नई दिल्ली, 1 दिसम्बर,(एजेंसियां)। शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार को जोरदार राजनीतिक हलचल के साथ हुई। एक ओर लोकसभा में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision—SIR) को लेकर विपक्ष का जबरदस्त प्रदर्शन जारी रहा, दूसरी ओर राज्यसभा में नव-निर्वाचित सभापति और उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का ऐतिहासिक और भव्य स्वागत हुआ। एक ओर लोकसभा की कार्यवाही बार-बार बाधित होकर स्थगित होती रही, वहीं उच्च सदन में गरिमा और परंपरा के बीच लोकतांत्रिक संवाद की मिसाल दिखाई दी। लेकिन SIR मुद्दे पर दोनों सदनों में विपक्ष का आक्रामक तेवर भी कायम रहा और राज्यसभा में इस मुद्दे पर चर्चा न होने के विरोध में विपक्ष वॉकआउट कर गया।
लोकसभा: SIR पर विपक्ष का घमासान, कार्यवाही दिनभर बाधित
शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन लोकसभा में विपक्षी दलों ने देशभर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर तत्काल चर्चा की मांग को लेकर जोरदार हंगामा किया। लगातार नारेबाजी और पोस्टरबाजी के कारण सदन की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी और अंततः पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन की शुरुआत में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने दिवंगत पूर्व सदस्यों को श्रद्धांजलि दी और महिला क्रिकेट एवं कबड्डी विश्वकप में टीम इंडिया की जीत पर खिलाड़ियों को बधाई दी। उन्होंने सत्र के पहले दिन सदस्यों से उच्च स्तरीय संसदीय परंपराओं के अनुरूप कार्य करने और संवाद के माध्यम से समस्याओं के समाधान की अपील की।
हंगामे के बीच भी सदन में कुछ विधायी कार्य सम्पन्न हुए। विपक्षी शोरगुल के बावजूद ‘मणिपुर माल और सेवा कर (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2025’ पारित कर दिया गया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारी हंगामे के बीच ‘केंद्रीय उत्पाद शुल्क (संशोधन) विधेयक, 2025’ और ‘स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ पेश किए।
इसके साथ ही सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2025–26 में 41,455 करोड़ रुपये के शुद्ध अतिरिक्त व्यय के लिए सदन से मंजूरी मांगी। इसमें 27,000 करोड़ रुपये से अधिक उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी से संबंधित व्यय शामिल है। शिक्षा से जुड़े एक सवाल के उत्तर में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री जयंत चौधरी ने बताया कि पिछले पांच साल में असम के 2,900 से अधिक सरकारी स्कूलों को संसाधनों के बेहतर उपयोग के लिए पास के स्कूलों में मिला दिया गया है।
राज्यसभा: नए सभापति C.P. राधाकृष्णन का भव्य स्वागत, विपक्ष का वॉकआउट
शीतकालीन सत्र की शुरुआत राज्यसभा में एक ऐतिहासिक क्षण लेकर आई—नवनिर्वाचित उपराष्ट्रपति और उच्च सदन के सभापति सी.पी. राधाकृष्णन पहली बार सदन की अध्यक्षता के लिए पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सदन के नेता जे.पी. नड्डा, नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और अन्य दलों के नेताओं ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राधाकृष्णन का साधारण परिवार से उठकर देश के उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचना भारतीय लोकतंत्र की असली ताकत को प्रदर्शित करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनका अनुभव और मार्गदर्शन सदन को अधिक प्रभावी और मजबूत बनाएगा।
अपने प्रथम संबोधन में सभापति राधाकृष्णन ने सभी सदस्यों से संविधान और राज्यसभा के नियमों द्वारा निर्धारित ‘संसदीय आचरण की लक्ष्मण रेखा’ का सम्मान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि उच्च सदन के पास भारी विधायी जिम्मेदारियाँ हैं और समय का अधिकतम उपयोग तभी संभव है, जब सदस्यों का आचरण अनुशासित और सहयोगपूर्ण हो।
इसी दौरान विपक्ष ने SIR मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग उठाते हुए सदन में तीखी आपत्ति दर्ज कराई। तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओ’ब्रायन ने सभापति से चर्चा कराने की मांग की। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि सरकार चर्चा की मांग पर विचार कर रही है, लेकिन विपक्ष ने तत्काल चर्चा न कराने पर उच्च सदन से वॉकआउट कर दिया।
सवालों और स्वागत के बीच गरमाया सत्र का पहला दिन
शीतकालीन सत्र 19 दिनों का होगा और कुल 15 बैठकें प्रस्तावित हैं। पहला दिन दोनों सदनों में राजनीति के दो रूपों का प्रतीक बना—लोकसभा में टकराव और अवरोध, और राज्यसभा में लोकतांत्रिक गरिमा के साथ नए सभापति का स्वागत।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि SIR पर चर्चा को खारिज नहीं किया गया है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि सरकार मतदाता सूची पुनरीक्षण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर पारदर्शिता से बच रही है। यही तनाव पहले दिन की मुखर तस्वीर बना।
आगे के दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार और विपक्ष संवाद और टकराव के बीच कैसे संतुलन साधते हैं, और क्या SIR का मुद्दा आगामी दिनों में संसद का प्रमुख विवाद बनकर उभरता है।

