वैज्ञानिकों ने जोड़ों के कार्टिलेज के पुनर्विकास के जिम्मेदार प्रमुख तत्व का पता लगाया
नयी दिल्ली, 16 नवंबर (एजेंसी)। अमेरिका के टेक्सास विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मानव शरीर में जोड़ों के कार्टिलेज (नरम हड्डियों यानी उप-अस्थि) के पुनर्विकास के जिम्मेदार एक प्रमुख तत्व का पता लगाया है जो अब मानव अंगों के पुनर्विकास के लिए उम्मीद की किरण बन सकता है।
विश्वभर के विश्वविद्यालयों में किए जाने वाले नवीनतम वैज्ञानिक शोधों पर जानकारी जुटाने और उन्हें प्रकाशित करने वाली वेबसाइट 'फ्यूचुरिटी' में हाल में ही प्रकाशित एक लेख के अनुसार टेक्सास ए एंड एम विश्वविद्यालय स्थित पशु औषधि एवं जैव चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालय के पशु चिकित्सा शरीर क्रिया विज्ञान और औषधि विज्ञान विभाग में सहायक प्रोफेसर लिंडसे डॉसन और अन्य शोधकर्ताओं की टीम ने फाइब्रोब्लास्ट (तंतुकोशिका) वृद्धि कारक तत्व (एफजीएफ) की खोज की है। तंतुकोशिकाओं की वृद्धि करने वाला यह तत्व एक तरह का प्रोटीन है।
यह टीम मानव अंगों के पुनर्विकास को संभव बनाने के लिए दिन-रात शोध में जुटी है। दशकों के वैज्ञानिक प्रयोगों ने मानव जाति को इस क्षेत्र में एक कदम आगे बढ़ा दिया है। उक्त लेख के अनुसार मैक्सिको में पाये जाने वाले एक उभयचर प्राणी की विशिष्ट प्राकृतिक क्षमता से टीम को इस शोध की प्रेरणा मिली है जिसमें उसके कुछ खराब अंग पुनर्विकसित हो जाते हैं। दरअसल मैक्सिको में पाया जाने वाला 'एक्सोलोटल' जैसा जीव अपने नष्ट हो चुके अंगों को फिर से विकसित कर सकता है। मानव अंगों को विकसित करने के काम में जुटे शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए यह जीव एक उदाहरण हैं कि नष्ट हो चुके अंगों काे विकसित किया जा सकता है।
प्रोफेसर डॉसन का कहना है, "हम जानते हैं कि हड्डियों के पुनर्विकास के लिए कई अलग-अलग कारकों की आवश्यकता होती है, जिनमें से एक अतिमहत्वपूर्ण कारक तंतुकोशिकाओं का विकास करने वाला प्रोटीन एफजीएफ है।" प्रोफेसर डॉसन का कहना है कि उनकी टीम विभिन्न एफजीएफ को उन ऊतकों में प्रत्यारोपित करने में सक्षम थी, जो सामान्यतः पुनर्जीवित नहीं होते और तब उन्हें एक कारक एफजीएफ8 मिला, जो एक संपूर्ण जोड़ और एक उंगली के सिरे के आरंभ का पुनर्विकास कर सकता है।यह खोज मानव शरीर के किसी पूरे अंग का पुनर्विकास करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।"
प्रोफेसर डॉसन कहती हैं कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि अगर उन सभी कारकों का पता लगाया जा सके, जो एक उंगली की उपास्थि का पुनर्विकास करते हैं, तो हम उन्हीं कारकों को मानव शरीर की पूरी बांह या पूरे पैर पर भी लागू कर सकते हैं और इन अंगों को फिर से विकसित कर सकते हैं। दुनिया में करोड़ों अंगहीन लोगों के लिए प्रोफेसर डॉसन और उनकी टीम का शोधकार्य एक वरदान की तरह है।

