 1,021 आपराधिक मामले दर्ज किए गए। इन दोनों अधिनियमों के तहत 989 मामले दर्ज किए गएजबकि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट 1985 के तहत 7 मामलेआर्म्स एक्ट 1959 के तहत दो मामले दर्ज किए गए। विदेशियों से जुड़े कुछ मामले धोखाधड़ीमानव तस्करी जैसे अपराधों के तहत दर्ज किए गए। 2023 मेंभारत में एसिड हमलों के 207 मामले दर्ज किए गएजिनमें से अकेले पश्चिम बंगाल में 57 मामले सामने आए। एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चला है कि एसिड हमलों के 57 मामलों में पश्चिम बंगाल में 60 पीड़ित थेजबकि देश भर में 207 मामलों में 220 पीड़ित थे।

एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2023 में देश भर में हुए सभी एसिड हमलों में से 27.5 प्रतिशत अकेले पश्चिम बंगाल में दर्ज किए गए। 2022 मेंदेश भर में हुए 202 मामलों में सेपश्चिम बंगाल में 48 एसिड हमले दर्ज किए गएजिनमें 52 पीड़िता थी। इसमें बंगाल 2018 से देश में सबसे आगे है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसारदेश भर में एसिड हमलों के सभी मामलों में 267 गिरफ्तारियां हुईं और गिरफ्तार लोगों में 246 पुरुष और 21 महिलाएं थीं। पश्चिम बंगाल में 2023 में बलात्कार/सामूहिक बलात्कार के साथ हत्या के 7 मामलेदहेज हत्या के 350 मामले और महिलाओं को आत्महत्या के लिए उकसाने की 419 घटनाएं दर्ज की गईं।

पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा किए गए क्रूरता से जुड़े आईपीसी की धारा 498 ए के तहत दर्ज मामलों में पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर है। यहां 19698 मामले दर्ज किए गए और 20462 पीड़ित हैं। देश भर में पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता से संबंधित कुल 128814 मामले दर्ज किए गए। इनमें उत्तर प्रदेश 19889 मामलों के साथ सबसे आगे रहा। कुल मिलाकरपति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के मामलों में सबसे ज्यादा 29.8 प्रतिशत (1.33 लाख मामले) मामले दर्ज किए गएजिनमें 1.35 लाख पीड़ित शामिल थे। इस श्रेणी में वर्ष 2022 में ऐसे अपराधों का हिस्सा 31.4 प्रतिशत था।

इस बीचपश्चिम बंगाल में वर्ष 2023 में धारा 364ए के तहत फिरौती के लिए अपहरण के 17 मामले और 18 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को शादी के लिए मजबूर करने (आईपीसी की धारा 366) के तहत अपहरण के 515 मामले दर्ज किए गए। नाबालिगों के मामले में पश्चिम बंगाल में यह संख्या 390 थी। जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में सबसे ज्यादा नाबालिगों के साथ अपराध दर्ज की गईं। महिलाओं के अपहरण और अपराध की (आईपीसी की धारा 363ए365367368369) के तहतदेश भर में 7964 मामले दर्ज किए गए। इनमें पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 2054 घटनाएं दर्ज की गईं। इस बीचपश्चिम बंगाल में महिलाओं के अपहरण कुल संख्या 6544 रहीजो देश में सबसे ज्यादा है।

एनसीआरबी रिपोर्ट के राज्यों के आंकड़ों से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल में बलात्कार की 1110 घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें 1112 पीड़िताएं थीं। इनमें से 917 मामलों में अपराधी पीड़िता के परिचित थे27 मामलों में अपराधी परिवार के सदस्य11 दोस्त/ऑनलाइन दोस्त/लाइव पार्टनर थेऔर 193 मामलों में अपराधी पीड़िताओं के लिए अजनबी या अज्ञात थे। बलात्कार के प्रयास अपराध श्रेणी मेंपश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर थाजहां 825 मामले दर्ज किए गएजिनमें सभी पीड़िताएं 18 वर्ष से अधिक आयु की थीं। इस श्रेणी में राजस्थान सबसे आगे रहाजहां 845 मामले दर्ज किए गए। महिलाओं की गरिमा भंग करने के इरादे से उन पर हमला श्रेणी मेंपश्चिम बंगाल में 2023 में 2487 पीड़िताओं से जुड़े 2479 मामले दर्ज किए गए। वहींमहिलाओं की गरिमा का अपमान श्रेणी में पश्चिम बंगाल के आंकड़े 412 थे। महिलाओं के खिलाफ आईपीसी के तहत कुल अपराध 31928 थेजो देश में सबसे अधिक हैं।

पश्चिम बंगाल में वर्ष 2023 में यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पॉक्सोके तहत 2721 मामले दर्ज किए गए। इनमें से 1798 मामले बच्चों के साथ बलात्कार (पॉक्सो अधिनियम की धारा 4 और 6/आईपीसी की धारा 376) से संबंधित थे644 घटनाएं बच्चों के यौन उत्पीड़न (पॉक्सो अधिनियम की धारा 8 और 10/आईपीसी की धारा 354) से संबंधित थीं और 244 घटनाएं यौन उत्पीड़न (पॉक्सो अधिनियम की धारा 12/आईपीसी की धारा 509) के थे। पश्चिम बंगाल में पोर्नोग्राफी के लिए बच्चों का इस्तेमाल/बाल पोर्नोग्राफी सामग्री रखने (पॉक्सो अधिनियम की धारा 14 और 14) के 29 मामले दर्ज किए गए।

