भारत पाकिस्तानी संघर्ष पर पीएम मोदी का साहसिक कदम: इयान ब्रेमर

अमेरिका-पाक रिश्तों में अनैतिक कारोबार की गंध

भारत पाकिस्तानी संघर्ष पर पीएम मोदी का साहसिक कदम: इयान ब्रेमर

नई दिल्ली, 19 सितम्बर (एजेंसियां)। राजनीतिक विज्ञानी और यूरेशिया ग्रुप के अध्यक्ष इयान ब्रेमर ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद मई में भारत-पाकिस्तान तनाव बढ़ाने पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के दावों को सार्वजनिक तौर से खारिज करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है। शुक्रवार को एक साक्षात्कार के दौरान ब्रेमर ने इसे अन्य वैश्विक नेताओं की चुप्पी के उलट पीएम मोदी का साहसिक कदम करार दिया।

 

ब्रेमर ने कहा कि ट्रंप का रवैया था, मैं ताकतवर हूं, राष्ट्रपति हूं,मेरी बात माननी होगी, लेकिन मोदी ने, चीन और रूस की तरह उनका सामना किया। पीएम मोदी ने साफ कहा कि अमेरिका की इसमें कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने यह कहकर ट्रंप को अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मिंदा किया। ब्रेमर के मुताबिक, मोदी का यह फैसला सोचा-समझा था। इससे उन्हें घरेलू राजनीति में मजबूती मिली और उनकी अमेरिका से अलग स्वतंत्र छवि भी दिखी,जो अमेरिका के अधिकतर सहयोगी देशों में नहीं दिखती। उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर का उदाहरण देते हुए कहा कि स्टार्मर ने ट्रंप की नीतियों को नापसंद करने के बावजूद उन्हें खुश करने की कोशिश की ताकि बेहतर समझौते मिल सकें। वहीं अधिकतर नेता ट्रंप की तारीफों के पुल बांधते रहे,लेकिन मोदी ने उन्हें सबके सामने चुनौती दी और घरेलू स्तर पर फायदा उठाया। हालांकि, ब्रेमर ने कहा कि देखना होगा इसका असर दोनों देशों के सुरक्षा और आर्थिक रिश्तों पर पड़ता है या नहीं।
 
 
ब्रेमर ने कहा कि ट्रंप का पाकिस्तान से नज़दीकी बढ़ाना असल में रणनीति नहीं बल्कि कारोबार था। ट्रंप परिवार और उनके करीबी लोग पाकिस्तान के साथ पैसों के सौदों में शामिल थे। इसे उन्होंने अनैतिक और अवसरवादी बताया। ब्रेमर ने सऊदी अरब और पाकिस्तान के रक्षा समझौते को अमेरिकी असफलताओं के खिलाफ एक सुरक्षा घेरा कहा। उन्होंने कहा कि इसमें परमाणु सहयोग भी शामिल हो सकता है। ब्रेमर ने बताया कि सऊदी का झुकाव पाकिस्तान की ओर तब बढ़ा जब अमेरिका ने इस्राइल को कतर पर बमबारी से रोकने या सजा देने में कुछ नहीं किया। कतर अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा रखता है और वहां हमले में एक कतरी नागरिक की मौत हुई। इससे सऊदी अरब इससे बेहद नाराज हुआ और उसने पाकिस्तान से रक्षा समझौता कर लिया।

