देव दीपावली 2025ः 25 लाख दीपों से जगमगाएंगे काशी के घाट

लेजर, प्रोजेक्शन और फायर क्रैकर्स शो से रोशन होगी दिव्यता की अद्भुत संध्या

देव दीपावली 2025ः 25 लाख दीपों से जगमगाएंगे काशी के घाट

लखनऊ, 25 अक्टूबर 2025। महादेव की नगरी काशी में एक बार फिर दिव्यता और भव्यता का संगम देखने को मिलेगा। दीपों की पवित्र आभा, संगीत की ध्वनि और आधुनिक तकनीक का जादू इस बार की देव दीपावली 2025 को अविस्मरणीय बना देगा। उत्तरवाहिनी गंगा के दोनों तटों पर करीब 25 लाख दीपों की ज्योति जब एक साथ प्रज्वलित होगी, तो वाराणसी साक्षात देवभूमि का स्वरूप धारण करेगा। इस पावन अवसर पर गंगा घाटों का सौंदर्य ऐसा होगा, मानो धरती पर देवता स्वयं अवतरित हो गए हों।

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उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि देव दीपावली को इस बार और भी भव्य, तकनीकी और सांस्कृतिक रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ‘‘देवों की दिवाली’’ के नाम से प्रसिद्ध यह पर्व केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, कला और तकनीक के समन्वय का भी प्रतीक बनेगा।

मंत्री ने जानकारी दी कि 3 से 5 नवंबर तक चेत सिंह घाट और गंगा द्वार पर अत्याधुनिक 3क् प्रोजेक्शन मैपिंग और लेजर शो का भव्य आयोजन किया जाएगा। इस प्रस्तुति में गंगा, काशी और देव दीपावली की पौराणिक कथा को एक मनमोहक दृश्य-श्रव्य अनुभव के रूप में पेश किया जाएगा। यह शो 25 मिनट का होगा, जिसमें 17 मिनट की प्रोजेक्शन मैपिंग और 8 मिनट का लेजर शो शामिल रहेगा।

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उन्होंने बताया कि 3क् प्रोजेक्शन मैपिंग के माध्यम से गंगा की उत्पत्ति, भगवान शिव की महिमा, काशी की दिव्यता और देव दीपावली के पौराणिक महत्व को सजीव किया जाएगा। घाटों और ऐतिहासिक इमारतों की दीवारें इस बार केवल पत्थर नहीं, बल्कि जीवंत कैनवास बनेंगी, जिन पर रोशनी, रंग और ध्वनि के माध्यम से भक्ति और आस्था की कहानियां उकेरी जाएंगी। हिंदी भाषा में संवादों और पार्श्व संगीत के संयोजन से यह अनुभव न केवल दृष्टिगत, बल्कि भावनात्मक रूप से भी दर्शकों को छू जाएगा।

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देव दीपावली 2025 में वाराणसी के घाटों पर लगभग 25 लाख दीप प्रज्वलित किए जाएंगे। इनमें से 10 लाख दीप राज्य सरकार की ओर से और शेष स्थानीय समितियों द्वारा जलाए जाएंगे। यह दीप श्रृंखला न केवल गंगा तटों को आलोकित करेगी, बल्कि पूरे शहर का वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देगी। घाटों की सीढ़ियों से लेकर गंगा किनारे की रेत तक, हर दिशा में प्रकाश की ऐसी लहर उठेगी, जो आस्था और आनंद का संगम होगी।

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काशी के गंगा तट इस बार केवल दीपों की रोशनी से ही नहीं, बल्कि आकाश तक फैली लेजर और फायर क्रैकर्स शो की चमक से भी जगमगाएंगे। लगभग डेढ़ किलोमीटर के क्षेत्र में आयोजित यह शो 10 मिनट तक चलेगा। इसकी रंगीन रोशनी 200 मीटर तक ऊंचाई में फैलकर आकाश को भक्ति के रंगों से सजाएगी। सबसे खास बात यह है कि यह पूरा प्रदर्शन ग्रीन फायर क्रैकर्स (पर्यावरण-अनुकूल आतिशबाजी) से होगा। आधुनिक तकनीक और कंप्यूटर-आधारित कोरियोग्राफी से तैयार किया गया यह शो अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों को पूरा करेगा और काशी की सांस्कृतिक विरासत को नया रूप देगा।

