भारत को कई बड़े और विश्वस्तरीय बैंकों की ज़रूरत : सीतारमण
नयी दिल्ली, 06 नवंबर (एजेंसियां)। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि भारत को कई बड़े और विश्वस्तरीय बैंकों की ज़रूरत है और इस दिशा में काम शुरू हो गया है।
श्रीमती सीतारमण ने गुरूवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि सरकार ने 2014 से व्यापार सुगमता में सुधार के लिए अनेक क्रांतिकारी सुधार कदम उठाए हैं और नीतिगत स्थिरता तथा पारदर्शिता ने निवेश को प्रोत्साहित किया है।
उन्होंने बैंकिंग क्षेत्र से ऋण उपलब्धता को बढ़ाकर विकास को तेज करने का आग्रह करते हुये कहा " विकास को बढ़ावा देने के लिए बैंकों को उत्पादक क्षेत्रों में ऋण उपलब्धता को बढ़ाना चाहिए।" वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में कटौती से मांग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
श्रीमती सीतारमण ने कहा, "जीएसटी दरों में कटौती से मांग में वृद्धि होगी जिससे निवेश चक्र में तेज़ी आएगी और विकास को गति मिलेगी।"
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से चार हजार अरब रुपये से अधिक की बचत की है। उन्होंने कहा, "पिछले दशक में 25 करोड़ लोगों को गरीबी के दुष्चक्र से बाहर निकाला गया है।" उन्होंने कहा, "सरकार बाधाओं को दूर करने और उन पर काम करने के लिए है। निवेशकों की ज़िम्मेदारी है कि वे इससे जुड़े जोखिमों को समझें।"
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि भारत को विश्वस्तरीय अर्थव्यवस्था बनाने के तरीकों पर वित्त मंत्रालय और भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) के बीच चर्चा चल रही है। इसके अलावा अमेरिका तथा यूरोपीय संघ के साथ व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देने के प्रयास "पूरे जोरों से" जारी हैं।
उन्होंने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि भारत के आत्मनिर्भरता के आर्थिक दर्शन का मतलब दरवाज़े बंद करना नहीं है बल्कि, इसका अर्थ है वैश्विक व्यापार और आपूर्ति श्रृंखलाओं से गहराई से जुड़े रहते हुए घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त रूप से मज़बूत होना।

