सिद्धरामैया ने केंद्र से आमों के लिए समर्थन मूल्य घोषित करने का किया आग्रह

सिद्धरामैया ने केंद्र से आमों के लिए समर्थन मूल्य घोषित करने का किया आग्रह

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने कहा कि बाजार में आमों की कीमत में भारी गिरावट आई है और केंद्र सरकार को तत्काल हस्तक्षेप कर समर्थन मूल्य की घोषणा करनी चाहिए| मुख्यमंत्री ने केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान को तत्काल पत्र लिखकर आम के बाजार में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है|

राज्य में १.३९ लाख हेक्टेयर में आम उगाए जाते हैं और उत्पादन लगभग ८ से १० लाख मीट्रिक टन होने की उम्मीद है| उन्होंने कहा कि आम का उत्पादन मुख्य रूप से बेंगलूरु ग्रामीण, बेंगलूरु शहरी, चिक्कबल्लापुर, कोलार, बेंगलूरु दक्षिण (रामनगर) जिलों में होता है| मई और जून में आम का बाजार मूल्य सामान्य रूप से १२,००० रुपये प्रति क्विंटल होता है| वर्तमान में यह गिरकर ३,००० रुपये हो गया है| कर्नाटक राज्य कृषि मूल्य आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, प्रति क्विंटल आम के उत्पादन की लागत ५,४६० रुपये है| उत्पादन और बाजार मूल्य में बहुत बड़ा अंतर है|

इसलिए उन्होंने मांग की है कि केंद्र सरकार तत्काल समर्थन मूल्य घोषित करे और नैफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से आम की खरीद शुरू करे| अगर केंद्र सरकार समय रहते हस्तक्षेप करे तो ग्रामीण क्षेत्रों में भविष्य में होने वाले उतार-चढ़ाव को रोका जा सकता है| उन्होंने कहा कि इससे सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों को कम किया जा सकता है| इससे पहले मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को पत्र लिखकर कर्नाटक के सीमावर्ती जिलों से आंध्र प्रदेश के चित्तूर तक तोतापुरी आमों के परिवहन पर प्रतिबंध हटाने की मांग की है|

उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को पत्र लिख कहा कि ७ जून को चित्तूर जिला कलेक्टर ने तोतापुरी आमों के परिवहन पर प्रतिबंध लगा दिया है| कर्नाटक से आंध्र प्रदेश में आमों के परिवहन को रोकने के लिए सीमा पर राजस्व, पुलिस, वन और विपणन विभाग के अधिकारियों को तैनात किया गया है|

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तमिलनाडु और कर्नाटक से आमों का परिवहन रोक दिया गया है| उन्होंने आपत्ति जताई है कि यह एक स्थायी उपाय नहीं है| आंध्र प्रदेश की सीमा से लगे कर्नाटक के जिलों में आम उत्पादकों को इस वजह से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है| कर्नाटक के किसान लंबे समय से चित्तूर में आम प्रसंस्करण इकाई से जुड़े हुए हैं| इस वजह से बाजार का विस्तार हो रहा है|

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मौजूदा प्रतिबंधों ने मौजूदा आपूर्ति श्रृंखला को बाधित कर दिया है, जिसका प्री-मानसून सीजन के दौरान हजारों किसानों की आजीविका पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा| बिना किसी समन्वय या तालमेल के उठाए गए इस कदम से संघीय व्यवस्था की भावना को नुकसान पहुंचा है| इससे राज्यों के बीच सब्जियों और कृषि के आदान-प्रदान पर असर पड़ा है| संबंधित लोग पहले से ही लेन-देन बंद कर रहे हैं| उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में व्यापार में और नुकसान होने का डर है|

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