राज्य सरकार को हाईकोर्ट से झटका
सार्वजनिक भूमि पर निजी संगठनों की गतिविधियों को विनियमित करने वाले राज्य सरकार के आदेश पर रोक
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| राज्य सरकार को झटका देते हुए, उच्च न्यायालय की धारवाड़ पीठ ने राज्य सरकार की संपत्तियों और परिसरों में निजी समारोहों पर रोक लगाने संबंधी एक हालिया आदेश पर रोक लगा दी है|
न्यायमूर्ति एम. नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने हुबली स्थित पुनश्चेतन सेवा संस्थान द्वारा सरकारी आदेश (जी.ओ.) को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया| मामले की अगली सुनवाई 17 नवंबर, 2025 को निर्धारित की गई है|
राज्य सरकार ने 18 अटूबर को निजी संगठनों द्वारा सार्वजनिक संपत्तियों पर अतिक्रमण को रोकने के लिए एक आदेश पारित किया था| यह आदेश आईटी-बीटी मंत्री प्रियांक खड़गे द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को लिखे गए पत्र के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जैसे संगठनों की सरकारी स्कूलों, कॉलेजों आदि जैसी सार्वजनिक संपत्तियों पर गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी|
हालाँकि सरकारी आदेश में आरएसएस का स्पष्ट रूप से नाम नहीं है, लेकिन कहा जा रहा है कि आदेश के प्रावधानों का उद्देश्य हिंदू दक्षिणपंथी संगठन की गतिविधियों, जिसमें उसके रूट मार्च भी शामिल हैं, को प्रभावित करना है| विपक्षी भाजपा ने भी इस कदम की आलोचना की थी और आरोप लगाया था कि इसका उद्देश्य आरएसएस के कार्यक्रमों और मार्च पर अंकुश लगाना है|
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अशोक हरनहल्ली ने हाल ही में जारी उस सरकारी आदेश को चुनौती दी जिसमें कहा गया था कि 10 से अधिक लोगों के जमावड़े के लिए अनुमति लेनी होगी| उन्होंने तर्क दिया, ‘यह संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है| सरकारी आदेश के अनुसार, पार्क में लाफ्टर लब आयोजित करना भी अवैध जमावड़ा माना जाएगा|
सरकारी आदेश के अनुसार, सरकारी स्थानों पर जुलूस या सभा के लिए बिना अनुमति के 10 से अधिक लोगों का जमावड़ा गैरकानूनी माना जाएगा| वकील ने पूछा, सरकार को ऐसे प्रशासनिक आदेश जारी नहीं करने चाहिए| जब ??कर्नाटक पुलिस अधिनियम, 1963 लागू है, तो यह नियम यों ज़रूरी है?
अपने आदेश में, उच्च न्यायालय ने कहा कि सड़कों, पार्कों, मैदानों, झीलों आदि तक पहुँच प्रतिबंधित कर दी गई थी, और सरकार ने एक आदेश के माध्यम से पुलिस अधिनियम के तहत अधिकार का प्रयोग किया था|
न्यायमूर्ति नागप्रसन्ना ने कहा, सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 19 (1) ए, बी के तहत प्रदत्त अधिकार छीन लिया है| संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार को सरकारी आदेश से नहीं छीना जा सकता| इसलिए, न्यायालय आदेश देता है कि सरकारी आदेश पर रोक लगा दी गई है| मामले को स्थगित कर दिया गया है और सुनवाई अगली तारीख के लिए निर्धारित की गई है|
#KarnatakaHighCourt, #Hubballi, #RSS, #Siddaramaiah, #PriyankKharge, #PublicLandOrder, #HighCourtStay, #KarnatakaPolitics, #HubliDharwadBench, #FundamentalRights, #Constitution, #SanatanJan

