पीएमश्री योजना में शामिल हुई केरल सरकार
केरल ने तमिलनाडु और प. बंगाल को दिखाया ठेंगा
सरकार ने माना, बच्चों का भविष्य राजनीति से बड़ा
तिरुअनंतपुरम, 22 अक्टूबर (एजेंसियां)। केरल सरकार ने तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल को ठेंगा दिखाते हुए भारत सरकार की पीएमश्री योजना में शामिल होने की घोषणा कर दी है। केरल सरकार का पीएमश्री योजना में शामिल होना केंद्र सरकार की दूरदर्शी नीति की जीत मानी जा रही है। भगवाकरण का शोर मचाने वाली केरल सरकार ने आखिरकार यह समझ लिया कि बच्चों का भविष्य राजनीति से बड़ा है।
कभी संसद की चौखट पर खड़े होकर शिक्षा का भगवाकरण चिल्लाने वाली केरल सरकार ने आखिरकार अपनी जिद छोड़ दी। केरल के शिक्षा मंत्री वी. सिवनकुट्टी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह घोषणा की कि राज्य सरकार उभरते भारत के लिए बेहतर स्कूल यानि प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएमश्री) योजना के समझौते पर दस्तखत करेगी। इस हस्ताक्षर के साथ ही केरल सरकार को डेढ़ हजार करोड़ रुपए से ज्यादा के केंद्रीय फंड्स मिलेंगे जो शिक्षकों के लंबित वेतन चुकाने, छात्रों को ग्रांट्स पहुंचाने और शिक्षा विभाग के चरमराते बजट को सांस देने के लिए बेहद मजबूती से मदद करेंगे। केरल सरकार का यह बदला हुआ रवैया देश की राजनीति में भूचाल ला चुका है। सहयोगी दल सीपीआई के नेता कैबिनेट में चर्चा न होने का रोना रो रहे हैं। कांग्रेस वाले सीपीएम-भाजपा का सीक्रेट गठजोड़ चिल्ला रहे हैं। जबकि एबीवीपी जैसे संगठन जीत का बिगुल बजा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी बहस का सैलाब उमड़ पड़ा है।
उल्लेखनीय है कि पीएमश्री (प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) केंद्र सरकार की एक मेगा पहल है, जो 2022 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषित की थी। इसका मकसद देशभर के मौजूदा सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों को मॉडल स्कूल में बदलना है। कुल 14,500 स्कूलों को टारगेट किया गया है, हर जिले के हर ब्लॉक में कम से कम दो स्कूल। ये स्कूल बाकी सरकारी स्कूलों के लिए लीडरशिप रोल निभाएंगे, यानि ये मिसाल बनेंगे कि अच्छी शिक्षा कैसे दी जा सकती है।
योजना का कोर कनेक्शन है राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 से। पीएमश्री स्कूल्स एनईपी के हर लक्ष्य को शोकेस करेंगे। इसकी फंडिंग का मॉडल साफ है कि केंद्र 60 प्रतिशत पैसा देगा और राज्य 40 प्रतिशत वहन करेगा। हर चुने गए स्कूल को 5 साल के लिए औसतन 1 करोड़ रुपए सालाना मिलेंगे। कुल बजट करीब 27,000 करोड़ रुपए का होगा। केरल का पीएमश्री योजना में शामिल होना केंद्र सरकार की दूरदर्शी नीति की जीत है। पहले भगवाकरण का शोर मचाने वाली सरकार ने समझ लिया कि बच्चों का भविष्य राजनीति से बड़ा है। 1,466 करोड़ के फंड्स से 260 स्कूल मॉडल बनेंगे, शिक्षकों की तनख्वाह मिलेगी, और स्मार्ट क्लासरूम व हुनरमंद कोर्स बच्चों को नई उड़ान देंगे। तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों को भी केरल से सीख लेनी चाहिए। एनईपी 2020 और पीएमश्री भारत की शिक्षा को वैश्विक स्तर पर ले जाएंगे। ये यू-टर्न बच्चों की जीत है, जिसका फायदा भविष्य में मिलेगा।
केरल में यह योजना 260 से ज्यादा स्कूलों में लागू होगी। शिक्षा मंत्री सिवनकुट्टी के मुताबिक, ये फंड्स टेक्स्ट बुक प्रिंटिंग, क्वेश्चन पेपर सेटिंग, कोस्टल रीजन की जरूरतों और एससी-एसटी स्टूडेंट्स की सुविधाओं पर खर्च होंगे। राज्य में 7,000 से ज्यादा टीचर्स की सैलरी राज्य खुद देता है, लेकिन बकाए चढ़ रहे थे। समग्र शिक्षा केरल (एसएसके) प्रोग्राम रुका पड़ा था। दिव्यांग बच्चों को एड इक्विपमेंट नहीं मिला। साफ है, ये योजना सिर्फ एक स्कीम नहीं, बल्कि शिक्षा के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बदलने वाली क्रांति है। लेकिन राजनीतिक चश्मे ने इसे विवाद की भेंट चढ़ा दिया।
केरल में पीएमश्री योजना का 2022 से ही एक नाटकीय धारावाहिक की तरह चल रहा था। केरल की सीपीआई (एम) नीत सरकार ने शुरू से ही पीएमश्री को एनईपी का हथियार बताया, और इसका विरोध एक आइडियोलॉजिकल स्टैंड की तरह पेश किया। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कई बार अपनी आवाज बुलंद करते हुए कहा कि एनईपी राष्ट्र के लिए खतरा है। उन्होंने इसे सांप्रदायिक एजेंडे का हिस्सा ठहराया, जहां शिक्षा को सांप्रदायिक रंग दिया जा रहा है। शिक्षा मंत्री वी. सिवनकुट्टी ने मार्च 2025 में एक प्रेस रिलीज में साफ-साफ कहा था कि सरकार एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) पर दस्तखत नहीं करेगी, क्योंकि ये योजना राज्य की शिक्षा परंपराओं और मूल्यों (वैल्यू) को कुचल देगी। उनका मुख्य इल्जाम था सैफरनाइजेशन ऑफ एजुकेशन का। सिवनकुट्टी ने कहा था, जब केंद्र सरकार ने टेक्स्टबुक से महात्मा गांधी की हत्या जैसे ऐतिहासिक घटनाक्रमों को मिटा दिया, तो केरल ने वैकल्पिक अध्याय इंट्रोड्यूस किए। पीएमश्री साइन करने से राज्य के स्कूलों में दोहरी सिलेबस हो जाएंगे, एक एनईपी वाली, जो भगवा रंग से रंगी लगती है और दूसरी राज्य की अपनी। इससे बच्चे कन्फ्यूजन में पड़ जाएंगे और हमारी इंक्लूसिव, सेकुलर वैल्यूज खतरे में पड़ेंगी। लेकिन यह सब अब बीती बातें रह गई हैं।
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