सेक्स रैकेट और मानव तस्करी का पर्दाफाश

पश्चिम बंगाल में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की बड़ी कार्रवाई

सेक्स रैकेट और मानव तस्करी का पर्दाफाश

बार और रेस्तरां की चेन के जरिए हो रहा था धंधा

कोलकाता, 09 नवंबर (एजेंसियां)। पश्चिम बंगाल में प्रवर्तन निदेशालय (ईडीने एक बड़े मानव तस्करी और सेक्स रैकेट का पर्दाफाश किया है। ईडी की कोलकाता जोनल टीम ने सात नवंबर को बिधाननगरकोलकाता और सिलीगुड़ी समेत कई इलाकों में एक साथ छापेमारी की। इस दौरान एजेंसी ने एक करोड़ रुपए से ज्यादा नकददो लग्जरी गाड़ियांकई डिजिटल डिवाइस और बैंक खातों से जुड़े अहम दस्तावेज बरामद किए।

जांच में ईडी को पता चला कि रोजगार का झांसा देकर महिलाओं को धंधे में धकेला जा रहा था। यह गिरोह बार-कम-रेस्टोरेंट और डांस बारों के जरिए महिलाओं का शोषण करता था। आरोपी पहले महिलाओं को नौकरी देने का झांसा देते थे और फिर उन्हें जबरदस्ती इस गैरकानूनी धंधे में धकेल देते थे। कई बार महिलाओं को धमकाकर और ब्लैकमेल करके उनसे जबरन काम करवाया जाता था। इस गिरोह ने इसी रास्ते से कई करोड़ रुपए की अवैध कमाई की थी। ईडी ने बताया कि इस रैकेट के मुख्य आरोपी जगजीत सिंहअजमल सिद्दीकी और बिश्नु मुंद्रा हैं। ये तीनों और इनके सहयोगी मिलकर कई बार और रेस्टोरेंट चलाते थेजिनका इस्तेमाल मानव तस्करी और सेक्स रैकेट चलाने के लिए किया जा रहा था। इन जगहों पर बाहरी राज्यों से लड़कियों को बुलाया जाता था और फिर उन्हें बंधक बनाकर ग्राहकों के साथ भेजा जाता था। ईडी की जांच में यह भी सामने आया कि आरोपी अपने अवैध पैसों को वैध दिखाने के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का सहारा ले रहे थे। वे नकद में कमाए गए करोड़ों रुपए को कई शेल कंपनियों (कागज़ी कंपनियों) के खातों में जमा करते थे और वहां से लेन-देन दिखाकर उसे वैध आय की तरह पेश करते थे। इस तरह वे अपराध से कमाए गए पैसों को सिस्टम में घुमा-फिराकर सफेद बना लेते थे।

छापेमारी में भारी कैश और लग्जरी गाड़ियां बरामद हुई हैं। ईडी के छापे में कुल 1.01 करोड़ रुपए नकद मिले। इसके अलावा दो लग्जरी गाड़ियां एक लैंड रोवर डिफेंडर और एक जगुआर जब्त की गई हैं। साथ हीएजेंसी को कई डिजिटल डिवाइसप्रॉपर्टी से जुड़े दस्तावेज और बैंक खातों की जानकारियां भी मिली हैं। इन सबकी जांच जारी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कितनी बड़ी रकम अब तक विदेशों या अन्य राज्यों में भेजी गई है। ईडी ने यह कार्रवाई पश्चिम बंगाल पुलिस की कई एफआईआर और चार्जशीट के आधार पर शुरू की थी। पुलिस ने इन मामलों को आईपीसी, आर्म्स एक्ट और इम्मोरल ट्रैफिक प्रिवेंशन एक्ट (आईटीपीएके तहत दर्ज किया था। इन एफआईआर में भी इन्हीं तीन मुख्य आरोपियों जगजीत सिंहअजमल सिद्दीकी और बिश्नु मुंद्रा के नाम थे।

ईडी का कहना है कि यह संगठित नेटवर्क लंबे समय से पश्चिम बंगाल और पड़ोसी राज्यों में सक्रिय था। यह गिरोह महिलाओं को बहला-फुसलाकर या रोजगार के झूठे वादों से अपने जाल में फंसाता था। फिर उनसे जबरन अवैध काम करवाकर मोटी रकम कमाई जाती थी। जो महिलाएं विरोध करतींउन्हें डराया-धमकाया जाता था या उनके परिवारों को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी जाती थी। ईडी ने कहा है कि यह मामला सिर्फ मानव तस्करी तक सीमित नहीं हैबल्कि यह एक बड़े वित्तीय अपराध से जुड़ा हुआ है। एजेंसी अब यह जांच कर रही है कि इस नेटवर्क के पीछे और कौन-कौन से लोग शामिल हैंऔर क्या इसमें किसी राजनीतिक या प्रशासनिक स्तर पर सहयोग मिला था। फिलहालजब्त दस्तावेजों और डिजिटल डेटा की गहन जांच की जा रही है।

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