ऑपरेशन सिंदूर भारत की परिवर्तित नीतियों की मुनादी है
संयुक्त राष्ट्र के सैन्य फोरम पर भारत की सैन्य नीतियों पर चर्चा
ऑपरेशन में सौ से अधिक पाकिस्तानी सैनिक मरे: डीजीएमओ
नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (एजेंसियां)। भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं थी, बल्कि यह भारत की नीतियों के क्रांतिकारी परिवर्तन की सनद है। डीजीएमओ से भारतीय थलसेना के उप प्रमुख बने लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सैद्धांतिक बदलाव आया है। यह बदलाव कहता है कि आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों में कोई अंतर नहीं है। यह केवल सैद्धांतिक बदलाव नहीं बल्कि रणनीतिक बदलाव भी है। ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य हमला नहीं था, बल्कि यह भारत के आतंकवाद-रोधी सिद्धांत में एक रणनीतिक परिवर्तन का प्रतिनिधित्व करता है, जिसे खुद प्रधानमंत्री मोदी ने देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत किया।
लेफ्टिनेंट जनरल घई ने कहा, आतंकवाद के विरुद्ध हमारी रणनीति में सैद्धांतिक बदलाव आया है। यह बदलाव साफ-साफ कहता है, आतंकवादी हमला युद्ध जैसा ही है। इस पर भारत निर्णायक जवाबी कार्रवाई करेगा और भारत परमाणु ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा। आतंकवादियों और उनके प्रायोजकों में कोई अंतर नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किया गया था, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) पार करके 26 पर्यटकों की बेरहमी से हत्या कर दी थी। उन्हें धर्म पूछ-पूछकर मारा गया था। शुरुआत में एक आतंकी संगठन ने इसकी जिम्मेदारी ली थी। लेकिन उन्हें जल्द ही एहसास हो गया कि स्थिति उनके नियंत्रण से बाहर हो गई है और वे तुरंत पीछे हट गए। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने कहा कि भारत की प्रतिक्रिया अपेक्षित थी, लेकिन ऑपरेशन सिंदूर पूरी तरह सोच-समझ के साथ की गई कार्रवाई थी
लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने यह भी खुलासा किया कि पहलगाम में आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर में तमाम आतंकी और सैन्य ठिकानों के ध्वस्त होने के साथ-साथ पाकिस्तान के 100 से ज्यादा फौजी भी मारे गए थे। पाकिस्तान ने यह बात छुपा ली। लेकिन पाकिस्तान दिवस पर दिए गए सैन्य पुरस्कारों की सूची में सौ से अधिक उन अधिकारियों और जवानों के नाम हैं, जो ऑपरेशन सिंदूर की कार्रवाई के दरम्यान मारे गए। उस लिस्ट के सामने आने से यह दुनिया के सामने उजागर हुआ कि ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तानी सेना के कितने लोग मारे गए थे।
भारतीय सेना के डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने पाकिस्तान में मरणोपरांत दिए गए सैन्य पुरस्कारों की सूची सार्वजनिक की है। डीजीएमओ ने कहा, पाकिस्तान ने 14 अगस्त को अपने पुरस्कारों की सूची जारी की। मरणोपरांत दिए गए पुरस्कारों की संख्या से असली तस्वीर सामने आई, जो बताती है कि नियंत्रण रेखा पर उनके हताहतों की संख्या 100 से ज्यादा थी। पाकिस्तान ने मई महीने में 12 से ज्यादा एयरक्राफ्ट खो दिए। 7 मई को भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। इसके बाद पाकिस्तान ने सीमा पार से गोलीबारी शुरू कर दी थी।
संयुक्त राष्ट्र में सैन्य योगदान देने वाले देशों (यूएनटीसीसी) के प्रमुखों के सम्मेलन में भी लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई ने यह तथ्य सामने रखा। जनरल घई ने कहा कि पाकिस्तान के जल्दबाजी में किए गए आत्मसमर्पण ने भारत के राजनीतिक और सैन्य उद्देश्यों को पुष्ट किया। उन्होंने चेतावनी दी, आगे का संघर्ष उनके लिए विनाशकारी होता। उन्होंने बताया कि कैसे भारत की सोची-समझी प्रतिक्रिया ने इस्लामाबाद के पास कोई रणनीतिक विकल्प नहीं छोड़ा। ऑपरेशन सिंदूर भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना की भागीदारी वाली सैन्य क्षमता और सफल रणनीति की जीत थी। उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने कैसे पाकिस्तान के 11 हवाई ठिकानों पर हमला किया, आठ प्रमुख ठिकानों, तीन हैंगरों और चार रडारों को क्षतिग्रस्त कर दिया। जमीन पर पाकिस्तानी हवाई सम्पत्तियां नष्ट कर दी गईं, जिनमें एक सी-130 विमान, एक एईडब्लू प्रणाली और कई लड़ाकू विमान शामिल थे। इसमें नौसेना ने भी निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने कहा, भारतीय नौसेना पहले ही अरब सागर में आगे बढ़ चुकी थी। अगर पाकिस्तान इसे और आगे बढ़ाता, तो समुद्र और उसके पार, उसके लिए परिणाम विनाशकारी होते।
भारतीय सेना ने पहलगाम हमले के तीन मुख्य साजिशकर्ताओं का लगभग 96 दिनों तक पीछा किया और खत्म किया। जनरल घई ने कहा, हमने उन्हें आराम नहीं करने दिया। जब हमने आखिरकार उन्हें ढूंढा, तो वे थके हुए और कुपोषित लग रहे थे, दौड़ने से थके हुए थे। हमने सभी को मार गिराया गया था। उन्होंने 7 मई की तड़के लश्कर-ए-तैयबा के मुरीदके मुख्यालय और बहावलपुर के शिविरों सहित, आतंकवादी ठिकानों पर किए गए सटीक हमलों की तस्वीरें भी साझा किए। इन हमलों में 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए। लेफ्टिनेंट जनरल घई ने इस बात पर जोर दिया कि भारत की प्रतिक्रिया युद्ध के मैदान से कहीं आगे तक फैली हुई थी। उन्होंने कहा, पहलगाम हमले के तुरंत बाद 1960 की सिंधु जल संधि को स्थगित करना उसी रणनीति का हिस्सा था जो यह संकेत देती थी कि आतंक और बातचीत की पुरानी रणनीति एक साथ नहीं चल सकती। उन्होंने कहा कि इससे भारत की सैन्य शक्ति को कूटनीतिक और आर्थिक साधनों के साथ जोड़ने की क्षमता का पता चलता है।
सीमा पार से दशकों से जारी आतंकवाद पर बात करते हुए, लेफ्टिनेंट जनरल घई ने वैश्विक समुदाय को बताया कि भारत में इससे कितने लोग मारे गए और कितना नुकसान हुआ। उन्होंने कहा, 1980 के दशक में अकेले जम्मू और कश्मीर में 28,000 से ज्यादा आतंकवादी घटनाएं हुईं। 60,000 से ज्यादा परिवार यानि एक लाख से ज्यादा लोग, अपने घरों से भागने को मजबूर हुए। 15,000 नागरिक और 3,000 सुरक्षाकर्मी मारे गए।
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