नई दिल्ली, 9 दिसम्बर,(एजेंसियां)। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन IndiGo पिछले कुछ सप्ताहों से गंभीर परिचालन अव्यवस्था का सामना कर रही है। रद्द उड़ानें, घंटों तक विलंब, पायलटों की अनुपलब्धता और शेड्यूलिंग की गड़बड़ियों ने देशभर के यात्रियों को बड़ी परेशानी में डाल दिया है। सोशल मीडिया पर शिकायतों का अंबार लग गया, हवाई अड्डों पर अफरा-तफरी का माहौल रहा और कई यात्रियों की यात्रा योजनाएँ बुरी तरह प्रभावित हुईं। नई स्थिति इस कदर बिगड़ी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस मसले पर टिप्पणी करनी पड़ी, जिसके बाद नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने कड़ा कदम उठाते हुए IndiGo की 115 उड़ानें रोजाना कम करने का आदेश जारी किया।
IndiGo के संकट की जड़ में पायलटों की ड्यूटी और आराम को लेकर बनाए गए नए नियम, Flight Duty Time Limitation (FDTL), बताए जा रहे हैं। इन नियमों का उद्देश्य पायलटों को पर्याप्त आराम देना और रात के समय उड़ानों की संख्या नियंत्रित करना है, ताकि यात्रा सुरक्षा के उच्च मानक सुनिश्चित हो सकें। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप बनाए गए FDTL को लागू करना एयरलाइन के लिए अनिवार्य था, परंतु इंडिगो इन नियमों को प्रभावी ढंग से लागू करने की तैयारी पूरी नहीं कर पाई। पायलटों की उपलब्धता, क्रू प्रबंधन, शेड्यूलिंग और संसाधन योजना में कमियों के कारण एयरलाइन जल्द ही अव्यवस्था में फँस गई।
इस स्थिति से तंग आकर DGCA ने IndiGo की उड़ान क्षमता में 5 प्रतिशत की कटौती कर दी। इसका मतलब है कि एयरलाइन की करीब 2,300 दैनिक उड़ानों में से लगभग 115 उड़ानें प्रतिदिन रद्द रहेंगी। DGCA ने IndiGo को तत्काल नया शेड्यूल तैयार करने और परिचालन को स्थिर करने का निर्देश दिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यात्रियों को और अधिक असुविधा न हो और एयरलाइन अपने संसाधनों के अनुसार ही सेवाएँ प्रदान करे। यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि यदि स्थिति नहीं सुधरी, तो उड़ानों की और कटौती करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
इस बीच, PM मोदी ने इस संकट पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि “नियम और कानून व्यवस्था ठीक करने के लिए होते हैं, लोगों को परेशान करने के लिए नहीं।” उनका यह बयान इस बात का संकेत देता है कि सरकार यात्रियों को हो रही असुविधाओं को लेकर बेहद गंभीर है। प्रधानमंत्री का वक्तव्य यह भी दर्शाता है कि सरकार सुरक्षा नियमों में किसी भी प्रकार का समझौता नहीं करेगी, लेकिन इन नियमों को लागू करने के तरीके में सुधार अवश्य किया जाएगा, ताकि सामान्य यात्रियों पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
DGCA ने स्थिति को थोड़ी राहत देने के लिए कुछ नियमों में अस्थायी ढील दी है, परंतु मूल समस्या अब भी इंडिगो की पूर्व-तैयारी और योजना में कमी को ही माना जा रहा है। भारत के एविएशन सेक्टर में IndiGo की 60–65 प्रतिशत हिस्सेदारी है। ऐसे में इस एयरलाइन की किसी भी तरह की विफलता का प्रभाव सीधे पूरे भारतीय हवाई यात्रा तंत्र पर पड़ता है। हवाई अड्डों पर भीड़ बढ़ जाती है, कनेक्टिंग उड़ानें प्रभावित होती हैं, बिजनेस यात्राओं में व्यवधान आता है और टूरिज़्म सेक्टर को भी नुकसान झेलना पड़ता है।
