बांग्लादेशी घुसपैठिया बन गई ग्राम प्रधान
रक्षा और प्रशासन तंत्र के नाकारेपन का प्रमाण
टीएमसी का संरक्षण, फर्जी दस्तावेजों पर नागरिकता दिलाई
कोलकाता, 01 जनवरी (एजेंसियां)। पश्चिम बंगाल की सत्ताधारी पार्टी टीएमसी की एक ग्राम पंचायत प्रधान बांग्लादेशी घुसपैठिया है। टीएमसी की नेता और ग्राम प्रधान लवली खातून ने टीएमसी की मदद से जाली दस्तावेजों के आधार भारत की नागरिकता हासिल की और पश्चिम बंगाल के हरिशचंद्रपुर ब्लॉक-1 के रशीदाबाद पंचायत की प्रधान बन बैठी।
लवली खातून टीएमसी की मदद से फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और प्रधान पद पर जीत हासिल की। खूबी यह है कि लवली खातून प्रत्याशी कांग्रेस पार्टी की थी, लेकिन समर्थन तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) दे रही थी। इस मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट ने उप विभागीय अधिकारी से रिपोर्ट मांगी है। लवली खातून के खिलाफ रेहाना सुल्ताना ने कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है।
रेहाना सुल्ताना के वकील अमलान भादुड़ी ने कहा कि याचिकाकर्ता ने टीएमसी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन वह लवली खातून से हार गई थीं, जिन्होंने कांग्रेस और वाम गठबंधन की उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था, लेकिन अंदर-अंदर टीएमसी लवली को समर्थन दे रही थी। खातून के चुनाव जीतने के एक या दो महीने के भीतर ही वह टीएमसी में शामिल हो गई।
लवली खातून का असली नाम नासिया शेख है और वह बांग्लादेश की अवैध घुसपैठिया है, जो बिना पासपोर्ट के अवैध रूप से भारत में घुसी थी। 2015 में खातून के नाम पर आधार कार्ड जारी किया था, और 2018 में जन्म प्रमाण पत्र जारी किया गया। लवली खातून ने चुनाव में अपनी पात्रता साबित करने के लिए आधार कार्ड, वोटर कार्ड और यहां तक कि ओबीसी स्टेटस जैसे फर्जी दस्तावेज भी बनवाए। लवली खातून पड़ोस के गांव के शेख मुस्तफा का नाम पिता के नाम पर लिखवा लिया, जबकि उसके पिता का असली नाम जमील बिस्वास है। राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर में भी शेख मुस्तफा के परिवार में लवली का कोई जिक्र नहीं है।
वकील ने सवाल उठाया है कि खातून कैसे चुनाव लड़ सकती हैं, जबकि वह भारतीय नागरिक नहीं हैं। इस मामले का पर्दाफाश ऐसे समय में हुआ है जब अवैध रूप से देश में प्रवेश करने वाले बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को वापस उनके मुल्क में धकेलने की कार्रवाइयां जोर पकड़ रही हैं। दिल्ली से बांग्लादेशी घुसपैठियों को पिछले दिनों वापस बांग्लादेश भेजा गया। पश्चिम बंगाल में भी जाली दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बनाने के आरोप में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिन्हें वापस बांग्लादेश धकेलने की कार्रवाई हो रही है।