सरला भट्ट बलात्कार एवं हत्याकांड की जांच फिर तेज
यासीन मलिक के ठिकानों पर छापा
श्रीनगर, 13 अगस्त (एजेंसियां)। जम्मू-कश्मीर में 1990 में हुई कश्मीरी पंडित सरला भट्ट की नृशंस हत्या का मामला एक बार चर्चा में है। राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने इस मामले की जांच आगे बढ़ाई है। मंगलवार 12 अगस्त को श्रीनगर में एसआईए ने 8 जगह छापामारी की है। यह छापामारी जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के मुखिया यासीन मलिक और उसके साथियों के घरों पर की गई है।
जेकेएलएफ ही 1990 में हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का जिम्मेदार है। सरला भट्ट को भी इसी आतंकी संगठन ने अपहरण और गैंगरेप कर हत्या कर दी थी। इस घटना को 35 साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक सरला भट्ट को न्याय नहीं मिला है। एसआईए को मामले की जांच सौंपे जाने के बाद तेजी आई है। एसआईए को जांच में सरला भट्ट की हत्या से जुड़े काफी सबूत मिले, जिसके आधार पर एसआईए की आगे की कार्रवाई शुरू की गई।
27 साल की सरला भट्ट जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में रहने वाली कश्मीरी पंडित थीं। उसका हिंदू होना ही गुनाह था। जब 1990 में घाटी में कश्मीरी पंडितों का जेहादियों ने नरसंहार किया, तब सरला भी उसका शिकार हुईं। सरला कश्मीर के सौरा स्थित शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में नर्स के रूप में कार्यरत थीं। आतंकी उन्हें उठाकर ले गए। पांच दिन बाद सड़क पर उनका शव पड़ा मिला था।
वह 14 अप्रैल 1990 का दिन था, जब सरला भट्ट एसकेआईएमएस के हब्बा खातून हॉस्टल से आतंकियों ने उनका अपहरण कर लिया। सरला भट्ट का पांच दिन तक कुछ पता नहीं लगा। उनके साथ गैंगरेप किया गया। उन्हें बुरी तरह टॉर्चर किया गया। 19 अप्रैल 1990 को उनका क्षत-विक्षत शव सड़क पर पड़ा मिला था। सरला भट्ट के शव के पास एक नोट भी मिला था, जिसमें उन्हें पुलिस का मुखबिर बताया गया था। इस मामले में निगीन पुलिस थाने में एफआईआर (संख्या 56/1990) दर्ज की गई थी। हालांकि, एफआईआर में हिंदू नर्स के साथ रेप का कोई जिक्र तक नहीं है। इस बर्बर मामले में जेकेएलएफ के पूर्व नेता पीर नूरुल हक शाह उर्फ एयर मार्शल का भी नाम सामने आया था। एसआईए को जब सरला भट्ट मामले की जांच सौंपी गई तो जेकेएलएफ का सरगना यासीन मलिक और उसके साथियों के खिलाफ काफी सबूत मिले। इसी के आधार पर एसआईए ने यासीन मलिक और उसके गुर्गों के घरों पर छापेमारी की है। यासीन मलिक अभी दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद है।
राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) ने अदालत से यासीन मलिक को फांसी की सजा सुनाने की मांग कर रखी है। यासीन मलिक पर 1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार में शामिल होने के भी आरोप हैं। सरला भट्ट केवल एकलौता नाम नहीं है, जिनकी बर्बरता से हत्या की गई। 1980-90 तक ऐसे 700 कश्मीरी पंडितों की घाटी में हत्या कर दी गई। ये हत्या कश्मीरी पंडितों के बीच दहशत फैलाने के लिए की गई थी। आतंकी सरेआम हिंदू महिलाओं को घर से उठा ले जाते थे, कई मां-बाप के सामने उनके बच्चों की हत्या हुई, हिंदुओं का मकान चुनकर निशाना बनाया जाता था। इन सब से परेशान होकर उस समय लगभग 3.5 लाख कश्मीरी पंडितों ने घाटी से पलायन किया।
साल 2024 तक कश्मीर घाटी में केवल 728 गैर-प्रवासी पंडित ही बचे हैं। जबकि 2021 में 808 परिवार थे। यानि, कश्मीर पंडितों की हत्या और उनका पलायन अब भी जारी है। द कश्मीर फाइल्स भी कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार और उनके पलायन को दर्शाने वाली फिल्म थी, जिसमें घाटी की असलियत दिखाई गई थी।
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