लद्दाख हिंसा की स्वतंत्र न्यायिक जांच होनी चाहिए

जोधपुर जेल से सोनम वांगचुक ने जारी किया अपना संदेश

 लद्दाख हिंसा की स्वतंत्र न्यायिक जांच होनी चाहिए

वांगचुक के खिलाफ केंद्र सरकार कर रही साजिश: गीतांजलि

जोधपुर, 05 अक्टूबर (एजेंसियां)। लद्दाख आंदोलन के नेता सोनम वांगचुक ने जोधपुर जेल से संदेश जारी करते हुए लद्दाख में हाल में हुई हत्याओं की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। वांगचुक ने कहा है कि लद्दाख हिंसा की निष्पक्ष एवं स्वतंत्र जांच का आदेश दिए जाने तक वे हिरासत में रहने के लिए तैयार हैं। वांगचुक के वकील मुस्तफा हाजी और उनके वांगुचक के बड़े भाई त्सेतन दोरजे ने जोधपुर जेल में उनसे मुलाकात की और लद्दाख एवं देश के बाकी हिस्सों के लोगों तक उनकी बातें पहुंचाईं।

वांगचुक ने बयान में कहामैं शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से ठीक हूं और सभी की चिंता और प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद। इतना ही नहीं उन्होंने लेह हिंसा में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना जाहिर की है। उन्होंने कहामेरी हार्दिक संवेदना उन लोगों के परिवारों के साथ है जिन्होंने अपनी जान गंवाई और मेरी प्रार्थनाएं उन लोगों के साथ हैं जो घायल हुए हैं और गिरफ्तार हुए हैं। सोनम वांगचुक ने लद्दाख हिंसा की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की। उन्होंने कहाहमारे चार लोगों की हत्या की स्वतंत्र न्यायिक जांच होनी चाहिए और जब तक ऐसा नहीं होतामैं जेल में रहने के लिए तैयार हूं। वांगचुक ने छठी अनुसूची का दर्जा और लद्दाख के लिए पूर्ण राज्य का दर्जा देने की उनकी लंबे समय से चली आ रही मांगों में लेह अपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रति अपना समर्थन दोहराया।

वांगचुक ने कहालद्दाख के हित में सर्वोच्च निकाय जो भी कदम उठाएगामैं पूरे दिल से उनके साथ हूं। उन्होंने लोगों से शांति और एकता बनाए रखने और अहिंसा के सच्चे गांधीवादी तरीके से शांतिपूर्वक अपना संघर्ष जारी रखने का आग्रह किया। बता दें कि पिछले महीने लद्दाख और लेह में हिंसक प्रदर्शन हो गए थे। पुलिस की कथित गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई। इसके बाद गुस्सा और भी ज्यादा बढ़ गया। सोनम वांगचुक को नेशनल सिक्योरिटी एक्ट यानी एनएसए के तहत हिरासत में लिया गया था और सरकार ने उन पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया था। लद्दाख पुलिस ने आरोप लगाया है कि वांगचुक के पाकिस्तान से संबंध हैंजबकि गृह मंत्रालय ने उनके एनजीओ का एफसीआरए के तहत लाइसेंस रद्द कर दिया है और उनके खिलाफ सीबीआई जांच लंबित है।

सोनम वांगचुक को हिरासत में लिए जाने के बाद जोधपुर की सेंट्रल जेल में भेज दिया गया। उनकी हिरासत की विपक्षी दलों ने जमकर आलोचना की। इस बीचवांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने आरोप लगाया है कि हिरासत में लिए जाने के बाद से उन्हें अपने पति से मिलने या बात करने की भी इजाजत भी नहीं दी गई है। गीतांजलि आंगमो ने दो अक्टूबर को शीर्ष अदालत में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत अपनी याचिका दाखिल की थी। उन्होंने वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हिरासत में लिए जाने के फैसले को चुनौती दी हैजिस पर सुप्रीम कोर्ट 6 अक्टूबर को विचार करेगी।

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पर्यावरण कार्यकर्ता और इंजीनियर सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने जा रही है। शीर्ष अदालत 6 अक्टूबर को उनकी पत्नी गीतांजलि आंगमो द्वारा दाखिल याचिका पर विचार करेगी। उन्होंने वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसएके तहत हिरासत में लिए जाने के फैसले को चुनौती दी है और उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट की 6 अक्टूबर की कॉज लिस्ट के अनुसारयह मामला जस्टिस अरविंद कुमार और एनवी अंजारिया की पीठ के समक्ष आएगा।

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सोनम वांगचुक की पत्नी गीतांजलि जे. आंगमो ने लद्दाख के पुलिस महानिदेशक के बयानों को झूठा और गढ़ी गई कहानी बताते हुए कहा कि यह एक सोची-समझी साजिश हैजिसके जरिए किसी को फंसा कर मनमर्जी करने की कोशिश हो रही है। गीतांजलि ने कहाहम डीजीपी के बयान की कड़ी निंदा करते हैं। सिर्फ मैं ही नहींबल्कि पूरा लद्दाख इन आरोपों को खारिज करता है। ये एक बनावटी कहानी हैताकि किसी को बलि का बकरा बनाया जा सके और वे जो चाहें वो कर सकें। उन्होंने सवाल उठाया कि सीआरपीएफ को गोली चलाने का आदेश किसने दियाअपने ही नागरिकों पर गोली कौन चलाता हैखासकर वहांजहां कभी हिंसक प्रदर्शन नहीं हुए। गीतांजलि का कहना था कि सोनम वांगचुक का इस पूरी घटना से कोई लेना-देना नहीं था। वे तो उस समय किसी और जगह शांतिपूर्वक भूख हड़ताल पर बैठे थे। वे वहां मौजूद ही नहीं थेतो वे किसी को कैसे उकसा सकते हैं?

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उल्लेखनीय है कि अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 को निरस्त करके जम्मू कश्मीर राज्य का पुनर्गठन किया गया। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम2019 के तहत पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटा गया। इसमें जम्मू-कश्मीर को विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया। वहींलद्दाख को बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिया गया। इस बदलाव के तहत जम्मू कश्मीर में पिछले साल नई विधानसभा का भी गठन हो गया। वहींदूसरी ओर राज्य पुनर्गठन के साथ ही लद्दाख में इस केंद्र शासित प्रदेश को छठी अनुसूची में शामिल करने और इसे पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठने लगी। इसे लेकर अलग-अलग समय पर प्रदर्शन हुए। इन्हीं मांगों को लेकर चल रहे ताजा प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी।

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