भारत की मुख्य धारा से जुड़ेंगी सिंधु सतलज रावी व्यास
निर्दोषों के खून से भीगा पाकिस्तान पानी के लिए तरसेगा
200 किमी की नहर और 12 सुरंगें बनेंगी
नई दिल्ली, 07 जून (एजेंसियां)। सीमा पार आतंक पर प्रहार के लिए भारत ने सिंधु, सतलज और व्यास नदियों का पानी अपने उपयोग तक सीमित करने की रणनीति बनाई है। इसके तहत रावी-व्यास को सतलज से जोड़कर जल भारत में रोका जाएगा। नहरों और सुरंगों से यमुना से जोड़कर राजस्थान-हरियाणा तक पानी पहुंचाया जाएगा। सीमा पार आतंक से स्थायी तौर पर मुक्ति के लिए भारत ने पाकिस्तान पर जल प्रहार की लंबी रणनीति तैयार की है। सिंधु जल समझौता स्थगित करने के बाद भारत की तैयारी अब पाकिस्तान को बूंद-बूंद पानी के लिए तरसाने की है। इसके तहत सिंधु, सतलज और व्यास नदियों के पानी का उपयोग अपने भूभाग तक सीमित रखने की योजना बनाई गई है।
सिंधु नदी को रावी-व्यास नदियों से जोड़ते हुए सतलज के जरिए पंजाब के हरिके बैराज तक पानी लाया जाएगा। करीब 200 किमी की नहर परियोजना में 12 बड़ी सुरंगें बनाने और इसके जरिए हासिल पानी को इंदिरा गांधी नहर और राजस्थान की गंगा नहर सहित कुछ अन्य नहरों से जोड़ते हुए यमुना नदी से मिलाने की है। विस्तारित योजना में इन नदियों की धारा को यमुना से जोड़ा जाएगा। इसके शुरुआती चरण में पंजाब के सरहिंद फीडर, हरियाणा में राजस्थान फीडर के साथ इंदिरा गांधी नहर के साथ गंगा नहर की क्षमता बढ़ाने, गाद निकालने और लीकेज रोकने का काम पूरा किया जा रहा है। परियोजना को पूरा होने में दो से तीन साल का समय लगेगा। इससे यमुना को भी नया जीवन मिलेगा। पाकिस्तान सिंधु जल संधि बहाल करने के लिए भारत के सामने एकबार फिर गिड़गिड़ाया है। उसने संधि बहाल करने के लिए भारत को चौथा पत्र लिखा है। भारत ने पहले ही साफ कर दिया है कि व्यापार व आतंक साथ नहीं चलेगा। भारत ने पाकिस्तान पर संधि की शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है।
सिंधु नदी के पानी को डायवर्ट कर रावी और व्यास नदियों को जोड़ते हुए सतलज नदी के जरिए इसे हरिके बैराज तक लाया जाएगा। इसी क्रम में हरिके बैराज के समानांतर करीब 200 किमी की नहर बनेगी। बाद में इन दोनों नहरों को अलग-अलग राजस्थान के गंगा नगर सहित कई अन्य नहरों के साथ यमुना से जोड़ा जाएगा। सिंधु के जल का रुख मोड़ने के लिए 12 सुरंगें बनाई जानी हैं। पूरी कवायद यह है कि इन नदियों के पानी का लाभ जम्मू कश्मीर के बाद पंजाब, हिमाचल, राजस्थान, हरिया
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत की ओर की गई कार्रवाई से पाकिस्तान के पसीने छूट गए हैं। भारत के सिंधु जल संधि को स्थगित करने से पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में भारत के खिलाफ हमले की कोशिश कर रहा पाकिस्तान अब पूरी तरह से घुटनों पर आ गया है। इसलिए वह लगातार भारत के सामने गिड़गिड़ाकर सिंधु जल संधि को बहाल करने की अपील कर रहा है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान करीब चार बार भारत को पत्र लिखकर सिंधु जल संधि दोबारा शुरू करने की गुहार लगा चुका है।
पाकिस्तान के जल संसाधन सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत के जल शक्ति मंत्रालय को कुल चार पत्र भेजे हैं, जिसमें संधि को निलंबित करने के फैसले की समीक्षा करने का आग्रह किया गया है। बताया जा रहा है कि तीन पत्र ऑपरेशन सिंदूर के बाद लिखे गए थे। पाकिस्तान एक ओर संधि को बहाल करने की मांग कर रहा है तो दूसरी ओर कह रहा है कि जल संधि का निलंबन समझौते का उल्लंघन है। हालांकि भारत की ओर से पत्रों को लेकर प्रतिक्रिया नहीं आई है।
पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने 23 अप्रैल को सिंधु जल समझौते (1960) को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने की घोषणा की। यह कदम पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देने के जवाब में उठाया गया था। दोनों देशों के बीच चार युद्धों और दशकों से जारी सीमा पार आतंकवाद के बावजूद इस संधि को बरकरार रखा गया था। सिंधु नदी के जल पर पाकिस्तान की 70 फीसदी कृषि निर्भर करती है। कई शहरों के लिए पेयजल की आपूर्ति भी इस नदी से की जाती है।
भारत-पाकिस्तान के बीच चार दिन तक चले संघर्ष के बाद बीती 10 मई को इस पर विराम लग गया था। पाकिस्तान की ओर से घुटने टेके जाने के बाद भारत ने 10 तारीख को शाम पांच बजे से संघर्ष विराम का एलान किया। तब विदेश मंत्रालय ने बताया था कि संघर्ष विराम के लिए भारत अपनी शर्तों पर तैयार हुआ है। संघर्ष विराम के बीच सिंधु जल संधि का निलंबन जारी रहेगा।
सिंधु जल समझौता, 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित एक जल-बंटवारा समझौता है। इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी। इस समझौते का उद्देश्य सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के पानी के उपयोग को लेकर दोनों देशों के बीच विवादों को रोकना था। इस संधि के तहत, हिमालय के सिंधु नदी बेसिन की छह नदियों को दो भागों में बांटा गया है। पूर्वी नदियों व्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत को मिलता है जबकि पश्चिमी नदियों सिंधु, झेलम और चिनाब का कंट्रोल पाकिस्तान के पास आया। समझौते के तहत भारत को लगभग 30 प्रतिशत और पाकिस्तान को 70 प्रतिशन पानी का हक मिला। इस समझौते में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों का पानी भारत को पाकिस्तान में जाने देना होगा।
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