वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की राह में ‘नंद बाबा दुग्ध मिशन’ बनेगा मील का पत्थर: धर्मपाल सिंह

वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था की राह में ‘नंद बाबा दुग्ध मिशन’ बनेगा मील का पत्थर: धर्मपाल सिंह

लखनऊ, 28 अक्टूबर (संवाददाता)। उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने के लिए डेयरी और पशुपालन क्षेत्र को प्रमुख स्तंभ के रूप में विकसित करने का संकल्प दोहराया है। पशुपालन एवं दुग्ध विकास मंत्री श्री धर्मपाल सिंह ने मंगलवार को विधान भवन स्थित अपने कार्यालय में विभागीय अधिकारियों के साथ विस्तृत समीक्षा बैठक करते हुए स्पष्ट कहा कि “प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में पशुपालन एवं डेयरी क्षेत्र की भूमिका निर्णायक होगी।”

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश को दुग्ध उत्पादन, पोल्ट्री विकास और पशुधन संवर्धन के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के लिए विभागीय योजनाओं का तेजी से क्रियान्वयन आवश्यक है। इसी क्रम में ‘नंद बाबा दुग्ध मिशन’ को राज्य के प्रत्येक जिले तक पहुँचाने की कार्ययोजना पर तेजी से काम हो रहा है। धर्मपाल सिंह ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि इस मिशन को ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनाकर राज्य के किसानों और पशुपालकों की आमदनी दोगुनी करने के उद्देश्य से लागू किया जाए।

मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश डेयरी विकास एवं दुग्ध संवर्धन नीति 2022 पहले ही उद्योगजगत और किसानों दोनों के बीच सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त कर चुकी है, परंतु इस नीति के लक्ष्यों को जमीनी स्तर तक पहुँचाने के लिए ठोस कदम आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि नंद बाबा दुग्ध मिशन को न केवल ग्रामीण आजीविका का साधन बनाया जाए, बल्कि यह मिशन प्रदेश की आर्थिक प्रगति का आधार स्तंभ भी बने।

पराग डेयरी की प्रशंसा, सुधार के निर्देश

बैठक में मंत्री धर्मपाल सिंह ने पराग डेयरी के प्रदर्शन में सुधार की सराहना की, परंतु साथ ही दूध की खरीद, विपणन और बिक्री नेटवर्क को और मज़बूत करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि “पराग ब्रांड को घर-घर तक पहुँचाना होगा। इसके लिए न केवल ब्रांड की दृश्यता बढ़ाई जाए बल्कि राज्य सरकार की मिड-डे मील, आईसीडीएस और टेक-होम राशन जैसी प्रमुख योजनाओं में पराग को विशेष विक्रेता (Special Vendor) के रूप में प्राथमिकता दी जाए।”

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मंत्री ने कहा कि डेयरी उद्योग केवल दूध उत्पादन का साधन नहीं, बल्कि यह लाखों ग्रामीण परिवारों के आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि “हर गांव में एक मिनी डेयरी क्लस्टर विकसित हो, जहां किसान को बाजार, तकनीक और प्रशिक्षण की सुविधा एक साथ मिल सके।”

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पोल्ट्री उत्पादन में आत्मनिर्भरता का लक्ष्य

राज्य में अंडा उत्पादन में आई गिरावट को लेकर मंत्री ने चिंता जताई और कहा कि पोल्ट्री क्लस्टरों के विकास, नई हैचरी और आधुनिक पोल्ट्री फार्मों की स्थापना के लिए निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि “प्रदेश को अंडा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना हमारा लक्ष्य है। इसके लिए सरकार निजी कंपनियों और निवेशकों के साथ साझेदारी का नया मॉडल तैयार कर रही है।”

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चारा संकट से निपटने पर विशेष जोर

धर्मपाल सिंह ने राज्य में हरे और सूखे चारे की वर्षपर्यन्त उपलब्धता सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया। उन्होंने नेपियर रूट स्लिप उत्पादन और चारा बीज मिनीकिट योजनाओं की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि कोई भी पशुपालक चारे के अभाव में नुकसान न उठाए। मंत्री ने कहा कि “चारा पशुधन का जीवन है। चारे की समुचित उपलब्धता ही पशुपालन को स्थायित्व प्रदान कर सकती है।”

