'नागरिकों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे'
राष्ट्रपति मुर्मू बोलीं- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में मिसाल बनेगा ऑपरेशन सिंदूर
नई दिल्ली, 14 अगस्त,(एजेंसियां)। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर अपने संबोधन में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक ऐतिहासिक मिसाल के रूप में याद किया जाएगा। राष्ट्रपति मुर्मू ने पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर हुए आतंकवादी हमले को 'कायरतापूर्ण और पूरी तरह से अमानवीय' बताया। उन्होंने आगे कहा कि पहलगाम हमले के प्रति भारत की प्रतिक्रिया, ऑपरेशन सिंदूर, निर्णायक और दृढ़ संकल्प के साथ थी। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाया कि राष्ट्र की रक्षा के लिए हमारे सशस्त्र बल किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि नागरिकों की रक्षा के लिए हर कदम उठाएंगे।
द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि इस वर्ष, हमें आतंकवाद का दंश झेलना पड़ा। कश्मीर घूमने गए निर्दोष नागरिकों की हत्या, कायरतापूर्ण और नितांत अमानवीय थी। इसका जवाब भारत ने, फौलादी संकल्प के साथ निर्णायक तरीके से दिया। ऑपरेशन सिंदूर ने यह दिखा दिया कि जब राष्ट्र की सुरक्षा का प्रश्न सामने आता है तब हमारे सशस्त्र बल किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए पूरी तरह सक्षम सिद्ध होते हैं। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर, प्रतिरक्षा के क्षेत्र में, 'आत्मनिर्भर भारत मिशन' की परीक्षा का भी अवसर था। अब यह सिद्ध हो गया है कि हम सही रास्ते पर हैं। हमारा स्वदेशी विनिर्माण उस निर्णायक स्तर पर पहुंच गया है जहां हम अपनी बहुत सी सुरक्षा-आवश्यकताओं को पूरा करने में भी आत्मनिर्भर बन गए हैं।
उन्होंने कहा कि युवा प्रतिभाओं से प्रेरित होकर, हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम ने अभूतपूर्व विस्तार देखा है। मुझे विश्वास है कि शुभांशु शुक्ला की अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन तक की अंतरिक्ष यात्रा ने एक पूरी पीढ़ी को बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित किया है। यह भारत के आगामी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, 'गगनयान' के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध होगा। नए आत्मविश्वास से ओतप्रोत, हमारे युवा खेलों में अपनी पहचान बना रहे हैं। उदाहरण के लिए, शतरंज में अब भारत के युवाओं का पहले से कहीं अधिक दबदबा है। हम ऐसे परिवर्तनकारी बदलावों की आशा करते हैं जो राष्ट्रीय खेल नीति 2025 में निहित दृष्टिकोण के तहत भारत को एक वैश्विक खेल महाशक्ति के रूप में स्थापित करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती का सामना करने के लिए, हमें अपने आप में भी कुछ परिवर्तन करने होंगे। हमें अपनी आदतें और अपनी विश्व-दृष्टि में बदलाव लाना होगा। हमें अपनी धरती, नदियों, पहाड़ों, पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के साथ अपने संबंधों में भी परिवर्तन करना होगा। उन्होंने कहा कि सामाजिक क्षेत्र में किए गए प्रयासों से संवर्धित, समग्र आर्थिक विकास के बल पर भारत, 2047 तक एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के मार्ग पर अग्रसर है। मैं समझती हूं कि अमृत काल के इस दौर में, आगे बढ़ते जाने की राष्ट्रीय यात्रा में, सभी देशवासी यथाशक्ति अपना सर्वाधिक योगदान देंगे।
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