सरकार और DGCA ने यह भी स्पष्ट किया है कि IndiGo की अव्यवस्था सिर्फ FDTL नियमों के कारण नहीं है, बल्कि एयरलाइन के कमजोर संसाधन प्रबंधन और शेड्यूलिंग की चूक इसका मुख्य कारण है। जांच समिति गठित की गई है जो यह देखेगी कि क्या IndiGo को पहले चेताया गया था और क्या एयरलाइन ने उन चेतावनियों को गंभीरता से नहीं लिया। यदि जांच में लापरवाही पाई गई तो एयरलाइन प्रबंधन पर कड़ी कार्रवाई की संभावना भी जताई जा रही है।
IndiGo के लिए यह स्थिति सिर्फ परिचालन संकट नहीं, बल्कि उसकी प्रतिष्ठा का मसला भी बन गई है। वर्षों से समय पर उड़ान और विश्वसनीय सेवा के लिए जानी जाने वाली IndiGo पर लगातार उड़ान रद्द होने और देरी के कारण यात्रियों का भरोसा प्रभावित हो रहा है। यह भरोसा किसी भी एयरलाइन की सबसे बड़ी पूंजी होता है। अगर उसे नुकसान पहुंचता है, तो उसकी ब्रांड वैल्यू और बाजार हिस्सेदारी दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी सामने आया है कि भारत का एविएशन सेक्टर तेजी से विस्तार तो कर रहा है, लेकिन संचालन क्षमता, मानव संसाधन प्रबंधन और तकनीकी तैयारी में अभी भी भारी कमी है। नियम बनाना आसान है, पर उनका सुचारू रूप से पालन तभी संभव है जब एयरलाइन बेहद अच्छी योजना और पर्याप्त क्रू उपलब्धता के साथ तैयार हो। FDTL जैसे नियम सुरक्षा के दृष्टिकोण से अत्यंत आवश्यक हैं, लेकिन इनका पालन सुचारू रूप से लागू करने के लिए एयरलाइन को महीनों पहले व्यापक तैयारी करनी होती है, जो IndiGo के मामले में पूरी नहीं हो सकी।
इस संकट ने नियामक प्रणाली की भी पोल खोली है। यदि एक ऐसी एयरलाइन, जो देश के हवाई यातायात का दो-तिहाई से अधिक हिस्सा संभालती है, अपने शेड्यूल को संतुलित नहीं कर पा रही, तो यह नियामकों के लिए भी चेतावनी है कि उनकी मॉनिटरिंग व्यवस्था को और सख्त और सक्रिय होना चाहिए। जब तक नियमों और उनकी तैयारी के बीच सही संतुलन नहीं बनेगा, यात्रियों को बार-बार ऐसे संकटों का सामना करना पड़ेगा।
कुल मिलाकर यह संपूर्ण घटनाक्रम भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए एक बड़ी सीख है। जैसे-जैसे यात्रियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, एयरलाइनों को सिर्फ विस्तार नहीं, बल्कि बेहतर प्रबंधन, समय पर क्रू उपलब्धता, तकनीकी निवेश और यात्रियों की संवेदनशीलता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। IndiGo के लिए यह समय आत्मनिरीक्षण और सुधार का है। एयरलाइन को न सिर्फ DGCA की शर्तों का पालन करना होगा बल्कि यात्रियों का खोया हुआ भरोसा भी वापस पाना होगा।
यात्रियों के लिए यह संकट एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि रोजाना 115 उड़ानें कम होने से टिकटों की मांग बढ़ेगी, किराए ऊँचे हो सकते हैं और विकल्प सीमित होंगे। आने वाले दिनों में यह भी देखना होगा कि एयरलाइन कितनी जल्दी अपनी सेवाओं को पटरी पर लाती है और क्या DGCA के निर्देशों के बाद स्थिति स्थिर हो पाती है या नहीं।