महिलाओं के विरुद्ध अपराधों के मामलों में 125 घटनाएं ऐसी मिलीं जो झूठी पाई गई। 1165 मामले ऐसे थे जिनमें मामले कानून या दीवानी विवाद के रूप में समाप्त हुए। पश्चिम बंगाल पुलिस ने 2023 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 34344 मामलों का निपटारा कियाजिनमें लंबित मामलों की दर 23.2 प्रतिशत रही। एनसीआरबी की रिपोर्ट में दिए गए तथ्य और आंकड़े बताते हैं कि घरेलू हिंसा और अपहरण की घटनाएं अभी भी प्रमुख हैंजो 2023 में दर्ज घटनाओं में 75 प्रतिशत से अधिक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वास्तविक संख्या न केवल पश्चिम बंगाल मेंबल्कि दूसरे राज्यों में भी कहीं अधिक हो सकती है। आंकड़ों के अनुसारपश्चिम बंगाल में सजायाफ्ता दर केवल 3.7 प्रतिशत हैजो राष्ट्रीय दर 21.3 प्रतिशत से काफी कम है। 3,68,000 से अधिक लंबित मामलों की संख्या स्थिति को और भी बदतर बना देती हैहालांकि पश्चिम बंगाल में आरोप-पत्र दाखिल करने की दर अच्छी है।

एनसीआरबी की भारत में अपराध 2023 रिपोर्ट के अनुसारपश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की दर प्रति लाख महिला जनसंख्या पर 71.3 हैजो राष्ट्रीय औसत 65.3 मामलों के काफी अधिक है। इन आंकड़ों के बावजूदपश्चिम बंगाल सरकार ने अपनी पीठ थपथपाने और कोलकाता को महिलाओं के लिए सबसे सुरक्षित शहर बता रही है। हालांकिराष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष अर्चना मजूमदार ने तृणमूल कांग्रेस पर एनसीआरबी के आंकड़ों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगाया और कहा कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित लगभग 4 लाख मामले लंबित हैंजो भारत में सबसे ज्यादा हैंऔर जिनमें न तो कोई कार्रवाई हुई है और न ही कोई दोषी साबित हुआ है। उन्होंने कहायह एनसीआरबी के आंकड़ों की आधी-अधूरी व्याख्या और गलत व्याख्या है… 2023 मेंराज्य सरकार ने महिलाओं के खिलाफ अपराध पर अपनी रिपोर्ट पेश की। इसमें पश्चिम बंगाल में चार लाख से ज्यादा मामले लंबित हैंजिनमें किसी को भी दोषी नहीं ठहराया गया है या कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह देश में सबसे ज्यादा है। पुलिस प्रशासन इन पर काम नहीं कर रहा है। प्रशासन और पुलिस के असहयोग के कारण न्यायपालिका भी विफल हो रही है। वे समय पर आरोप-पत्र दाखिल नहीं कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल में यह सब चल रहा हैऔर वे तथ्य छिपा रहे हैं।

आरजी कर मामले के जख्म अभी भरे भी नहीं हैं उससे पहले दुर्गापुर में मेडिकल कॉलेज की छात्रा से गैंगरेप की खबर आ गई। बीरभूम में भी ऐसी ही घटनाएं सामने आईं और स्थानीय पुलिस की निष्क्रियता की दिखीफिर भी टीएमसी खुद की पीठ थपथपा रही है। जाहिर हैटीएमसी पर राजनीतिक हमले के लिए महिला सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है। इसलिए ममता सरकार जवाबदेही से बचने की कोशिश में इसे मामूली मुद्दा बता देती है।

राज्यपाल ने राष्ट्रपति और गृह मंत्रालय को भेजी रिपोर्ट

कोलकाता16 अक्टूबर (एजेंसियां)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने दुर्गापुर में दलित छात्रा के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के मामले में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। यह रिपोर्ट राज्यपाल के दुर्गापुर दौरे पर आधारित हैजहां उन्होंने पीड़ित परिवार से मुलाकात की ती। राज्यपाल बोस ने बुधवार को कोलकाता में एक व्यावसायिक कार्यक्रम में महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा थादुर्गापुर की घटना हाल के दिनों में महिलाओं के खिलाफ अपराध की जो घटनाएं सामने आई हैंउनमें से एक है। अब यह कहना मुश्किल है कि पश्चिम बंगाल महिलाओं के लिए सुरक्षित राज्य है। यह घटना 10 अक्टूबर की रात को घटी। दुर्गापुर के एक निजी मेडिकल कॉलेज में पढ़ने वाली द्वितीय वर्ष की ओडिशा की छात्रा के साथ उस समय सामूहिक बलात्कार किया गया जब वह अपने पुरुष साथी के साथ बाहर गई थी।

पुलिस ने इस मामले में अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया है और सभी न्यायिक हिरासत में हैं। राज्यपाल ने भी इस घटना को लेकर सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहाहम जो देख रहे हैंवह केवल हिमशैल का ऊपरी हिस्सा है। इसके नीचे प्रशासन की अक्षमता छिपी हुई हैजो व्यवस्था चलाने के लिए जिम्मेदार है। उन्होंने राज्य के पुलिस प्रशासन पर भी सवाल उठाए। बोस ने कहाराज्य में कानून-व्यवस्था बनाए रखना पुलिस की प्रमुख जिम्मेदारी है। लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि पुलिस अपनी भूमिका सही ढंग से निभा रही है। बंगाल एक सॉफ्ट स्टेट बन गया हैजहां कानून का सही तरीके से पालन और उसका प्रवर्तन नहीं हो रहा।

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