यूरेशिया ग्रुप के अध्यक्ष इयान ब्रेमर के मुताबिक,हाल ही में चीन में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ लिमोजिन में बैठना सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं था। यह अमेरिका को सीधा संदेश था, खासकर उस समय जब वॉशिंगटन भारत को रूस से तेल खरीदने पर टैरिफ लगाने की धमकी दे रहा था। ब्रेमर ने याद दिलाया कि मोदी ने अन्य एससीओ देशों की तरह चीन की बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल होने से इन्कार किया था और बीजिंग के द्वितीय विश्व युद्ध समारोह से भी दूरी बनाई थी। उन्होंने कहा कि पुतिन के साथ लिमोजिन यात्रा चीन से नजदीकी नहीं, बल्कि ट्रंप को सीधा संदेश थी मैं अपनी राह खुद चुनूंगा। मोदी का दांव कामयाब रहा। ब्रेमर ने कहा कि मोदी की यह हिम्मत दुनिया ने नोटिस की और इसका उल्टा असर नहीं हुआ। बल्कि, इससे ट्रंप को मोदी से दोस्ताना तरीके से जुड़ने की जरूरत महसूस हुई।


ब्रेमर ने कहा कि अमेरिका लंबे समय की साझेदारियों में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा। उन्होंने कहा,अगर अमेरिका मजबूत यूरोप में दिलचस्पी नहीं रखता, तो यह मानना मुश्किल है कि वह मजबूत भारत चाहता है।

 

मोदी और यूनान के प्रधानमंत्री ने रणनीतिक साझेदार को और मजबूत करने पर प्रतिबद्धता व्यक्त की

नई दिल्ली, 19 सितम्बर (एजेंसियां)। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूनान के प्रधानमंत्री के बीच हाल ही में हुई बैठक ने दोनों देशों के रणनीतिक साझेदारी को और भी मजबूती देने का संदेश दिया है। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की और सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, ऊर्जा, विज्ञान और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और यूनान की मित्रता प्राचीन इतिहास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर आधारित है। उन्होंने यह भी बताया कि दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी केवल राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि सामुदायिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भी गहरी है। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि भारत यूनान के साथ अपने सहयोग को और व्यापक बनाना चाहता है, जिससे दोनों देशों को वैश्विक मंच पर मजबूती मिले।

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यूनान के प्रधानमंत्री ने भी इस अवसर पर भारत के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि यूनान भारत के साथ अपने संबंधों को हर क्षेत्र में गहरा करना चाहता है। उन्होंने ऊर्जा सुरक्षा, नौसैनिक सहयोग, अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में साझेदारी को और विस्तार देने की इच्छा जताई। दोनों नेताओं ने आर्थिक निवेश, व्यापार और तकनीकी सहयोग पर भी चर्चा की और इस बात पर सहमति जताई कि दोनों देशों के बीच निवेश के अवसरों को बढ़ाने के लिए विशेष पहल की जाएगी।

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साथ ही, दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी चर्चा की। उन्होंने संयुक्त रूप से आतंकवाद, समुद्री सुरक्षा और भू-राजनीतिक स्थिरता को लेकर विचार साझा किए। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर यह भी रेखांकित किया कि भारत और यूनान का सहयोग न केवल द्विपक्षीय हितों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता के लिए भी अहम भूमिका निभा सकता है।

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बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने आपसी समझ और विश्वास के महत्व पर भी बल दिया। उन्होंने यह तय किया कि भविष्य में दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय वार्ता और निरंतर संपर्क बनाए रखा जाएगा। इसके तहत व्यापारिक, सुरक्षा, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और अधिक सक्रिय बनाने की योजना बनाई गई है।

इस बैठक के समापन पर प्रधानमंत्री मोदी और यूनान के प्रधानमंत्री ने मीडिया के सामने संयुक्त बयान जारी किया। बयान में कहा गया कि दोनों देश भविष्य में रणनीतिक साझेदारी को और अधिक व्यापक, मजबूत और प्रभावी बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे। उन्होंने वैश्विक चुनौतियों और अवसरों के संदर्भ में सहयोग को और गहरा करने का संकल्प भी व्यक्त किया।

इस बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत और यूनान की मित्रता केवल औपचारिक सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों के साझा हितों, विश्व मंच पर स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक मजबूत नींव पर आधारित है। दोनों नेताओं ने इस अवसर पर आपसी विश्वास और सहयोग को आगे बढ़ाने का संकल्प भी दोहराया।

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