शुरू हुआ तीनों सेना का त्रिशूल युद्धाभ्यास
पाकिस्तान सीमा पर बड़ा सैन्य जमावड़ा
10 नवंबर तक चलेगा अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास
नई दिल्ली, 31 अक्टूबर (एजेंसियां)। भारत ने पाकिस्तान सीमा के पास ऑपरेशन त्रिशूल नामसे अब तक का सबसे बड़ा संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू किया है। 10 नवंबर तक चलने वाले इस अभ्यास में तीनों सेनाओं के 25 हजार से ज्यादा जवान शामिल हुए हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह पहला मौका है जब भारत किसी सामरिक चुनौती से निपटने के लिए युद्ध के सभी संभावित क्षेत्रों में अपने युद्धकौशल का परीक्षण कर रहा है।
राजस्थान और गुजरात के सीमाई इलाकों में इस अभ्यास को एक चेतावनी के तौर पर देखा जा रहा है कि यदि पाकिस्तान ने इस बार हिमाकत की तो जवाब सीमा पार तक जाएगा। भारत यह रणनीतिक संदेश देना चाहता है कि वह सीमाओं की सुरक्षा पर किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। 10 नवंबर तक चलने वाले इस अभ्यास में तीनों सेनाओं के 25 हजार से ज्यादा जवान शामिल हुए हैं।
अभ्यास में राफेल और सुखोई जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, ऑपरेशन सिंदूर में लोहा मनवा चुके ब्रह्मोस और आकाश मिसाइल सिस्टम, युद्धक टैंक, इन्फैंट्री कॉम्बैट वाहन, हेलिकॉप्टर, लंबी दूरी की क्षमता वाले आर्टिलरी सिस्टम्स, ड्रोन्स और नौसेना के युद्धपोत हिस्सा ले रहे हैं। सेना के तीनों अंग गुजरात व राजस्थान की सीमा से सटे इलाकों में संयुक्त ऑपरेशन, शत्रु सीमा में गहराई तक वार करने की क्षमता और मल्टी डोमेन वॉरफेयर का अभ्यास करेंगे।
त्रिशूल युद्धाभ्यास का फोकस गुजरात के कच्छ क्षेत्र पर भी रहेगा जिसे लेकर हाल में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को खुली चेतावनी दी थी। राजनाथ ने कहा था कि यदि पाकिस्तान ने सर क्रीक में दुस्साहस किया तो उसको इतिहास और भूगोल बदलने वाला जवाब मिलेगा। साथ ही उन्होंने कहा था कि कराची का रास्ता भी क्रीक से होकर जाता है। अभ्यास के जरिए वास्तविक युद्ध के मल्टी डोमेन ऑपरेशनल वातावरण में सेना की युद्ध क्षमता, समन्वय व अभियानगत तैयारियों का परीक्षण किया जाएगा। इनसे आधुनिक युद्धक्षेत्र में उभरते खतरों का सामना करने की क्षमता मजबूत होगी। त्रिशूल अभ्यास का एक उद्देश्य दुश्मन की हर गतिविधि की समयबद्ध पहचान करना भी है। इसके लिए उन्नत तकनीकों का समन्वित उपयोग किया जाएगा।
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दूसरी तरफ, भारत के थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि आजकल युद्ध का स्वरूप बदल रहा है और अब यह ज्यादातर बिना प्रत्यक्ष संपर्क के और तकनीक आधारित हो गया है। इसलिए सेना को सिर्फ सैन्य शक्ति ही नहीं, बल्कि बौद्धिक और नैतिक क्षमता की भी जरूरत है। उन्होंने युवाओं से कहा कि वे थिंक टैंक, प्रयोगशालाओं आदि सभी जगह अपनी भूमिका निभाएं। थल सेना प्रमुख ने कहा कि युद्ध अब तेजी से संपर्क रहित होते जा रहे हैं। इसलिए इसके जवाब में सैन्य ताकत के साथ-साथ बौद्धिक क्षमता और नैतिक तैयारी की भी जरूरत है। यह बात उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर नई दिल्ली के मानेकशॉ केंद्र में आयोजित कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि युवाओं की भूमिका थिंक टैंक, प्रयोगशालाओं और युद्धक्षेत्र जैसे अलग-अलग क्षेत्रों में होनी चाहिए।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने भी सेना के अधिकारियों, छात्रों और रक्षा विशेषज्ञों को संबोधित किया। यह कार्यक्रम सेना और रक्षा थिंक-टैंक सेंटर फॉर लैंड वारफेयर स्टडीज की ओर से चाणक्य डिफेंस डायलॉग: यंग लीडर्स फोरम के तहत आयोजित हुआ। मुख्य भाषण में सेना प्रमुख ने युद्ध की बदलती प्रकृति और उसके अनुसार रणनीतिक प्रतिक्रिया की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा, युद्ध अब तेजी से गैर-गतिशील और बिना प्रत्यक्ष संपर्क वाला होता जा रहा है, इसलिए इसका सामना करने के लिए सैन्य ताकत, बौद्धिक क्षमता और नैतिक तैयारी जरूरी है। कार्यक्रम में कर्नल सोफिया कुरैशी भी शामिल हुईं, जो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मीडिया ब्रीफिंग्स में प्रमुख चेहरों में से एक थीं। इस मौके पर यह भी घोषणा की गई कि 27 और 28 नवंबर को चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2025 का आयोजन किया जाएगा। इसका विषय सुधार से बदलाव (रिफॉर्म टू ट्रांसफॉर्म): सशक्त और और सुरक्षित भारत होगा।
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