इस दौरान बैठक में प्रमुख सचिव श्री मुकेश कुमार मेश्राम ने सुझाव दिया कि राज्य में चारे की बर्बादी कम करने और वैकल्पिक चारा संसाधनों के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने बताया कि मटर के छिलके, मूंगफली की भूसी, गन्ना पेराई के अवशेष और शराब उद्योग से निकलने वाले उप-उत्पादों का वैज्ञानिक ढंग से उपयोग कर चारे की उपलब्धता में क्रांतिकारी सुधार लाया जा सकता है।

उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि विभाग को डेटा-संचालित निगरानी प्रणाली अपनाकर एआई कवरेज, गर्भावस्था निदान और पशुपालन के परिणामों को वैज्ञानिक रूप से ट्रैक करना चाहिए। इससे पशुपालन सेवाओं की गुणवत्ता और प्रभावशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।

नस्ल सुधार और तकनीकी सशक्तीकरण

पशुपालन मंत्री ने कहा कि पशुओं में नस्ल सुधार विभाग की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है। उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले वीर्य की उपलब्धता और दूरदराज़ के क्षेत्रों में इसकी पहुँच सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि “यदि हम प्रदेश के पशुधन की उत्पादकता बढ़ाना चाहते हैं, तो वैज्ञानिक तकनीक के साथ एआई मिशन को जनआंदोलन बनाना होगा।”

बैठक में विशेष सचिव श्री देवेंद्र पांडेय ने एआई (Artificial Insemination) इंफ्रास्ट्रक्चर की वर्तमान स्थिति पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य में डीएफएस स्टेशन, एलएन₂ केंद्र और एआई कार्यबल को सुदृढ़ किया जा रहा है। साथ ही मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (एमवीयू) के माध्यम से दूरस्थ क्षेत्रों तक एआई सेवाओं का विस्तार किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार वित्त वर्ष 2028 तक तीन करोड़ एआई का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में लिंग-सॉर्टेड वीर्य तकनीक को बढ़ावा दिया जा रहा है, जिससे मादा बछड़ों की संख्या में वृद्धि और दूध उत्पादन में सुधार संभव होगा।

बकरी एवं सूअर पालन को भी मिलेगा प्रोत्साहन

बैठक में यह भी रेखांकित किया गया कि केवल गाय-भैंस पालन ही नहीं, बल्कि बकरी और सूअर पालन भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं। प्रमुख सचिव मेश्राम ने कहा कि छोटे पशुधन के माध्यम से लाखों ग्रामीण परिवारों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि संभव है। इसके लिए विश्वस्तरीय तकनीक और आधुनिक प्रबंधन पद्धतियों को अपनाने की आवश्यकता है।

समन्वय से ही संभव होगा लक्ष्य

मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा कि राज्य के वन ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था लक्ष्य की प्राप्ति के लिए पशुपालन, डेयरी विकास, कृषि, उद्यान, सहकारिता और औद्योगिक विभागों के बीच सशक्त समन्वय आवश्यक है। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र न केवल किसानों की आय बढ़ाने का माध्यम है, बल्कि राज्य के जीडीपी में योगदान करने वाला प्रमुख कारक भी है।

उन्होंने कहा कि “यदि हम वैज्ञानिक दृष्टिकोण, तकनीकी नवाचार और नीति-सम्मत क्रियान्वयन को जोड़ दें, तो उत्तर प्रदेश देश ही नहीं, पूरी दुनिया के डेयरी मानचित्र पर अग्रणी स्थान हासिल कर सकता है।”

बैठक में डेलॉइट (Deloitte) के प्रतिनिधियों ने भी प्रस्तुति दी और विभागीय योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु तकनीकी सहयोग प्रदान करने की रूपरेखा साझा की।

बैठक में पशुपालन एवं डेयरी विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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