एसटीएफ ने करोड़ों की साइबर ठगी गैंग का किया भंडाफोड़

आधा दर्जन लोग गिरफ्तार, कई और लोगों की तलाश जारी

एसटीएफ ने करोड़ों की साइबर ठगी गैंग का किया भंडाफोड़

लखनऊ, 13 सितंबर (एजेंसियां)। विगत कुछ दिनो से यूपी एसटीएफ को सूचना प्राप्त हो रही थी कि एनसीआर के जनपद गौतबुद्धनगर एवं गाजियाबाद क्षेत्र में एक गैंग सक्रिय हैं जो जनता के लोगों को अधिक धन देने का लालच देकर ठगी तथा साइबर फ्रॉड के माध्यम से व्यक्तियों के खाते में धन मंगाकर आर्थिक अपराध करने में संलिप्त है। एसटीएफ नोएडा की टीम को दिनांक 11 सितम्बर को ज्ञात हुआ कि इस गैंग के बाबा नाम के व्यक्ति द्वारा हरियाणा निवासी युनुस खान से ठगी की गयी है। काफी छानबीन करने के बाद एसटीएफ को गैंग को पकड़ने में सफलता प्राप्त हुई। एसटीएफ ने शुभम राजप्रदीप कुमारधीरज मिश्रासोनू कुमारअमरजीत एवं अनुराग को अपराध में संलिप्तता के कारण गिरफ्तार किया।

अभियुक्तों द्वारा छल करने के लिए विभिन्न सोसायटियों में फ्लैट किराए पर लिया गया था जिसमें गौर सिद्धार्थम सोसायटीसाया गोल्ड सोसायटी इन्दिरापुरमप्रतीक सोसायटीसिद्वार्थनगर गाजियाबादपंचशील ग्रीन टू ग्रेटर नोएडा वेस्टसूपर नोवा सुपरटेक सेक्टर 94 नोएडा तथा अंकुर विहार लोनी गाजियाबाद में फर्जी कूटरचित आधार कार्ड का प्रयोग करके फ्लैट किराये पर लिए गए थे। इन फ्लैट में लोगों को नोट बदलने के लिए बुलाया जाता था। अभियुक्त ठगी करके फ्लैट खाली करके अन्यत्र ठिकाना बदल लेते थे।

गिरफ्तार अभियुक्त शुभम राज ने पूछताछ में बताया कि उसकी उम्र लगभग 26 साल है और वह कक्षा 12 पास है। वर्ष 2019 में वह स्नातक की पढाई करने दिल्ली आया था परन्तु पढाई छोडकर प्राइवेट काम करने लगा था। वर्ष 2022 में बिहार में इसके मित्र धीरज ने इसकी मुलाकात सीतामढ़ी बिहार निवासी नसीम सिद्दीकी से कराई जो नोट बदलने के नाम पर ठगी के अपराध में संलिप्त था। अभियुक्त शुभम राज ने करीब एक वर्ष नसीम सिद्दीकी के साथ रहकर बड़े नोटों के बदले छोटे नोट ज्यादा देने का झांसा देकर ठगी करने का काम सीखा। इसके उपरान्त शुभम राज ने वर्ष 2023 में दिल्ली आकर इन्द्रमणी के साथ मिलकर एक गिरोह बनाया और भारत के विभिन्न स्थानों से झांसा देकर बड़े पैमाने पर ठगी का काम करने लगा। इस गैंग द्वारा प्रत्येक व्यक्ति से ठगी के लिए एक फ्लैट कूटरचित दस्तावेजों का प्रयोग कर किराए पर लिया जाता था और ठगी करने के पश्चात उस फ्लैट का तत्काल खाली कर देते थे।

इस गैंग द्वारा ठगी करने का एक अनोखा तरीका प्रकाश में आया। इसमें लोगों को यह कहकर लालच में फंसाया जाता था कि उनके पास 100 एवं 200 के नोट के करोड़ों रुपए हैंउन्हें किसी राजनीतिक पार्टी को देना हैयह धन 500 के नोटों में बदलना हैअतः उनसे 500 के नोट एक निश्चित धनराशि के मंगाए जाते थे और उन्हें 100-200 के नोट उस धनराशि से डेढ गुना तक देने का लालच देकर अपने बताए फ्लैट पर बुला लिया जाता थाजहां पर पूर्व से नियोजित कमरे में एक तखतनुमा चौकी का प्रयोग किया जाता था जिसे बीच से काटकर एक छेद बनाया हुआ है इस तख्त को ऐसे स्थान पर रखा जाता था जहां तख्त के पीछे की दिवार में भी एक छेद बना लिया जाता थाएक व्यक्ति तख्त के ऊपर बैठकर बैंग में गड्डियां रखने का काम करता था तथा नोटों की असली गड्डियां चौकी के नीचे बैठे व्यक्ति को पकड़ा देता था तथा उससे कागज की गड्डियां लेकर बैग में रख देता था।

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इस तख्त के सामने कुर्सियों पर ग्राहक को बैठाया जाता था तथा उससे मशीन से नोट गिनकर देने को कहते थेउन्ही के आसपास 2-3 लोग उनका ध्यान भटकाने का काम करते थे। ग्राहक को बैग में नोटो की गड्डियों दिखाई जाती थी जबकि केवल ऊपरी परत पर ही असली नोट होते थे बाकी कागज की नोट के साईज की गड्डियां होती थीं। इस ठगी का कार्य जादू के खेल की तरह ट्रिक का प्रयोग कर किया जाता था जिसमें प्रत्येक व्यक्ति का हिस्सा तय होता था। लोगों को लाने वाले व्यक्ति को एजेंट कहते थे जो सोशल मीडिया एवं व्यक्तिगत सम्बन्धों का प्रयोग करके ग्राहक को फ्लैट पर लेकर जाते थे। इंस्ट्राग्रामयू-ट्यूब एवं अन्य सोशल साइटों पर नोटों की गड्डियों की वीडियो डालकर नोट बदलने एवं अच्छा मुनाफा प्राप्त करने का प्रचार किया जाता था। यह ठगी का काम कैश के बदले कैशअथवा आरटीजीएस के बदले कैशयूएसडीटी के बदले कैश के रूप में करते थे। इसके लिए बैंक के कई फर्जी एकाउंट प्रयोग में लाए जाते थे।

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इस गैंग के लिए बंधन बैंकतकियापुर जनपद दानापुर बिहार के कर्मचारी तन्मय एवं एचडीएफसी बैंकसोनपुर जनपद छपरा बिहार के कर्मचारी अमिताभ और आयुष मदद करते थे जिनको बदले में आर्थिक लाभ प्राप्त होता था। इस गैग से लगभग 100 बैंक एकाउंट की डिटेल प्राप्त हुई है जिन पर 25 से अधिक साइबर फ्रॉड की शिकायतें संज्ञान में आई हैंजिसमें लगभग 1 करोड़ 9 लाख 51 हजार 169 रुपए की धोखाधड़ी रिपोर्ट की गई है। इन एकाउन्ट में बहुत सारे म्यूल एकाउन्ट के रूप में लोनिंग और गैमिंग ऐप के लिए भी प्रयोग हुए हैंजिनके बारे में गहराई से जानकारी की जा रही है। साइबर ठगी की दर्ज इन शिकायतों के निस्तारण हेतु अलग से विधिक कार्यवाही कराई जा रही है। जबकि व्यक्तिगत रूप से ठगे गए लोगों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा रही है एवं पीड़ितों से शिकायतें प्राप्त की जा रही है।

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