भारत ने की मॉरीशस के लिए 680 मिलियन डॉलर के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा
भारत-मॉरीशस के बीच सात करार
वाराणसी, 11 सितंबर (एजेंसियां)। भारत और मॉरीशस के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से गहरे और सांस्कृतिक रूप से प्रगाढ़ रहे हैं। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ की मौजूदगी में भारत ने मॉरीशस के लिए 680 मिलियन डॉलर के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की। यह पैकेज दोनों देशों के बीच विकास सहयोग, रणनीतिक साझेदारी और आपसी विश्वास की नई कहानी लिखने वाला है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर कहा कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की उपस्थिति केवल भौगोलिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है और मॉरीशस को इसमें विशेष स्थान प्राप्त है।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी विवरण के अनुसार, इस पैकेज का बड़ा हिस्सा बुनियादी ढांचे के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा और डिजिटल कनेक्टिविटी को मजबूत बनाने पर खर्च किया जाएगा। दोनों नेताओं ने इस दौरान सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए, जिनमें समुद्री सहयोग, ब्लू इकोनॉमी, नवीकरणीय ऊर्जा, साइबर सुरक्षा और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे क्षेत्र प्रमुख रहे। भारत ने मॉरीशस में पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने के लिए विशेष तकनीकी सहायता प्रदान करने का आश्वासन भी दिया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और मॉरीशस के रिश्ते केवल सरकारों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि दोनों देशों की जनता के दिलों में रचे-बसे हैं। उन्होंने मॉरीशस की बड़ी भारतीय मूल की आबादी का उल्लेख करते हुए कहा कि यह रिश्ता केवल कूटनीतिक नहीं बल्कि पारिवारिक है। प्रविंद जगन्नाथ ने भारत का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत ने हर संकट और चुनौती में मॉरीशस का साथ दिया है और यह पैकेज दोनों देशों के रिश्तों को नई दिशा देगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह आर्थिक पैकेज केवल मॉरीशस की मदद तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को भी और मजबूत करेगा। चीन की बढ़ती सक्रियता और आर्थिक निवेश के बीच भारत का यह कदम संतुलन बनाने वाला माना जा रहा है। मॉरीशस हिंद महासागर में भारत के लिए रणनीतिक दृष्टि से अत्यंत अहम है क्योंकि यह समुद्री मार्गों और व्यापारिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण केंद्र है।
भारत ने इस दौरान मॉरीशस को रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का भरोसा भी दिया है। नौसैनिक अभ्यासों और सुरक्षा ढांचे को साझा करने की योजनाओं पर भी चर्चा हुई। इसके साथ ही भारत ने मॉरीशस के युवाओं को छात्रवृत्ति और तकनीकी प्रशिक्षण देने का भी वादा किया, जिससे दोनों देशों के बीच जन-से-जन का रिश्ता और गहरा होगा।
हिंद महासागर में भारत का बढ़ता प्रभाव इस समझौते का सबसे महत्वपूर्ण पहलू है। भारत ने न केवल आर्थिक सहयोग बढ़ाने का संकल्प लिया है, बल्कि क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सतत विकास को बढ़ावा देने की अपनी जिम्मेदारी को भी रेखांकित किया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का दृष्टिकोण ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ केवल देश की आंतरिक नीति नहीं बल्कि विदेश नीति का भी आधार है।
यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों का सामना कर रही है। ऊर्जा संकट, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और आर्थिक असमानताओं जैसी समस्याओं के बीच भारत का यह कदम मित्र राष्ट्रों के लिए आशा और विश्वास का संदेश है। विश्लेषकों का कहना है कि भारत-मॉरीशस समझौता आने वाले वर्षों में हिंद महासागर क्षेत्र में सहयोग और विकास की नई इबारत लिखेगा।
आपदाग्रस्त उत्तराखंड पहुंचे पीएम मोदी, 1200 करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान
देहरादून, 11 सितंबर (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को उत्तराखंड के आपदा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने पहुंचे। हाल ही में आई भीषण आपदा ने राज्य में भारी तबाही मचाई है। कई गांव प्रभावित हुए, हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया और सैकड़ों परिवार बेघर हो गए। स्थिति का जायजा लेने और पीड़ितों से सीधे संवाद करने के लिए प्रधानमंत्री ने अधिकारियों, स्थानीय प्रशासन और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की।
पीएम मोदी ने आपदा से प्रभावित लोगों को हर संभव मदद का भरोसा दिलाया और तुरंत 1200 करोड़ रुपये के राहत पैकेज की घोषणा की। इस राशि का उपयोग पुनर्वास, मकानों के निर्माण, क्षतिग्रस्त सड़कों और पुलों की मरम्मत तथा राहत सामग्री की आपूर्ति के लिए किया जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि राहत कार्यों में तेजी लाई जाए और पीड़ितों को पारदर्शी ढंग से सहायता पहुंचाई जाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद केंद्र और राज्य सरकार मिलकर राहत कार्यों को तेजी से पूरा करेंगी। उन्होंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात करते हुए उनकी समस्याएं सुनीं और आश्वासन दिया कि उनकी जिंदगी को पटरी पर लाने के लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रधानमंत्री का यह दौरा केवल राहत राशि की घोषणा तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे प्रभावित लोगों में विश्वास भी पैदा हुआ है कि सरकार उनके साथ खड़ी है। केंद्र सरकार ने राज्य को दीर्घकालिक पुनर्वास योजना बनाने का सुझाव भी दिया है, ताकि भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं के समय नुकसान को कम किया जा सके।
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