जैसलमेर, 20 नवंबर (एजेंसियां)। राजस्थान के जैसलमेर जिले में गुरुवार को भारतीय वायु सेना के एक इज़राइली मूल के मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी) की आपात लैंडिंग ने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट कर दिया। इंजन में अचानक आई तकनीकी खराबी के कारण यह रिमोटली पायलटेड एयरक्राफ्ट (RPA) नियमित प्रशिक्षण मिशन के दौरान रामगढ़ क्षेत्र के पास एक खेत में उतरने को मजबूर हुआ। जिस स्थान पर यह UAV उतरा, वह भारत-पाकिस्तान सीमा से कुछ ही दूरी पर स्थित सत्तार माइनर के चक संख्या 3 में पड़ता है, जो संवेदनशील इलाकों में से एक माना जाता है।
रामगढ़ पुलिस थाने के सहायक उपनिरीक्षक प्रेम शंकर ने बताया कि उन्हें गुरुवार सुबह स्थानीय किसानों से सूचना मिली कि एक बड़ा ड्रोन खेत में उतरा है। सूचना मिलते ही पुलिस दल मौके पर पहुंचा और तत्काल इलाके को घेर लिया। इसके बाद भारतीय वायु सेना के अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे और UAV को अपने कब्जे में लेकर आगे की जांच शुरू कर दी। अधिकारियों ने बताया कि इस उड़ान का उद्देश्य प्रशिक्षण था, और लैंडिंग स्थल पर किसी प्रकार की क्षति या विस्फोटक खतरे की स्थिति नहीं पाई गई।
यूएवी के इज़राइली मूल का होने के कारण इस मामले में तकनीकी पहलुओं की जांच भी गंभीरता से की जा रही है। भारतीय वायु सेना लंबे समय से इज़राइली हेरॉन और सर्चर श्रेणी के UAV का संचालन करती रही है, और इन्हें सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। तकनीकी खराबी के कारणों का पता लगाने के लिए विशेषज्ञ दल को बुलाया गया है। शुरुआती जानकारी के अनुसार, उड़ान के दौरान इंजन ने अचानक प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया, जिसके बाद नियंत्रण कक्ष ने तत्काल सुरक्षित लैंडिंग के निर्देश दिए। पायलटिंग टीम ने समय रहते UAV को नियंत्रित तरीके से खेत में उतारा, जिससे किसी बड़े हादसे को टाला जा सका।
यह पहली बार नहीं है जब भारतीय वायुसेना के प्रशिक्षण मिशन के दौरान तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ा हो। ठीक कुछ दिन पहले चेन्नई के तांबरम में भी ऐसी ही घटना सामने आई थी, जब भारतीय वायु सेना का पिलाटस पीसी-7 बेसिक ट्रेनर विमान नियमित प्रशिक्षण मिशन के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। 14 नवंबर को हुई इस घटना में पायलट ने समय रहते खुद को सुरक्षित बाहर निकाल लिया था, जिससे कोई जान-माल का नुकसान नहीं हुआ। भारतीय वायुसेना ने तब भी कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी के आदेश दिए थे ताकि दुर्घटना के कारणों का पता लगाया जा सके।
जैसलमेर में हुई ताज़ा घटना ने यह सवाल जरूर उठाया है कि क्या प्रशिक्षण मिशनों के दौरान प्रयोग होने वाले पुराने प्लेटफ़ॉर्म या तकनीकी प्रणालियों में अतिरिक्त निगरानी और उन्नयन की आवश्यकता है। भारत-पाकिस्तान सीमा के समीप UAV की आपात लैंडिंग को सुरक्षा एजेंसियां हल्के में नहीं ले रही हैं। तकनीकी खराबी होने के बावजूद, सीमावर्ती क्षेत्र में UAV जैसी तकनीकी संपत्ति का नियंत्रण से बाहर जाना हमेशा संवेदनशील माना जाता है। सौभाग्य से UAV पूरी तरह सुरक्षित है और इसके डेटा तथा सेंसर सिस्टम की जांच जारी है।
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि ड्रोन जैसे बड़े यान के अचानक खेत में उतरते ही इलाके में अफरा-तफरी मच गई थी। कुछ लोग इसे सैन्य अभ्यास का हिस्सा समझकर दूर से ही देखते रहे, लेकिन पुलिस और वायुसेना के पहुंचते ही क्षेत्र को तुरंत सील कर दिया गया। लोगों में जिज्ञासा तो थी लेकिन अधिकारियों ने किसी भी तरह की फोटो या वीडियो रिकॉर्डिंग की अनुमति नहीं दी।
भारतीय वायुसेना ने बयान जारी कर कहा कि यह एक सामान्य प्रशिक्षण उड़ान थी और लैंडिंग प्रक्रिया पूरी तरह सुरक्षित रही। वायुसेना ने यह भी स्पष्ट किया कि इस UAV की आपात लैंडिंग से किसी भी तरह की सैन्य गतिविधि या सुरक्षा संचालन प्रभावित नहीं हुए हैं। सभी सिस्टम को सुरक्षित स्थान पर ले जाकर तकनीकी जांच शुरू कर दी गई है।
यह घटना ऐसे समय में सामने आई है जब भारतीय वायुसेना लगातार अपने प्रशिक्षण कार्यक्रमों और तकनीकी उपकरणों को अत्याधुनिक बनाने की दिशा में काम कर रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन घटनाओं की विस्तृत जांच भविष्य में सुरक्षा मानकों और तकनीकी विश्वसनीयता को और बेहतर बनाने में मदद करेगी।

