देश में पेगासस पर फिर छिड़ सकती है बहस

जासूसी के शिकार 1400 लोगों में 300 भारतीय

 देश में पेगासस पर फिर छिड़ सकती है बहस

पेगासस के इस्तेमाल के शिकार लोगों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारीपत्रकारमानवाधिकार कार्यकर्ताराजनीतिक असंतुष्ट और राजनयिक शामिल हैं। भारत में पेगासस कथित तौर पर पत्रकारोंराजनेताओंकेंद्रीय मंत्रियों और कुछ सामाजिक सदस्यों के डिजिटल गैजेट्स में लगाया गया था।

नई दिल्ली, 22 दिसंबर (एजेंसियां)।  भारतीय राजनीति में पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर एक बड़ा मुद्दा रहा और अमेरिकी कोर्ट के इज़राइली एनएसओ ग्रुप को लेकर आए फैसले के चलतेभारत में एक बार फिर पेगासस विवाद पर बहस छिड़ सकती है। अमेरिकी अदालत ने एनएसओ ग्रुप को पेगासस के लिए जिम्मेदार ठहराया और कहा है कि कंपनी इस पूरे विवाद के लिए जवाबदेह है।

अमेरिकी कोर्ट का यह फैसला व्हाट्सऐप द्वारा एनएसओ ग्रुप के खिलाफ दाखिल केस में आया है। इस केस को सुनने वाले जज फिलिस हैमिल्टन ने कहा है कि इज़राइली स्पाईवेयर निर्माता 1400 वॉट्सऐप यूजर्स को टारगेट करने के लिए आरोपी है। जज ने कहा कि यह अमेरिकी कानून का उल्लंघन करने के लिए एनएसओ ग्रुप भी उत्तरदायी है।

पेगासस के इस्तेमाल के शिकार लोगों में वरिष्ठ सरकारी अधिकारीपत्रकारमानवाधिकार कार्यकर्ताराजनीतिक असंतुष्ट और राजनयिक शामिल हैं। भारत में पेगासस कथित तौर पर पत्रकारोंराजनेताओंकेंद्रीय मंत्रियों और कुछ सामाजिक सदस्यों के डिजिटल गैजेट्स में लगाया गया था।

अमेरिका में राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने 2021 में एनएसओ समूह को ब्लैक लिस्ट सूची में डाल दिया था और अमेरिकी सरकारी एजेंसियों को इसके प्रोडक्ट्स खरीदने से रोक दिया था। आरोप है कि पेगासस को इस्तेमाल दुनियाभर के देशों में सत्ताधारी सरकारों की पार्टियों ने हैकिंग और जासूसी के लिए किया। साल 2021 में एक रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया था कि पेगासस का उपयोग 300 से अधिक भारतीय मोबाइल नंबरों पर भी किया गया था। इनमें नरेंद्र मोदी सरकार के दो मंत्रीतीन विपक्षी नेताएक संवैधानिक प्राधिकरणकई पत्रकार और व्यवसायी शामिल थे। इस खुलासे ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों पर सवाल खड़े कर दिए थे।

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केंद्र की मोदी सरकार और राज्यों की सरकारों पर आरोप इसलिए भी लगाए गए क्योंकि एनएसओ ग्रुप ने बार-बार स्पष्ट तौर पर यह कहा कि वह केवल सरकारों और सरकारी एजेंसियों से ही डील करता है। हालांकि यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि व्हाट्सऐप बनाम एनएसओ ग्रुप मामले के हिस्से के रूप में बिना सील किए गए दस्तावेजों से पता चला है कि एनएसओ ग्रुप ने सालों तक पेगासस की तैनाती में अपनी भूमिका को कम करके आंका था।

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2021 की मीडिया रिपोर्ट्स के बाद भारत सरकार ने पेगासस के इस्तेमाल के दावों का खंडन किया था और कहा था कि वह किसी भी तरह की जासूसी में शामिल नहीं है। उस समय संसद में दिए गए एक बयान में आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि रिपोर्टों में कोई तथ्य नहीं है। आईटी मंत्री ने कहा था कि भारत के निगरानी कानून यह सुनिश्चित करते हैं कि अनधिकृत निगरानी नहीं हो सकती है।

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उस दौरान एनएसओ समूह ने यह भी दावा किया था कि जासूसी के आरोप झूठे और भ्रामक थे। एनएसओ समूह ने एक बयान में कहा था कि रिपोर्ट गलत धारणाओं और अपुष्ट सिद्धांतों से भरी हुई हैजो स्रोतों की विश्वसनीयता और हितों के बारे में गंभीर संदेह पैदा करती है। ऐसा लगता है कि अज्ञात स्रोतों ने ऐसी जानकारी दी है जिसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है और जो वास्तविकता से बहुत दूर है।

भारत में नागरिकों की जासूसी करने के आरोपों के बाद जांच की मांग को लेकर सर्वोच्च न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गईं। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके अनधिकृत निगरानी के आरोपों की जांच करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की एक समिति बनाई थी। अगस्त 2022 में तकनीकी विशेषज्ञों की समिति को अपने द्वारा जांचे गए फ़ोन में स्पाइवेयर के उपयोग पर कोई निर्णायक सबूत नहीं मिलालेकिन उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने पैनल के साथ सहयोग नहीं किया। रिपोर्ट सीलबंद है और तब से इसे सार्वजनिक रूप से जारी नहीं किया गया है।

जांच पैनल की निगरानी कर रहे सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरवी रवींद्रन ने बताया था कि रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी गई हैइसलिए कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। भारतीय नागरिकों पर पेगासस का उपयोग करने में केंद्र सरकार की संलिप्तता संदिग्ध बनी हुई है लेकिन स्पाइवेयर कम से कम दो राज्योंपश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में एक गरमागरम चर्चा का विषय बन गया है। 2021 में पश्चिम बंगाल सरकार ने पेगासस का उपयोग करके फोन की कथित निगरानी की जांच के लिए एक जांच आयोग का गठन किया। पश्चिम बंगाल सरकार का इस गठन के पीछे उद्देश्य रिपोर्ट की गई इंटरसेप्शन और इस तरह के इंटरसेप्शन के माध्यम से एकत्रित की गई ऐसी सूचनाओं के राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं के हाथों में होनेभंडारण और उपयोग की जांच करना और रिपोर्ट करना था। हालांकिआयोग का काम जल्दी ही खत्म हो गया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इसकी कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।

आंध्र प्रदेश में पेगासस के कथित इस्तेमाल का मामला वाईएसआरसीपी और टीडीपी के बीच राजनीतिक मुद्दा बन गया था। 2022 में राज्य की विधानसभा ने एक समिति गठित करने का प्रस्ताव पारित कियाताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या पिछली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सरकार ने पेगासस खरीदा और उसका इस्तेमाल किया था। अब जब अमेरिकी कोर्ट ने इस मामले में एनएसओ ग्रुप को नाम सीधे तौर पर लिया है और पेगासस को लेकर सख्त बयान दिया हैतो इसके बाद एक बार फिर पेगासस को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। पेगासस भारतीय राजनीति में एक बड़ा मुद्दा रहा था और अब एक बार फिर विवाद हो सकता है।

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