सरकार ने कंबाला को ग्रामीण खेल के रूप में आधिकारिक राज्य मान्यता प्रदान की
मेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| परंपरा और आधुनिक शासन व्यवस्था के समन्वय से एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए, कर्नाटक सरकार ने तटीय क्षेत्र की सदियों पुरानी भैंसा दौड़, कम्बाला को आधिकारिक तौर पर राज्य द्वारा मान्यता प्राप्त खेल के रूप में मान्यता दे दी है| यह मान्यता कर्नाटक खेल प्राधिकरण के अंतर्गत कर्नाटक राज्य कम्बाला संघ के गठन के साथ आई है, जिससे कम्बाला को राज्य स्तरीय प्रचार के लिए औपचारिक वैधता, संरचना और अवसर प्राप्त हुए हैं|
खेल विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा यह केवल एक खेल को मान्यता नहीं है, यह हमारे सांस्कृतिक गौरव का प्रमाण है| इस कदम से स्थानीय भागीदारी को बढ़ावा मिलने और तुलुनाडु के कृषि प्रधान अतीत में गहराई से निहित विरासत को संरक्षित करने की उम्मीद है| संघ को तीन साल की अवधि के लिए या अगले आदेश तक आधिकारिक दर्जा दिया गया है| सरकारी दिशानिर्देशों के अनुसार, संघ को हर साल ३० जून तक कई अनिवार्य दस्तावेज जमा करने होते हैं| इनमें एक विस्तृत प्रशासनिक गतिविधि रिपोर्ट, लेखापरीक्षित वित्तीय विवरण, वार्षिक आम और कार्यकारी समिति की बैठकों के रिकॉर्ड और कार्यक्रमों का कैलेंडर शामिल हैं| इसके अलावा, अनुपालन बनाए रखने के लिए कर्नाटक सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम, १९६० के तहत एक नवीनीकृत प्रमाणपत्र प्रस्तुत करना होगा| नए मान्यता प्राप्त निकाय की उद्घाटन बैठक १५ अक्टूबर को बेंगलूरु में युवा सशक्तिकरण एवं खेल विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में होगी| इस बैठक का मुख्य एजेंडा संघ के मसौदा उपनियमों को मंजूरी देना है, जो राज्य भर में कम्बाला के आयोजन और विनियमन की नींव रखेगा| संघ के एक करीबी सूत्र ने बताया यह औपचारिक ढाँचा हमें कम्बाला को स्थानीय मैदानों से आगे बढ़ाकर कर्नाटक के खेल कैलेंडर की मुख्यधारा में लाने का अवसर प्रदान करता है| सूत्र ने आगे कहा यह बेहतर बुनियादी ढाँचे, प्रशिक्षण और संभवतः राष्ट्रीय ध्यान के द्वार खोलता है| इसकी अगुवाई बेलापु देवीप्रसाद शेट्टी कर रहे हैं, जिन्हें कर्नाटक राज्य कम्बाला संघ का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया है|