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि इस वर्ष देव दीपावली को ‘‘सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और तकनीकी संतुलन का उत्सव’’ बनाने की दिशा में विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उनका कहना था कि ‘‘काशी की पहचान उसकी परंपरा और अध्यात्म में है, लेकिन आधुनिकता के साथ उसका मेल उसकी भव्यता को और भी प्रभावशाली बना देता है।’’

देव दीपावली के दौरान 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आने की संभावना है। इतनी बड़ी संख्या को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन ने व्यापक तैयारियां शुरू कर दी हैं। घाटों पर सुरक्षा बलों की तैनाती, यातायात व्यवस्था, भीड़ प्रबंधन, जल-परिवहन और आपातकालीन सेवाओं की योजनाएं तैयार की जा रही हैं। पुलिस और प्रशासनिक टीमें लगातार समीक्षा बैठकों के माध्यम से सुनिश्चित कर रही हैं कि प्रत्येक आगंतुक को सुरक्षित, स्वच्छ और सहज वातावरण मिले।

पर्यटन सूचना अधिकारी, वाराणसी नितिन कुमार द्विवेदी ने बताया कि गंगा घाटों की साफ-सफाई और सौंदर्यीकरण का कार्य तेजी से चल रहा है। घाटों की सीढ़ियों की मरम्मत, दीवारों की पेंटिंग, सजावट और रोशनी की व्यवस्था की जा रही है। द्विवेदी ने कहा कि देव दीपावली से पहले 1 से 4 नवंबर तक गंगा महोत्सव का भी आयोजन होगा। इस महोत्सव में स्थानीय कलाकार अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे। संगीत, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियों के माध्यम से काशी की समृद्ध परंपरा, कला और लोक संस्कृति की झलक पेश की जाएगी।

गंगा महोत्सव के दौरान बनारस घराने की गायकी, तबला और सितार की लहरियां घाटों पर गूंजेंगी। बनारसी पान, बनारसी साड़ी और स्थानीय हस्तशिल्प को भी प्रदर्शनी के रूप में दिखाया जाएगा। यह आयोजन न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण होगा, बल्कि यह पर्यटन की दृष्टि से भी वाराणसी को वैश्विक मंच पर और सशक्त करेगा।

वाराणसी की देव दीपावली, जिसे ‘‘देवताओं की दीपावली’’ कहा जाता है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार वह दिन है जब देवता स्वयं गंगा के तट पर उतरकर दीप प्रज्वलित करते हैं। यह पर्व कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इसकी तुलना केवल दिवाली से नहीं, बल्कि उस दिव्यता से की जाती है जो आत्मा को आलोकित करती है।

जैसे-जैसे 5 नवंबर की रात नजदीक आएगी, वैसे-वैसे काशी के हर गली, हर घाट और हर मंदिर में तैयारियों की गूंज सुनाई देगी। सैकड़ों स्वयंसेवक दीयों की कतारें सजाने में जुट जाएंगे। नावों पर बैठकर पर्यटक गंगा के पार से इस अद्भुत दृश्य का आनंद लेंगे। हर दीप जलने के साथ ऐसा लगेगा जैसे हजारों श्रद्धालु अपनी आत्मा में प्रकाश भर रहे हों।

देव दीपावली केवल एक पर्व नहीं, बल्कि वह क्षण है जब काशी अपने पूरे वैभव, श्रद्धा और आध्यात्मिकता के साथ जग को यह संदेश देती है कि ‘‘अंधकार चाहे कितना भी गहरा हो, एक दीपक उसे मिटाने के लिए पर्याप्त है।’’ इस वर्ष का आयोजन परंपरा और तकनीक के सम्मिलन का एक जीवंत उदाहरण होगा, जहां श्रद्धा और विज्ञान दोनों मिलकर ‘‘देव दीपावली 2025’’ को अविस्मरणीय बना देंगे।

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