अफीम की खेती की नीति का ऐलान, एक लाख से ज्यादा किसानों को लाइसेंस
नयी दिल्ली, 12 सितंबर (एजेंसिशं)। केंद्र सरकार ने फसल वर्ष 2025-26 के मद्देनजर मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में अफीम पोस्त की खेती के लिए शुक्रवार को सालाना लाइसेंसिंग नीति की घोषणा कर दी।
इस नई नीति के अनुसार करीब 1.21 लाख किसानों को अफीम पोस्त की खेती का लाइसेंस दिया जाएगा। ऐसा लाइसेंस पाने वाले किसानों की संख्या में, बीते साल की तुलना में 23.5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। यह नीति एक अक्टूबर, 2025 से 30 सितंबर, 2026 फसल वर्ष के लिए लागू रहेगी।
नयी नीति में मौजूदा ऐसे अफीम किसानों को लाइसेंस बने रहेंगे जिन्होंने प्रति हेक्टेयर 4.2 किलोग्राम या उससे अधिक औसत की मॉर्फिन उपज हासिल की है। इसके अलावा तीन किलोग्राम से 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बीच मॉर्फिन उपज वाले मौजूदा अफीम किसान अब पांच साल की लाइसेंस वैधता के साथ, पोस्ता भूसा सांद्रण (सीपीएस) विधि के तहत चीरा लगाए बिना अफीम के डोडे की खेती करने के पात्र हैं।
केंद्र सरकार अफीम की खेती करने वाले ऐसे किसानों को प्रोत्साहित करना चाहती है, जिन्होंने 900 किलोग्राम/हेक्टेयर या उससे अधिक उपज हासिल की है। इसलिए सरकार ने फसल वर्ष 2025-26 के लिए उन किसानों के लाइसेंस निलंबित करने का फैसला किया है, जिन्होंने पिछले साल 800 किलोग्राम/हेक्टेयर की शर्त को पूरा नहीं किया था।
केंद्र सरकार चिकित्सा और संबंधित जरुरतों को पूरा करने के लिए एल्कलॉइड की पर्याप्त आपूर्ति बनाये रखने का प्रयास कर रही है। इसके लिए सरकार स्वदेशी उपायों से प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाना चाहती है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ष, नीमच स्थित सरकारी अल्कलॉइड कारखाने को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से प्रमाण पत्र भी मिला है।
इस नयी नीति का मकसद सरकारी नियंत्रित अल्कलॉइड इकाइयों को आत्मनिर्भर बनाने के साथ अल्कलॉइड एपीआई और फॉर्मूलेशन में भारतीय दवा कंपनियों को सहयोग देना है। इस पहल का उद्देश्य उनकी तकनीकी विशेषज्ञता और ब्रांड विश्वसनीयता का लाभ उठाकर, "मेक फॉर वर्ल्ड" विजन को बढ़ावा देना है।
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